चाइनीज ऐप और मोबाइल गेम के बाद अब केन्द्र सरकार ने जुआ या स्किल वाले ऑनलाइन गेमिंग पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली। ऑनलाइन गेमिंग को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों से सवाल उठते रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग ने युवा और बच्चों के जीवन को काफी हद तक प्रभावित किया है। कोरोना महामारी के दौरान लम्बे चले लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन गेमिंग ऐप तेजी से लोकप्रिय हुए। तब घरों में बंद लोगों ने ऑनलाइन गेमिंग के सहारे अपना समय बिताया, लेकिन इनके साथ ही समाज में विकृतियां भी उभरने लगीं। लोग इसकी लत का शिकार होते रहे। फिर कुछ ऐसी ऐप भी आ गई जो खुलेआम जुआ और सट्टा खेलने को प्रोत्साहित करती थी। स्किल के नाम पर सामाजिक कुरीतियों को बढ़ावा दिया गया। फिर मोबाइल लोन ऐप सामने आए और उन्होंने झटपट तुरन्त लोन देने के नाम पर युवाओं के साथ-साथ कारोबारियों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया। ऐसी खबरें लगातार आती रही हैं कि किशोर और युवा अभिभावकों से छुपकर गेम्स खेलते हैं या लोन लेते हैं, फिर उन्हें लूटा जाता है। कई युवा अपने अभिभावकों को लाखों का चूना लगा चुके हैं। मोबाइल प्ले स्टोर पर अनगिनत ऐप आ गए जो आपको सस्ते में लोन देने का दावा करते हैं। लोग फंसते गए और उन्हें पता ही नहीं था कि इस फ्रॉड से बाहर कैसे निकलें।
वित्त विशेषज्ञों ने भी इन एेप्स को बच्चों, युवाओं को भ्रमित कर ठगी करने वाला करार दिया था। ऑनलाइन गेमिंग एेप्स पर अंकुश लगाने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करने की जमकर वकालत की गई थी। इसके बाद से ही इलैक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने काम करना शुरू कर दिया था। मंत्रालय ने अब ऑनलाइन गेमिंग कम्पनियों के लिए नियमों का मसौदा जारी कर दिया है। इस मसौदे में ऑनलाइन गेमिंग कम्पनियों के लिए भारत में लागू कानूनों का अनुपालन जरूरी कर दिया गया है। अब सट्टेबाजी से संबंधित कानून इन कम्पनियों पर लागू होंगे। इन कम्पनियों को स्व-नियामकीय निकाय के साथ पंजीकृत करने, इनके भारतीय पतों और गेम खेलने वालों के सत्यापन को अनिवार्य करने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों को जिम्मेदार ढंग से संचालित करना है। ऑनलाइन कम्पनियों को खेल में शामिल लोगों की जमा राशि की निकासी या रिफंड, जीती हुई रकम के विवरण, फीस और अन्य शुल्कों के बारे में बताना होगा। स्व-नियामकीय निकाय कम्पनियों और खेलने वाले लोगों के बीच शिकायतों का निपटारा भी करेगा। स्किल आैर जुआ संबंधी सभी तरह के गेम जिनमें पैसा शामिल होता है, सरकार के रेगुलेशन के दायरे में होंगे। जिन गेम्स से धन कमाया जाता है उन पर सरकार की नजर रहेगी।
इसी साल अगस्त में नियमन का मसौदा तैयार करने वाले एक भारतीय पैनल ने यह तय करने के लिए एक नए नि काय का प्रस्ताव रखा था कि क्या गेम में स्किल या अवसर शामिल हैं, और फिर स्किल गेम्स को नियोजित संघीय नियमों द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए। शिकायत निवारण तंत्र द्वारा एक समिति बनाने के लिए कहा गया था, जो यह तय करे कि स्किल गेमों के लिए रजिस्ट्रेशन हो और जुआ आधारित गेम राज्य सरकार की निगरानी में नियंत्रित किए जाने का उल्लेख किया गया था। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार 26 अक्तूबर की एक सरकारी बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस तरह के भेदभाव पर आपत्ति जताई और सभी प्रकार के खेलों पर विस्तारित निरीक्षण की मांग की। प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना था कि कानूनी स्पष्टता की कमी और अदालती फैसलों के विपरीत होने के कारण गेमिंग को स्किल या अवसर के रूप में अलग करना आसान नहीं था। अधिकारी का कहना था कि ऑनलाइन गेमिंग को बिना किसी भेद के एक गतिविधि, सेवा के रूप में माना जा सकता है और हर तरह के गेम पर नजर रखनी चाहिए।
भारत में ऑनलाइन गेम्स को परिभाषित करना विवादास्पद रहा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ताश के गेम और कुछ फैंटेसी गेम कौशल आधारित हैं और कानूनी हैं जबकि विभिन्न राज्यों की अदालतों ने इन खेलों के बारे में अलग-अलग विचार रखे। भारत में गेमिंग सैक्टर तेजी से बढ़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार 2026 तक भारत में गेमिंग सैक्टर सात बिलियन डॉलर के लगभग हो जाएगा और इसमें रियल मनी गेम का प्रभुत्व अधिक होगा। ऑनलाइन गेमिंग सैक्टर को भारत में पिछले दिनों से काफी रफ्तार मिली है। इसे देखते हुए इनका विनियमन जरूरी समझा जाने लगा था। जिन गेम्स में धन लिप्त है उनके व्यापार पर निगरानी रखी ही जानी चाहिए। सरकार तो अपना काम कर रही है लेकिन अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों और युवाओं की आदतों और व्यवहार पर नजर रखें, ताकि वो इनकी लत का शिकार न हो जाएं। ऑनलाइन गेम्स के जोखिमों के बारे में अभिभावकों को पता होना ही चाहिए।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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