लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगाओ

NULL

रोटी, कपड़ा और मकान जिन्दगी की जरूरत है। रोटी, कपड़े का जुगाड़ तो आदमी कर लेता है लेकिन अपने घर का सपना पूरा होते-होते वर्षों बीत जाते हैं। लाखों लोगों को तो रिटायरमेंट के बाद भी घर नसीब नहीं होता। लाखों लोगों ने बिल्डरों की विभिन्न परियोजनाओं में फ्लैट बुक करवा रखे हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुडग़ांव, फरीदाबाद, यहां तक कि मथुरा-वृन्दावन तक परियोजनाएं चल रही हैं लेकिन लोगों को समय पर फ्लैट नहीं मिल रहे। रियल एस्टेट सैक्टर में बिल्डरों की मनमानी और फ्लैट धारकों की मजबूरियों की कहानियां नई नहीं हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि बिल्डरों ने लोगों से जमींदारों जैसा व्यवहार किया। रियल एस्टेट सैक्टर में अनेक ‘माल्या’ ढूंढे जा सकते हैं। अधिकांश लोग शिकायत करते हैं कि उन्हें तीन वर्ष के भीतर घर मिलने की बात कही गई थी परन्तु अभी तक घर नहीं मिला और घर मिलने की सम्भावना भी नहीं दिख रही। ग्राहकों के साथ डेवेलपमेंट अथॉरिटी भी दोषी है जिसने निगरानी का काम ही नहीं किया। ऐसा नहीं है कि अथॉरिटी को बिल्डरों की करतूतों का पता नहीं होता फिर भी ऑफिसर आंखें बन्द किए बैठे होते हैं क्योंकि रिश्वत या राजनीतिक दबाव उन्हें ऐसा करने को मजबूर कर देता है। रियल एस्टेट सैक्टर अपना भरोसा खो बैठा है। खरीदार नाराज हैं, लोग कई बार अपना आक्रोश भी दिखा चुके हैं लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कन्फैडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवेलपमेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) द्वारा आयोजित सम्मेलन में बिल्डर्स को चेतावनी दे दी है कि यदि डेढ़ साल तक खरीदारों को जल्द फ्लैट नहीं दिए गए तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। रियल एस्टेट क्षेत्र द्वारा योजनाओं को आधा-अधूरा छोड़ देना सबसे बड़ा संकट है। कुछ बिल्डरों ने तो समय-सीमा तय कर दी है जबकि कुछ बिल्डर कोई कदम उठा नहीं रहे हैं। दरअसल बिल्डरों ने लोगों को सब्जबाग दिखाकर एक प्रोजैक्ट के लिए धन एडवांस में लिया, वह प्रोजैक्ट पूरा नहीं हुआ तो दूसरा शुरू कर दिया। डेवेलपर्स द्वारा बिजली, पानी, सड़क, सीवर, ड्रेनेज आदि सुविधाओं का विकास किए बगैर अवैध कालोनियां बसा दी जाती हैं। बाद में इन कालोनियों का नगर निगम या विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहण करके इनके विकास के लिए अभियान चलाया जाता है। इस पर काफी पैसा खर्च होता है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा में इतने फ्लैट बने हुए हैं लेकिन खरीदारों को दिए ही नहीं जा रहे, बिल्डर पैसों के लिए नोटिस ही भेज रहे हैं। सरकार अपने दम पर लोगों के अपने घर का सपना पूरा नहीं कर सकती और रियल एस्टेट सैक्टर सहयोग के लिए पूरी तरह तैयार नहीं।

सरकार ने बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए बनाया गया रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी अधिनियम (रेरा) पारित किया था। रेरा एक तरफ जहां मकान खरीदने वालों के हितों की रक्षा करेगा तो दूसरी तरफ गैर-जिम्मेदार बिल्डरों के कामकाज को भी ठप्प कर सकता है। भारत का रेरा कानून दुबई और अमेरिकी मॉडल पर आधारित है। वहां 2009 में पहली बार रेरा लागू हुआ था तो कई कम्पनियों को अपना कामकाज बन्द करना पड़ा था। वास्तव में अधिकतर कम्पनियां कानून के प्रावधानों का पालन करने में अक्षम थीं। वहां तब करीब 100 से अधिक कम्पनियां बन्द हुई थीं। भारत में भी यही डर है। जो लोग संगठित हैं और पैसे वाले हैं वही बाजार में टिक पाएंगे। रेरा भू-सम्पदा के क्षेत्र में बड़ा सुधार है और इस कानून का अच्छा पहलू यह है कि इसके सामने बेईमान और गैर-जिम्मेदार बिल्डर टिक नहीं पाएंगे। एक जगह से पैसे निकालकर दूसरे क्षेत्र में निवेश करने का काम अब ज्यादा नहीं चल पाएगा। खरीदारों को लाभ मिलेगा। रेरा के होने से लोग अधिक निश्चिंत रहेंगे। अब एक अथॉरिटी है जहां वे अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं।

राज्यों को इस कानून में ज्यादा बदलाव किए बगैर इसे लागू करना होगा। महाराष्ट्र सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है और अन्य राज्य भी इसे लागू करने की प्रक्रिया में हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किए जा रहे आर्थिक सुधारों से कई सकारात्मक बदलाव आए हैं लेकिन पहले से अधूरे पड़े प्रोजैक्टों का मसला हल करना बहुत जरूरी है। जिन लोगों ने पूरे पैसे दे दिए हैं उन्हें तो फ्लैट मिलने ही चाहिएं। इसके लिए केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय और राज्य सरकारों को ठोस कदम उठाने होंगे। रियल एस्टेट क्षेत्र में ‘माल्यों’ को ढूंढ-ढूंढकर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि उनकी कम्पनियां बन्द होने की शक्ल में खरीदारों के हितों की रक्षा की जा सके। देश की काफी शहरी और ग्रामीण आबादी के पास आवास नहीं। केन्द्र ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कदम बढ़ाया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी नोएडा, ग्रेटर नोएडा की बिल्डर-खरीदार समस्या का समाधान करने के लिए हस्तक्षेप करना ही होगा, इससे लोगों को राहत ही मिलेगी। लोगों को अपने घर की तलाश है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × 5 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।