लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

जनभावनाओं के विपरीत खड़े कांग्रेसी

जम्मू-कश्मीर में धारा-370 हटाए जाने के बाद पूरे देश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के फैसले का समर्थन किया।

जम्मू-कश्मीर में धारा-370 हटाए जाने के बाद पूरे देश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के फैसले का समर्थन किया। यहां तक कि कांग्रेस के कुछ नेताओं जनार्दन द्विवेदी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और दीपेन्द्र हुड्डा ने भी जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने का समर्थन किया। इस मुद्दे पर कांग्रेस दो खेमों में बंटी हुई दिखाई दी। उससे साफ संदेश यही गया कि वैचारिक स्तर पर कांग्रेस दोफाड़ है और उसका नेतृत्व वैचारिक स्तर पर शून्य की स्थिति में पहुंच चुका है। आप और बसपा जैसे दलों ने भी सरकार का समर्थन किया। हद तो तब हो गई जब अपने उलटे-सीधे बयानों के लिए चर्चित रहने वाले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी सरकार के फैसले की आलोचना करते यह कह डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर को ​फिलिस्तीन बना डाला। मणिशंकर का जम्मू-कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से करना ही उनकी नकारात्मक सोच का परिणाम है।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम तो धारा-370 को हटाए जाने को हिन्दू-मुस्लिम के नजरिये से देख रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जम्मू-कश्मीर हिन्दू बहुल होता तो भाजपा धारा-370 कभी नहीं हटाती। चिदंबरम का यह कितना बेहूदा बयान है। इतना बड़ा वकील और देश का भूतपूर्व वित्तमंत्री आैर गृहमंत्री रहा वो चिदम्बरम और इतनी बेहूदा बात करें कि अगर जम्मू-कश्मीर में हिन्दू बहुल होते तो भाजपा धारा-370 नहीं हटाती। चिदम्बरम से कोई पूछे कि भारत में जम्मू-कश्मीर को छोड़ और किस राज्य में धारा-370 थी। 1947 में कश्मीर-भारत झगड़े की वजह से कश्मीर में धारा-370 लगानी पड़ी। मुस्लिम आबादी तो उत्तर प्रदेश में भी है, बिहार में भी, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के सभी राज्यों में मुसलमान बसते हैं लेकिन 1947 में कश्मीर को छोड़ देश में बसे सभी राज्यों के मुसलमानों ने भारत की नागरिकता ले ली लेकिन जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की साजिशों के चलते भारत-पाक रिश्तों में अभी तक खटास चल रही है।
जब 1947-48 में पाकिस्तान की फौज ने कबाइलियों के वेश में कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और जम्मू-कश्मीर के हिन्दू राजा हरिसिंह ने पत्र लिखकर पं. नेहरू और सरदार पटेल से गुजारिश की कि उनकी रियासत भारत में मिलना चाहती है तो भारतीय फौज ने इन फर्जी कबाइलियों को धकेलना शुरू कर दिया लेकिन शेख अब्दुल्ला के षड्यंत्रों के चलते कश्मीर के काफी बचे एक तिहाई हिस्से पर पीओके यानी पाकिस्तान का कब्जा बना रहा, जिसे एक दिन हम लेकर ही छोड़ेंगे। क्या चिदम्बरम जैसे पढ़े-लिखे इन्सान को जम्मू-कश्मीर के इतिहास की इतनी भी समझ नहीं? जो कश्मीर के मसले को सांप्रदायिक दृष्टि से देखते हैं और इसे हिन्दू-मुुस्लिम का इश्यु बनाने से नहीं हिचकते?
