लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

कोरोना के कमांडो

आज देश के डाक्टर, नर्सें, मेडिकल स्टाफ, सेना, जल सेना और वायुसेना के जवान सभी दिन-रात कोरोना वायरस से लड़ने के लिए 24 घंटे मुस्तैद हैं।

भाई गुरुदास जी की एक अद्भुत रचना है, जिसमें इस बात का वर्णन किया गया है कि यह धरती किसके भार से पीड़ित है। धरती स्वयं पुकार करती है :-
‘‘मैं उन पर्वतों के भार से पीड़ित नहीं हूं, जिनमें से कई तो इतने ऊंचे हैं कि लगता है आकाश को छू रहे हों। मैं अपनी गोद में बिखरी हुई वनस्पति अर्थात् वृक्षों, पौधों और जीव-जंतुओं के भार से भी पीड़ित नहीं हूं, मैं नदियों, नालों, समुद्र के भी किसी भार से दुखी नहीं हूं, लेकिन मेरे ऊपर बोझ तो सिर्फ उनका है  जो संकट काल में भी कृतघ्न हैं, छल करने वाले और विश्वासघाती हैं। जिस राष्ट्र की फिजाओं में सांस लेते हैं उसी से द्रोह करते हैं।’’ आज के युग में देखा जाए तो पाप भूमि से भी भारी है। भारत में भी अपराध कम नहीं होते, चाहे वह हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार हो या आर्थिक अपराध। 
कोरोना वायरस की महामारी में भी मनुष्य ने तिजारत को ही अपना धर्म बना लिया है। सैनिटाइजर्स, मास्क और अन्य वस्तुओं की कालाबाजारी हो रही है। भारत का दूसरा पहलू यह है कि भारत जैसे विशाल देश में अधिकांश लोग और संस्थाएं ऐसी हैं जिन्होंने हर संकट काल में मानव सेवा को अपना धर्म बनाया। यकीन मानिये भारत की सभ्यता और संस्कृति अगर जीवित है तो ऐसे ही लोगों के बल पर जिन्दा है। भारत एक ऐसा देश है जहां आज भी दान के महत्व को समझा जाता है। दान देने पर जो फल मानव को मिलता है, उसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती। जिस देश में ऋषि दधीच ने राक्षस से देवों को बचाने के लिए अपने शरीर की अस्थियां दान कर दीं ताकि राक्षसों के वध के लिए उनकी अस्थियों से अस्त्र बनाए जा सकें, उस देश में मानव सेवा को सर्वोपरि माना ही जाएगा। 
मुम्बई पर आतंकवादी हमले के दौरान घायलों को रक्त देने के लिए इतने लोग अस्पतालों में उमड़ आए थे कि डाक्टरों को भी कहना पड़ा था कि उनके  रक्त बैंकों में काफी रक्त है। उत्तराखंड की केदारनाथ आपदा के दौरान काफी विध्वंस हुआ था और हजारों लोग महाप्रलय का शिकार हो गए थे तो सेना, अर्द्धसैनिक बलों के जवानों, आपदा बल और लोगों ने मिलकर सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला था। वायुसेना के पायलट को भी लोगों को सुरक्षित निकालने के दौरान हैलिकाप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण शहादत देनी पड़ी थी। इतिहास में ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं कि इंसानों को बचाने के लिए इंसान ने खुद अपनी जान गंवा दी।
आज देश के डाक्टर, नर्सें, मेडिकल स्टाफ, सेना, जल सेना और वायुसेना के जवान सभी दिन-रात कोरोना वायरस से लड़ने के लिए 24 घंटे मुस्तैद हैं। अब जबकि संक्रमण के डर से आदमी आदमी के पास जाने से कतराता है, परिवार और समाज में दूरियां बढ़ चुकी हैं, लोग घरों में बंद हैं, ऐसी स्थिति में ये लोग संक्रमित क्षेत्र में बैठकर या भागदौड़ कर दूसरों की जान बचाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने समाज की सुरक्षा में खुद को ढाल बना रखा है। 
वास्तव में कोरोना वायरस से लड़ने वाले असली कमांडो यही हैं। प्रिंट एवं इलैक्ट्रानिक्स मीडिया के पत्रकार लोगों तक हर सटीक जानकारी पहुंचाने और समूचे देश को जागरूक बनाने के लिए दिन-रात अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। मीडिया भी कमांडो की तरह काम कर रहा है। हर संकट की घड़ी में पुलिस बल को हमेशा निशाना बनाया जाता है, पुलिस पर सवालों की बौछारें की जाती हैं लेकिन चंद अपवादों को छोड़ कर पुलिस के जवान जिस तरह से पीड़ितों के द्वार पर जाकर उन्हें खाद्य सामग्री बांट रहे हैं, बेघरों के पास जाकर उनके हाथ धुलवा कर उन्हें भोजन के पैकेट दे रहे हैं, वह भी सराहनीय और अनुकरणीय है।  देशभर में अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन दिहाड़ीदार मजदूरों और अन्य असहाय लोगों की सेवा करने के लिए आगे आए हैं। दिन-रात ड्यूटी कर रहे पुलिस कर्मियों को लोग अपने घरों से चाय-नाश्ता और भोजन बनाकर दे रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि भारत में मानव सेवा की अवधारणा कितनी मजबूत है।
आज सबसे बड़ी जरूरत उन लोगों को है जो परिवहन का कोई साधन नहीं मिलने के कारण अपने घरों की ओर पैदल चल निकले हैं। आज सबसे ज्यादा जरूरत उन लोगों को है जो पटरी पर जीवन जीते हैं या जो रोजाना पैसे कमाकर परिवार का पेट पालते हैं। आज आटा, दाल, चावल जो भी यथाशक्ति दें उससे कराहती मानवता की रक्षा होगी। पंजाब केसरी देशवासियों से आग्रह करता है कि इस महायज्ञीय कार्य में आगे आएं ताकि कोई भूखा नहीं सोये। जो लोग व्यक्तिगत रूप से या फिर सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर कोरोना वायरस से लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं, ये सभी देश के कमांडो हैं। उनके जज्बे को पंजाब केसरी सलाम करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

two × 3 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।