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कोरोना वायरस और दिहाड़ीदार मजदूर

बेमौसमी वर्षा और ओलावृष्टि ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में किसानों की कमर तोड़ी दी है।

एक तरफ कोरोना वायरस से देश में खौफ बढ़ रहा है। महानगरों में बंद जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। दूसरी तरफ मार्च महीने में हुई जबरदस्त वर्षा और ओलावृष्टि के चलते गेहूं, आलू, प्याज, चना, सरसाें समेत रबी की फसल को काफी नुक्सान पहुंचा है। बेमौसमी वर्षा और ओलावृष्टि ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में किसानों की कमर तोड़ी दी है। किसानाें की तबाही का असर आने वाले दिनों में बाजार और घर की रसोई पर भी नजर आएगा। स्कूल, कालेज, शापिंग माल, सिनेमाघर, पहले ही बंद किए जा चुके हैं। अब सड़कों पर लगने वाले साप्ताहिक बाजार तक बंद करने के बारे में विचार किया जा रहा है। अगर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बड़े कदम उठाने पड़े इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकारें तैयार हैं।
हर कोई अपने-अपने नुक्सान की चर्चा कर रहा है। कोई मंदी आने की आशंका जता रहा है तो कोई उद्योग धंधे बंद होने की बात कर रहा है। कोई अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका मिलने की बात कर रहा है तो कोई शेयर बाजार के ध्वस्त होने की बात कर रहा है। डर और आशंकाओं की स्थिति  में उन लोगों का क्या होगा जो दिनभर काम करके मजदूरी पाते हैं और परिवार का भरण-पोषण करते हैं। आपदा के समय सबसे बड़ा संकट दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए ही पैदा हो जाता है। देशभर में करोड़ाें लोग दिहाड़ीदार श्रमिक हैं। एक मजदूर देश के निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभाता है। किसी भी समाज, देश संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहमियत किसी से भी कम नहीं आंकी जा सकती। इनके श्रम के बिना औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना नहीं की जा सकती।
 मजदूरों का बड़ा वर्ग सीधा कृ​षि  कार्यों से भी जुड़ा है जो लोग सब्जी, फल बेचते हैं वह भी परोक्ष रूप से कृष से ही संबंधित हैं। ​फैक्ट्रियों और कम्पनियों में करोड़ों लोग मजदूरी करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि देश का मजदूर वर्ग शोषण का शिकार है। कोरोना वायरस से अगर लाकडाउन की स्थिति बनती है तो दिहाड़ीदार मजदूर के लिए भरण-पोषण का संकट खड़ा हो जाएगा। शहरों में रोजी-रोटी की तलाश में आए मजदूर फसल कटाई के सीजन में अपने-अपने गांवों को लौट जाते हैं, क्योंकि उन्हें गांव के खेतों में काम मिल जाता है। लेकिन अबकी बार वर्षा और ओलावृष्टि से खेतों में खड़ी फसल तबाह हो गई है तो स्पष्ट है कि फसल कटाई के दिनों में भी बेरोजगारी का आलम छाया रहेगा।
दिहाड़ीदार मजदूरों के संबंध में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना वायरस से पीडि़त मरीजों का इलाज मुफ्त में कराने का ऐलान करने के साथ-साथ दिहाड़ीदार मजदूरों के भरण-पोषण सरकारी धन से कराने का ऐलान किया है। दिहाड़ीदार मजदूरों के खाते में सरकार कुछ धनराशि भेजेगी। इस संबंध में सरकार ने वित्त, श्रम और कृषि मंडी को शामिल कर समिति गठित की है। इस कमेटी की रिपोर्ट पर दिहाड़ीदार श्रमिकों की रोजी-रोटी सुनिश्चित की जाएगी। फिलहाल दिहाड़ी मजदूरी अभी पूरी तरह बंद नहीं हुई है लेकिन कोरोना वायरस से सबकुछ बंद होने की स्थिति  में योगी सरकार द्वारा पहले से ही तैयारी करना एक महत्वपूर्ण कदम है।
योगी सरकार के फैसले का अनुशरण दूसरी राज्य सरकारों को भी करना चाहिए ताकि दिहाड़ीदार श्रमिकों के भूखे मरने की नौबत नहीं आए। केन्द्र सरकार को भी दिहाड़ीदार श्रमिकों के बारे में कोई न कोई नीति बनानी होगी। कोरोना वायरस से निपटने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना पूरी दुनिया में हो रही है। इस महामारी ने भले ही सामाजिक दूरियां बढ़ा दी हों लेकिन पूरे विश्व को इस वायरस से लड़ने के लिए एक-जुट कर दिया गया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन लगातार स्थिति  की समीक्षा का हर संभव कदम उठा रहे हैं। देश में और अधिक जांच केन्द्र और  आसोलेशन सैंटर बनाए जा रहे हैं। देशवासियों को पूर्ण विश्वास है कि भारत कोरोना वायरस से युद्ध जीत लेगा। 
वायरस को पराजित करने के लिए जरूरी है कि देश की जनता सरकार को सहयोग दे।और अपनी आदतें बदले और स्वच्छता पर ध्यान दें। समाज के हर वर्ग को एक-दूसरे का ध्यान रखना होगा चाहे वह कोई उद्योगपति हो या दिहाड़ीदार मजदूर। शिक्षकों को अपना समय समाज को जागरूक करने में लगाना होगा। श्रमिकवर्ग बस्तियों में सफाई अभियान चला सकता है। धार्मिक स्थलों पर हवन-यज्ञ कर वातावरण को वायरस मुक्त किया जा सकता है। 

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।