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कोरोना-परहेज ही बचाव है

कोरोना ने कहर ढा रखा है। चाहे वैक्सीन आ गई है, परन्तु अभी सबको लगने में देर है और इक्का-दुक्का केस सुनने में आ रहे हैं कि कइयों को वैक्सीन के बाद भी कोरोना हो रहा है तो इस समय हमें सिर्फ बचने के लिए डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना, हाथ धोने जैसे ​नियमों का पालन करना होगा और जरूरी हो तो ही घर से बाहर ​निकलना चा​हिए।

कोरोना ने कहर ढा रखा है। चाहे वैक्सीन आ गई है, परन्तु अभी सबको लगने में देर है और इक्का-दुक्का केस सुनने में आ रहे हैं कि कइयों को वैक्सीन के बाद भी कोरोना हो रहा है तो इस समय हमें सिर्फ बचने के लिए डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना, हाथ धोने जैसे ​नियमों का पालन करना होगा और जरूरी हो तो ही घर से बाहर ​निकलना चा​हिए। इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है, इससे हम लॉकडाउन से भी बच सकते हैं क्योंकि दोबारा लॉकडाउन होने का मतलब है जो अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है, उसे दोबारा शून्य पर ले जाना परन्तु अगर कोरोना इस तरह ही रोज-रोज बढ़ता रहा तो लोगों की जानें बचाने के लिए लॉकडाउन लगाना भी पड़ सकता है।
आज कोरोना कहां से कहां पहुंच गया है। पूरी दुनिया में इसके डंक ने लाख से ज्यादा लोगों की जिन्दगियां छीन ली हैं। भारत में भी लगभग 1, 67,000 से ज्यादा लोग काल के मुंह में समा चुके हैं। जिस भारत ने कोरोना के खात्मे के लिए वैक्सीन तैयार कर एक उदाहरण स्थापित किया, आज उसी भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने इतनी तबाही मचा दी है जो 2020 में भी नहीं मची थी। पिछले तीन हफ्ते यानी ​कि वर्ष 2021 का मार्च महीना इतना खौफनाक और इंसानी जिन्दगियों पर ​बिजली बनकर टूटेगा इसकी कल्पना कभी किसी सरकार या प्रशासन ने नहीं की थी। परन्तु यह सवाल तो उठता ही है कि आखिरकार ऐसा क्यों हुआ? हम इसका जवाब किसी सरकार या प्रशासन से नहीं पूछ सकते बल्कि यह हमारे अन्दर ही छिपा है, जिसे हमें खोज निकालना होगा। हम लापरवाह हो गए हैं, हम ढिलाई बरत रहे हैं। हम नियमों का पालन नहीं कर रहे, बल्कि मास्क से भी दूरी बना रहे हैं। सरकार ने सब कुछ किया, प्रशासन ने सब कुछ किया परन्तु हम लोग खुद कुछ नहीं कर सके। मेरा यह स्पष्ट रूप से मानना है कि आग लगने पर कुआं खोदने की परम्परा हमने शुरू की है तथा इसे अभी और इसी वक्त खत्म करना होगा। किसी चुनौती और मुसीबत या बीमारी का पहला और आखिरी विकल्प परहेज होता है। अगर उचित नियम अर्थात् परहेज है तो उपचार या दवाई की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। कहीं आग लगती है तो अगर पानी का भंडार है तो सब मिलकर आग बुझा देंगे। इसे उचित उपाय अर्थात् व्यवस्था कहते हैं। एक तरफ आग लग रही है और दूसरी तरफ आप पानी के लिए कुआं खोद रहे हैं तो आग और भड़कती रहेगी और तबाही मचा देगी।
ठीक यही कुछ कोरोना की दूसरी लहर के चलते देश और दिल्ली में हो रहा है। नाइट कर्फ्यू या प​ब्लिक स्थलों पर भीड़भाड़ न करने के फरमान अब जारी किए जा रहे हैं। अगर पहले ही हम मास्क लगाते, सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ की शक्ल में न होते तो सब कुछ सामान्य रहता। पीएम मोदी जी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपने ताजा संवाद में भी यही कहा है कि टैस्टिंग जरूरी है, उपचार जरूरी है, परन्तु मास्क लगाना आैर सोशल डिस्टैंसिंग उससे भी ज्यादा जरूरी है। कोरोना कर्फ्यू के महत्व के बारे में मोदी जी की एप्रोच सही है कि हमें अपनी रात्रि मूवमेंट की गतिविधियां रात 9 या 10 बजे से ही बैन कर देनी चाहिएं। इससे यह लाभ मिलेगा कि हम पब्लिक स्थानों पर जाने से बचे रहेंगे। ऐसा लगता है कि श्री मोदी जी ने नाइट कर्फ्यू जो दस बजे से शुरू होता है, को लेकर लोगों से अपील करने की कोशिश की है कि वे एक घंटा पहले अर्थात् 9 बजे ही इसका पालन करना शुरू कर दें। जरा सोचिये जिस भारत ने पूरी दुनिया को अपना परिवार मान रखा है, उसके हैड अर्थात् पीएम मोदी जी ने उन राष्ट्रों को भी वैक्सीन भेज दी जो बार-बार हमसे अनुरोध कर रहे थे तो यह इंसानियत का एक सबसे बड़ा उदाहरण है। कुल मिलाकर मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि जो काम नियमों के पालन से हो रहा है तो हमें इलाज की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। टीका तो एक विकल्प है ताकि कोरोना को विदा कर सकें। हम तो इससे पहले मास्क लगाकर, सोशल डिस्टैंसिंग के सदुपयोग से पहले ही कोरोना पर विजय प्राप्त कर चुके हैं और पिछले महीने में जो लापरवाही तथा ढिलाई बरती, उसका परिणाम कोरोना की दूसरी लहर के रूप में हमारे सामने आया है।
इधर दिल्ली की हालत यह है कि लगभग 11 हजार लोग काल का ग्रास बन चुके हैं आैर लगभग 7 लाख लोग कोरोना से ग्रसित हैं। हैल्थ रिकवरी रेट भले ही अच्छा हो लेकिन यह भी तो सच है कि कोरोना बढ़ रहा है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक यही स्थिति है। ऐसे में जब चुनौ​ती का मिलजुलकर सामना करने का समय हो तो ऐसे में अगर ​किसी राज्य की तरफ से यह मांग उठने लगे कि विदेशों में वैक्सीन भेजी जा रही है और हमें नहीं दी जा रही तो इसे महज एक छलावा या फिर झूठ ही करार दिया जाना चाहिए। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने दो दिन पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री के आरोप पर पलटवार करते हुए यही कहा कि दिखावे की राजनीति कोरोना को लेकर न की जाए।  खुद केन्द्र सरकार ने राज्यों को ​ट​ीकाकरण अभियान तेज करने की अपील की थी और जब टीकाकरण अभियान तेज नहीं होगा, सोशल​ डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं होगा, लोग मास्क नहीं लगाएंगे तो फिर कोरोना बढ़ेगा ही बढ़ेगा। आज की तारीख में हम सब अगर सुरक्षित रहना चाहते हैं तो मिलजुल कर नियमों का पालन करके ही कोरोना से बचा जा सकता है।

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