देश में एक बार फिर जिस तरह कोविड या कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है उसे देखते हुए सभी नागरिकों को सचेत जरूर हो जाना चाहिए और सावधानीपूर्वक अपनी दिनचर्या का पालन करना चाहिए। मगर इसका मतलब कतई नहीं है कि देशवासी सकते या दहशत में आ जायें और अनावश्यक घबराहट में हाय-तौबा करने लगें जिसका असर आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ने लगे। बेशक चीन में कोरोना का प्रकोप तीव्र गति में है और वहां की जनता कोविड नियमों के तहत जीने को मजबूर है। चिकित्सा विशेषज्ञों की राय में इसका कारण यह माना जा रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने दो वर्ष पहले कोरोना फैलने के समय से ही इस संक्रमण के विरुद्ध लाकडाउन व अलगाव की नीति अपना रखी है जिसकी वजह से यह सामूहिक रूप से कम से कम साठ प्रतिशत जनता को प्रभावित नहीं कर सका और चीन ने इसकी रोकथाम के लिए अपनी ही वैक्सीन विकसित की है जिसकी प्रतिरोधक क्षमता विश्व की अन्य वैक्सीनों के मुकाबले बहुत क्षीण मानी जाती है।
भारत में कोरोना की दो लहरों के चलते कम से कम 60 प्रतिशत जनता इस संक्रमण के प्रभाव में आ चुकी है और भारत में विकसित देशी व विदेशी वैक्सीनों की प्रतिरोधक क्षमता भी यथायोग्य है। इसके साथ ही भारत के 135 करोड़ नागरिकों में से कम से कम 90 प्रतिशत नागरिकों को कोरोना की दो वैक्सीन लग चुकी हैं जबकि तीसरी अतिरिक्त वैक्सीन लगाने का अभियान जारी है जिसकी वजह से भारत के नागरिकों में कोरोना प्रतिरोधक क्षमता का समुचित विकास हो चुका है। फिर भी वरिष्ठ नागरिकों को विशेषकर अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को मास्क लगा कर ही सार्वजनिक स्थानों पर जाना चाहिए। मगर सभी नागरिकों को भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मास्क लगाकर जाने की सलाह भी भारत सरकार का स्वास्थ्य विभाग दे रहा है।
कोरोना निर्देश नियम जारी होने का मतलब यह होगा कि देश का प्रत्येक नागरिक को उसका पालन करना अनिवार्य होगा। इसका कारण भी यही लगता है कि अभी तक पूरे देश में केवल चार मामले ही कोरोना के नये उपस्वरूप संक्रमण के प्रकाश में आये हैं जिनमें से तीन गुजरात के और एक ओडिशा का है। इनमें से तीन समुचित उपचार से ठीक भी हो गये हैं। अतः कोरोना का यह उपस्वरूप जल्दी ही नियन्त्रण में आने वाला भी लगता है और इससे अधिक लोगों के संक्रमित होने का खतरा भी विशेषज्ञ कम बता रहे हैं। लेकिन कोरोना के खिलाफ भारत ने लड़ाई जिस तरह से लड़ी है और इसे रोकने के लिए जो चिकित्सा व जांच ढांचा खड़ा किया है उसी का परिणाम है कि भारत के 135 करोड़ लोगों में से चार मामले पकड़ में आ गये हैं। इसका श्रेय निश्चित रूप से भारतीय चिकित्सा तन्त्र को जाता है। यदि यह मजबूत तन्त्र पिछले लगभग दो सालों में विकसित न किया गया होता तो इतनी जल्दी ये चार मामले पकड़ में न आ पाते। इसके साथ ही वर्तमान मौसम सर्दी का चल रहा है और उत्तर भारत में शीत लहर चल रही है जिसकी वजह से मौसमी सर्दी–जुकाम व बुखार आदि भी आता है। स्वास्थ्य मन्त्री मनसुख मांडविया ने विगत बुधवार को अपने मन्त्रालय के उच्चाधिकारियों की बैठक करने के बाद स्पष्ट किया कि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है और हमें सावधान रहने की जरूरत है। उनका आंकलन पूरी तरह उचित है क्योंकि कोरोना जिस तरह कुछ- कुछ अन्तराल के बाद भेष बदल कर नये उपस्वरूपों में उभर आता है, उसे देखते हुए गफलत में रहने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हम जानते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में ही किस कदर कोहराम मचाया था। लेकिन हमें इसके साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि कोरोना की लहरों के थपेड़ों से परेशान रही हमारे देश की अर्थव्यवस्था अभी तक उस पटरी पर नहीं चढ़ पाई है जिस पर यह चल रही थी। बामुश्किल नागरिकों के काम-धंधे पुनः चालू हुए हैं और स्थिति सामान्य हुई है। देश में वैक्सीन अभियान चलाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास हुए हैं। या प्रयास अब भी इस तरह जारी रखने होंगे जिससे कोरोना का खतरा भी दूर रहे। वैसे स्वास्थ्य राज्यों का विषय है और राज्य सरकारें अपने क्षेत्र की स्थितियों को देख कर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने आज संसद में कोविड के बारे में वक्तव्य देकर भी इसी बात की पुष्टि की कि जहां विश्व के दूसरे देशों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वहीं भारत में यह कम हो रहे हैं। इसके बावजूद हमें सावधानी बतरने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने नए साल के समारोह और अन्य समारोहों पर भी रोक लगाने का सुझाव दिया है।