चीन में फैले कोरोना वायरस से दर्जनों देशों में न सिर्फ मौतें हो रही हैं बल्कि इससे पूरी दुनिया सहम उठी है। चीन से बाहर इटली, दक्षिण कोरिया और ईरान तक में कोरोना वायरस कहर ढा रहा है। इस वायरस के चलते न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है बल्कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा बन चुका है। चीन की अर्थव्यवस्था तो प्रभावित हो चुकी है और चीन के सामने इस महामारी पर काबू पाना बड़ी चुनौती तो है ही, साथ ही उससे भी बड़ी चुनौती अपनी अर्थव्यवस्था को संभालना है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टालीना जार्जीवा ने कोरोना वायरस से वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार की गति पर जोखिम की चेतावनी दे दी है। सऊदी अरब में जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों तथा केन्द्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर में अनुमानित सुधार अब और नाजुक दौर में पहुंच गया है। हैरानी की बात तो यह भी है कि महामारी से बुरी तरह त्रस्त चीन अभी भी भारत विरोधी रुख छोड़ नहीं रहा है।
भारत की ही तरह जापान, यूक्रेन और फ्रांस के विमान चीन के वुहान शहर से अपने नागरिकों को निकालना चाहते हैं। चीन ने जापान, यूक्रेन और फ्रांस के विमानों को तो इजाजत दे दी है लेकिन भारत को वह इंतजार करा रहा है। इससे पहले भारत वुहान में फंसे भारतीय छात्रों को निकाल कर ले आया था। वुहान में अभी भी सौ भारतीय फंसे हुए हैं। कोरोना वायरस चीन की जेलों में पहुंच चुका है। इटली के 12 शहरों में सन्नाटा छा गया है, लोग डर के मारे घरों में दुबक कर बैठ गए हैं। दक्षिण कोरिया में हालात गंभीर हो रहे हैं। सिंगापुर, थाइलैंड और अन्य देश भी प्रभावित हो चुके हैं।
कोरोना वायरस से संक्रमण के डर से एशियाई विमानन कंपनियों की मांग में गिरावट आनी शुरू हो गई। पर्यटन पर जाने वाले लोगों ने अपना इरादा छोड़ दिया है। इससे वैश्विक विमानन बाजार को 20 अरब डालर की चपत लग सकती है। चीनी विमानन कंपनियों को तो बहुत ज्यादा नुक्सान हो रहा है। कई देशों ने चीन जाने और वहां से लौटने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ब्रिटिश एयरवेज, जर्मनी की लुफ्थांसा, आस्ट्रेलिया की क्वांटस और अमरीका की तीन बड़ी कंपनियों ने मई तक के लिए चीन की उड़ानें बंद कर दी हैं।
भारतीय विमानन कंपनी एयर इंडिया ने भी जून तक चीन के लिए उड़ानें बंद कर दी हैं। दक्षिण कोरिया और जापान के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है। चीन का आटोमोबाइल सैक्टर बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। फरवरी के पहले दो सप्ताह में यात्री कारों की बिक्री में 92 प्रतिशत की भारी गिरावट आ चुकी है। चीन से कई वस्तुओं के आयात में कमी आई है। भारत जैनेरिक दवाओं के लिए चीन पर निर्भर है क्योकि दवाओं की प्रोडक्शन के लिए भारत चीन से एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स आयात करता है। यह एक तरह से कच्चा माल होता है।
वर्ष 2019 में भारत ने अनेक देशों को जैनरिक दवाओं का निर्यात कर अरबों रुपए कमाये थे। अब चीन से कच्चे माल का आयात रुक गया है और भारत में जैनेरिक दवाओं का उत्पादन कम हुआ है। भारत दुनिया में कॉटन का सबसे बड़ा उत्पादक है, चीन कॉटन हमसे आयात करता है। इस माह चीन को करीब 5 लाख गांठ कॉटन निर्यात नहीं होगा। विदेशी चीनी सामान और खाद्य उत्पाद खरीदने से भी डर रहे हैं। ऐसी स्थिति में चीन का अंदरूनी और बाहरी दोनों तरह का नुक्सान हो रहा है। कई बड़ी कंपनियां मसलन फर्नीचर कंपनी आईकिया, स्टारवक्स ने चीन में अपना कारोबार बंद कर दिया है। वैश्वीकरण के दौर में चीन से कई देशों की अर्थव्यवस्था को नुक्सान से पड़ोसी देशों पर प्रभाव पड़ना तय है।
कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि यह वायरस चीन का जैविक हथियार है और यह वुहान की एक प्रयोगशाला से निकला है। अगर यह सच है तो यह चीन की एक साजिश है। ऐसे कयासों और रिपोर्टों से पूरी दुनिया में चीन की विश्वसनीयता की साख दाव पर लग चुकी है। चीन ने ऐसे कयासों को राजनीतिक वायरस बताया है और कहा है कि ऐसी सनसनीखेज रिपोर्ट चीन को बदनाम करने की साजिश है। चीन महामारी का मुकाबला युद्ध स्तर पर कर रहा है और चीन में इसका प्रभाव भी कम हो रहा है लेकिन दुनिया के 26 देश इस वायरस से प्रभावित हैं।
रूसी मीडिया ने दावा किया है कि अमेरिका ने जार्जिया की प्रयोगशाला में इंसान पर जैविक हथियारों का परीक्षण किया है। इसके पीछे फार्मा कंपनियां काम कर रही हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि वुहान में चीन का जैविक हथियार केन्द्र है। यहां मारक विषाणुओं पर काफी काम होता है। हो सकता है यह वायरस वुहान की प्रयोगशाला से ही निकला हो। सच क्या है और झूठ क्या है इसको अभी तय नहीं किया जा सकता लेकिन चीन के सामने पूरी दुनिया में अपनी विश्वसनीयता कायम रखने का बड़ा संकट पैदा हो चुका है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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