कांग्रेस के भोंपू रहे दिग्विजय सिंह और अन्य नेता ऐसे ही सुर में बोल रहे हैं। मणिशंकर अय्यर के बयानों से कई बार कांग्रेस की जगहंसाई हो चुकी है। मणिशंकर अय्यर और पी. चिदम्बरम ने जो भाषा बोली है, वैसी भाषा तो पाकिस्तान लगातार बोलता आ रहा है। हुर्रियत के नाग भी ऐसी ही भाषा बोलते रहे हैं। क्या ऐसे वक्तव्य देकर मणिशंकर अय्यर और पी. चिदम्बरम पाकिस्तान की मदद करने का काम कर रहे हैं? मणिशंकर अय्यर ने तो सेना पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के दौरान किया था। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बयान देने के बाद कांग्रेस ने मणिशंकर अय्यर को पार्टी से नि​लम्बित भी कर दिया था लेकिन कुछ समय बाद उसने फिर इसे अपने साथ चिपका लिया। धारा-370 हटाए जाने के बाद जम्मू में स्थिति तो सामान्य हो चुकी है और घाटी में भी स्थिति सामान्य होने की ओर है। ईद भी शांति से मनाई गई, कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं आई। फिर कांग्रेस के नेता अलजजीरा और पाकिस्तानी अखबार डॉन की झूठी रिपोर्टों का हवाला क्यों दे रहे हैं। न तो इन्हें सरकार पर भरोसा है और न ही सेना पर। पार्टी के प्रति ईमानदार रहना अच्छा है लेकिन पार्टी से पहले देश के लिए ईमानदार रहना ज्यादा जरूरी है। इन्हें यह भी समझ नहीं आता कि पाकिस्तान और जेहादी संगठन इनके बयानों का हवाला देकर भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार करेंगे कि भारत के नेता भी धारा-370 हटाने को गलत मान रहे हैं।
पाठकों को याद होगा कि वर्ष 2014 में पहली बार मोदी सरकार बनने के कुछ महीने बाद मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान जाकर प्रधानमंत्री मोदी को हटाने के लिए मदद मांगी थी। एक पाकिस्तानी चैनल के सामने उन्होंने इसके लिए लगभग पाकिस्तानी शासकों में गुहार लगाई थी। फैसले के राजनीतिक विरोध के पीछे भी तर्क होने चाहिएं लेकिन कांग्रेस नेता औचित्यहीन विरोध कर रहे हैं। यह सही है कि इतिहास में निर्णायक रूप से बदलने वाली अधिकांश इबारतें असहमति की स्याही से लिखी जाती रही हैं लेकिन असहमति का औचित्य तो होना ही चाहिए। मुझे तो लगता है कि कांग्रेस के कई नेता ‘सूरदास’ प्रवृत्ति के हैं। इन्हें दिमाग से कुछ नहीं सूझता, कानों से कुछ नहीं सुनता और आंखों से कुछ नहीं दिखता। इनके लिए एक ही कहावत हैः-
‘‘आंख के अंधे, नाम नयनसुख।’’
क्या मणिशंकर अय्यर, पी. चिदम्बरम और कांग्रेस के अन्य नेता नहीं जानते कि जम्मू-कश्मीर अप्रतिम सैन्य और नागरिक बलिदानों के दम पर बचा हुआ है। कश्मीर को बचाने के लिए कश्मीर के हिन्दू और सिख ही नहीं, बड़ी संख्या में मुसलमान भी पाकिस्तान के खिलाफ लड़े थे। आज भी कोई यह कहे कि सभी कश्मीरी मुसलमान पाकिस्तान के समर्थक हैं तो यह सरासर गलत कथन है। क्या कांग्रेसी नेता जनता की नब्ज पहचानना भूल चुके हैं? केवल दक्षिण कश्मीर के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर आम कश्मीरी भी विकास चाहता है, वह राष्ट्र की ​मुख्यधारा से जुड़ना चाहता है। 
उनके बच्चों को शिक्षा और रोजगार चाहिए। पाकिस्तान के टुकड़ों पर पलने वालों की जुबान अब खामोश हो चुकी है। कश्मीरी अवाम भी उनकी हकीकत जान गई है। आज अनर्गल बयानबाजी की जरूरत नहीं बल्कि जरूरत इस बात की है कि समूचा राष्ट्र एकजुट होकर जम्मू-कश्मीर के विकास में अपना योगदान दे। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने तो विकास का रोडमैप तैयार कर लिया है। राष्ट्रवासियों से अपील है कि वह नेताओं की बयानबाजी को नजरंदाज करें और इस बात का विचार करें कि राष्ट्र के मूल्य कैसे बचेंगे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

7 + three =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।