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डेनियल पर्ल हत्याकांड : न्याय का अपमान

पाकिस्तान आतंकवाद का कारखाना है। आतंक की दहकती भट्ठी है। एक नापाक मुल्क जो स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के बावजूद अच्छे तौर-तरीके नहीं सोच रहा।

पाकिस्तान आतंकवाद का कारखाना है।  आतंक की दहकती भट्ठी है। एक नापाक मुल्क जो स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के बावजूद अच्छे तौर-तरीके नहीं सोच रहा। पाकिस्तान गणराज्य होने के बावजूद कबीलों (आतंकी संगठनों) का संगठन नजर आता है। ऐसे में पाकिस्तान से यह उम्मीद करना बेमानी है कि वह विश्व के अन्य देशों के साथ सभ्य, सुसंस्कृत और लोकतांत्रिक मुल्क जैसा व्यवहार करेगा। भिखमंगा और बर्बादी की कगार पर खड़ा पाकिस्तान अपने कुछ मित्र देशों की खैरात से अपना अस्तित्व भी कायम नहीं रख सकता। कौटिल्य ने एक सूत्र दिया था- भेड़िया, सर्प और बिच्छू अपनी गति स्वभाव के अनुसार निर्धारित करते हैं, अतः इनसे जब भी कभी वास्ता पड़ जाए तो इनके स्वभाव को बदलने की चेष्टा नहीं करें क्योंकि उन्हें जीवन जीने देना अपनी मृत्यु का भी पर्याय हो सकता है। भारत की समस्या यह है कि पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है। इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता कि हम भेड़ियों को शाकाहारी नहीं बना सकते। पाकिस्तान ने हमें बहुत गहरे घाव दिए हैं लेकिन यह भी वास्तविकता है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों एवं सरकार की शोषक नीतियों, गरीबी, बेरोजगारी, खाद्यान्न संकट, पुलििसया अत्याचार, सामंतवादी व्यवस्था, सैन्य तानाशाही और सबसे बढ़कर आतंकवाद ने पाक की छवि एक विफल राष्ट्र के रूप में बना दी है। पाकिस्तान अब जबकि खुद को ब्लैक लिस्टेड होने से बचाने के लिए बड़े-बड़े कुख्यात आतंकी सरगनाओं के खिलाफ कार्रवाई की नौटंकी करने में लगा है लेकिन इसी बीच उसने नया कारनामा कर दिखाया। वह कारनामा है अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या के मुख्य आरोपी को रिहा करने का आदेश। यद्यपि यह आदेश पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट का है।
यह सब जानते हैं कि जब तक केस पुख्ता न हो वह अदालतों में ठहर नहीं सकता। डेनियल पर्ल हत्याकांड के दोषियों की रिहाई के आदेश के बाद अमेरिका, भारत सहित दुनिया के कई देशों में सख्त प्रतिक्रिया तो होनी ही थी। भारत ने कहा है कि यह न्याय का मजाक है। अमेरिका ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है। अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ​िब्लंकेन ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री महमूद कुरैशी को फोन पर कड़ी फटकार लगाई और चेतावनी दी कि पाकिस्तान पर्ल काे इन्साफ दिलवाए वरना अमेरिका उसके हत्यारों को सजा देने के लिए तैयार है। अमेरिका की फटकार के बाद पाकिस्तान सरकार डेनियल पर्ल के हत्यारों की रिहाई की समीक्षा करने को तैयार हो गई है और उसने ऐलान किया है कि वह सिंध प्रशासन की ओर से पर्ल के हत्यारों की रिहाई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका में पार्टी बनेगी। पाकिस्तान के ​लिए ड्रामेबाजी करना कोई नई बात नहीं है। अमेरिका से रिश्ते सुधारने के लिए इमरान सरकार किसी भी हद तक जा सकती है। 
वर्ष 2002 में कराची में द वॉल स्ट्रीट जनरल के द​िक्षण एशिया प्रमुख डेनियल पर्ल का सिर कलम कर हत्या कर दी गई थी। डेनियल पर्ल का उस समय अपहरण कर लिया गया था जब वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और अलकायदा के बीच संबंधों पर एक खबर के लिए जानकारी जुटा रहे थे। इस मामले में अहमद उमर शेख और उसके तीन सहयोगियों फहाद नसीम, शेख आदिल और सलमान साकिब को अपहरण और हत्या के केस में दोषी ठहराया गया था। पहले अहमद उमर शेख को मौत जबकि उसके तीन साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी लेकिन सिंध हाईकोर्ट ने अहमद उमर शेख की मौत की सजा बदल कर 7 वर्ष की कैद कर दी और उसके तीन सहयोगियों को भी बरी कर दिया।
भारत ने 1999 में एयर ​इंडिया की उड़ान 814 के अपहृत 150 या​त्रियों की रिहाई के बाद जिन आतंंकवादियों को रिहा किया था उनमें जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और मुश्ताक अहमद जरगर के साथ अहमद उमर शेख भी था। अहमद शेख ने पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का दामन थाम रखा था, उसने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंक की ट्रेनिंग ली। इसके बाद शेख को विदेशी पर्यटकों को अगवा करने के लिए भारत भेजा गया था। शेख का कश्मीर में विदेशी पर्यटकों के अपहरण में हाथ रहा। शेख की गिरफ्तारी हुई तो उसे 1994 में जेल में डाल दिया गया। 5 वर्ष उसने जेल में काटे लेकिन कंधार विमान अपहरण कांड में भारत सरकार को उसे मजबूरीवश छोड़ना पड़ा। डेनियल पर्ल के परिवार ने हत्यारों की रिहाई को न्याय का अपमान बताया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस की तरफ से कहा गया है कि डेनियल पर्ल की हत्या जैसे अपराधों की जवाबदेही तय करना महत्वपूर्ण है। हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों की रिहाई से आतंकवाद पीड़ितों और न्याय पर कुठाराघात है। अमेरिका पाकिस्तान के बारे में सब कुछ जानता है, उसकी पोल खुल चुकी है। इसलिए यह जरूरी है कि जब तक पाकिस्तान की कमर न टूट जाए तब तक भारत को दबाव की रणनीति पर अमल करते रहना होगा। अमेरिका को भी तय करना होगा कि उसे पाकिस्तान को लेकर निर्णायक कार्रवाई कब करनी है। भारत को नाग का रूप धारण कर तांडव की क्षमता दिखानी होगी अन्यथा विषधर (पाकिस्तान) कब क्या कर बैठे विधाता भी नहीं जानता।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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