युवाओं के लिए कांग्रेस के ‘पांच न्याय’

युवाओं के लिए कांग्रेस के ‘पांच न्याय’
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देश के युवाओं को लुभाने का प्रयास करते हुए, कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने चुनावी वादे में 'रोजगार के अधिकार' के साथ ही स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद युवाओं को 1 लाख रुपए प्रति वर्ष का अप्रेंटिसशिप (प्रशिक्षुता) देने का वादा किया है। इसके अलावा परीक्षाओं में पेपर लीक के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देने की बात कही है। अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने युवाओं को 'पांच न्याय' देने का वादा किया, जिसमें सरकारी रिक्तियों को भरना, स्थायी नौकरियां, भर्ती परीक्षा पेपर लीक से मुक्ति, गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को एक स्टार्टअप फंड देना शामिल है।
उन्होंने किसानों को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी और स्टार्टअप के लिए 5,000 करोड़ रुपये के फंड 'युवा रोशनी' का वादा भी किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने पर युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर 30 लाख नौकरियां देने का वादा करती है और उन्होंने इसे 'भारती भरोसा' कहा। उन्होंने एक वार्षिक कैलेंडर लाने का आश्वासन दिया, जिसमें नौकरी की रिक्तियों को भरने के लिए एक निश्चित समय सीमा का पालन किया जाएगा। कांग्रेस के घोषणापत्र में छोटे व्यवसायों को लाभ पहुंचाने के लिए सरलीकृत संरचनाओं के साथ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार के लिए एक रोड मैप शामिल होने की संभावना है और संघीय एजेंसियों की व्यापक शक्तियों में कटौती के लिए संशोधन का भी वादा किया जा सकता है।
पार्टी सरकारी रिक्तियों को भरने के लिए देश में जाति आधारित जनगणना का वादा कर रही है। गारंटी टेम्पलेट, जिसका उपयोग पार्टी ने हाल के विधानसभा चुनावों में किया है, न्यूनतम आय योजना (न्याय) या यूनिवर्सल बुनियादी आय गारंटी के साथ वापस आएगा। पार्टी ने केंद्र में सत्ता में आने पर 20 प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपए या हर महीने 6,000 रुपए देने का प्रस्ताव रखा है। इन सबसे गरीब घरों की महिलाएं इस योजना की हकदार होंगी। पार्टी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का भी वादा कर सकती है। इसमें विवादास्पद सैन्य भर्ती योजना 'अग्निपथ' को ख़त्म करने का भी वादा किया जा सकता है।
गुपकार डिक्लेरेशन पर सवालिया निशान
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने कश्मीर घाटी में सभी तीन लोकसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों की तीन सीटों पर निर्णय लेने के लिए कांग्रेस के साथ चर्चा हुई है। इससे घाटी की दो प्रमुख मुख्यधारा पार्टियां एनसी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी एक-दूसरे के खिलाफ हो जाएंगी। यह पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) पर भी एक बड़ा सवालिया निशान लगाता है, जो घाटी में राजनीतिक दलों का एक गठबंधन है, जिसे 2020 में जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली के लिए लड़ने के लिए बनाया गया था। जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस बारामूला और श्रीनगर में एनसी उम्मीदवारों का समर्थन करेगी, लेकिन अगर महबूबा मुफ्ती अनंतनाग से चुनाव लड़ने का फैसला करती हैं, तो यह संभवतः उनका समर्थन करेगी। अनंतनाग वह सीट है, जिसका महबूबा ने अपने पिता और पीडीपी संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद की तरह अतीत में प्रतिनिधित्व किया है।
एमवीए नेताओं की प्रकाश अंबेडकर से चर्चा
एमवीए नेताओं, जिनमें शिव सेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे, राकांपा नेता शरद पवार और कांग्रेस के बालासाहेब थोराट शामिल हैं, ने
राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन से मुकाबले में अपने गठबंधन के भाग्य के मुद्दे पर पहली बार वीबीए प्रमुख प्रकाश अंबेडकर के साथ चर्चा की। बैठक के दौरान, प्रकाश अंबेडकर ने 12 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का भी प्रस्ताव रखा, जिस पर अन्य दलों के सहमत होने की संभावना नहीं है। हालांकि वीबीए प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने लोकसभा चुनाव से पहले या बाद में भाजपा के साथ कोई संबंध न रखने की लिखित प्रतिबद्धता की मांग की। सूत्रों के मुताबिक, एमवीए साझेदारों ने सीट-बंटवारे के समझौते पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें शिवसेना 21 सीटों पर, कांग्रेस 15 सीटों पर और शरद पवार की एनसीपी 9 सीटों पर लड़ेगी।

– राहिल नोरा चोपड़ा

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