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बेटियां शिखर पर

भारत की बेटियों ने लम्बी उड़ान भर कर आसमान को छू लिया है। महिलाओं ने डंके की चोट पर साबित किया कि वे न सिर्फ पायलट बन सकती हैं, बल्कि हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा सकती हैं।

भारत की बेटियों ने लम्बी उड़ान भर कर आसमान को छू लिया है। महिलाओं ने डंके की चोट पर साबित किया कि वे न सिर्फ पायलट बन सकती हैं, बल्कि हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा सकती हैं। कोई समय था जब महिलाओं को जोखिम भरे कार्यों से दूर रखा जाता था। अक्सर कहा जाता था कि महिलाओं का काम घर सम्भालना है। वे उड़ान भरने के दौरान मानसिक और शरीरिक तनाव का सामना कैसे करेंगी? महिलाओं को लड़ाकू की भूमिका नहीं दी जाती थी। महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कद, ताकत और शरीरिक संरचना में प्राकृतिक विभिन्नता के कारण कमजोर माना जाता था।
समूचे वैश्विक इतिहास पर गौर करें तो स्पष्ट होता है कि समाज में महिलाओं की केन्द्रीय भूमिका ने राष्ट्रों की स्थिरता, प्रगति और दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। मौजूदा समय में ऐसा कोई भी क्षेत्र शेष नहीं है, जहां महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज न की हो। महिलाओं की भूमिका केवल शिक्षिका, अभिनेत्री, डाक्टर, नर्स और क्लर्क तक सीमित नहीं रही। अब केवल पायलट ही नहीं बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों में लड़ाकू ​भूमिकाओं में हैं। महिलाएं हर क्षेत्र में आत्मविश्वास और साहस के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। अब एयर इंडिया की महिला पायलटों की टीम ने दुनिया के सबसे लम्बे हवाई मार्ग उत्तरी ध्रुव पर उड़ान भरकर नया इतिहास रच दिया है। ये महिलाएं अमेरिका के सेनफ्रांसिस्को से 16 हजार किलोमीटर की दूरी तय करते बेंगलुरु पहुंचीं। दुनिया के इस सबसे लम्बे सफर को तय करने वाली टीम का नेतृत्व किया पायलट कैप्टन जोया अग्रवाल ने। इस उड़ान पर जोया के साथ कैप्टन तनमई पपागिरी, कैप्टन आकांक्षा सोनवने और कैप्टन शिवानी मन्हास थीं। इसके अलावा इस उड़ान में एयर इंडिया की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर (फ्लाइट सेफ्टी) कैप्टन निवेदिता भसीन ने भी सफर किया। एयर इंडिया की इस ऐतिहासक फ्लाइट का सपना तो पिछले वर्ष ही पूरा हो जाता लेकिन खराब मौसम की वजह से उड़ान का इरादा छोड़ना पड़ा था।
ध्रुवीय उड़ान एक आधार पर पहले भी किया गया है लेकिन पहली बार क्रू में सभी महिलाएं रहीं। इस तरह भारत की बेटियो ने अमेरिका के सिलिकाेन वैली से भारत की सिलिकॉन वैली तक  सफल उड़ान भरी। लम्बी दूरी की उड़ान के दौरान मसलन अटलांटिक महासागर के ऊपर से और वापिस की यात्रा या फिर प्रशांत महासागर के ऊपर से फिर अटलांटिका के ऊपर से ​वापिस आना। इसमें कई तरह के बदलाव करने पड़ते हैं लेकिन उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरना अपने आप में अलग बात है। उड़ान भरने वाली जोया अग्रवाल, उसकी सहयोगी पायलटों द्वारा उत्तरी ध्रुव को ऊपर से देखना अपने आप में काफी रोमांचक रहा। इस ऐतिहासिक उड़ान के लिए जिस बोइंग 777-200 एलआर हवाई जहाज का इस्तेमाल किया गया। वह ग्लोब के दो भिन्न कोणों की यात्रा करने में सक्षम हैं। इसमें 238 यात्रियों के बैठने की जगह है। विमान यात्रियों से भरा हुआ था। कैप्टन जोया अग्रवाल काफी सीनियर पायलट हैं और उनके पास 8 हजार घंटे से ज्यादा की उड़ान का अनुभव है, बतौर कमांडर वी-777 हवाई जहाज उड़ाने का उनके पास दस साल से ज्यादा और 2500 घंटे से ज्यादा उड़ानों का अनुभव है। पुरुषों के दबदबे वाले फील्ड में उन्हें खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। जोया अपने माता-पिता की अकेली संतान हैं। अक्सर अकेली संतान को लोग जोखिम भरे कामों से दूर ही रखते हैं। जब जोया ने पायलट बनने की ठानी तो उसकी मां डर के मारे रो पड़ी थीं। जोया पिछले 8 वर्षों से कमांडर की भूमिका निभा रही हैं। 2013 में जब जोया कैप्टन बनी तो उसकी मां फिर से रो पड़ी थीं, लेकिन इस बार खुशी की वजह से रोई थी।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली फ्लाइट लैफ्टीनेंट शिवांगी सिंह दुनिया की सबसे बेहतरीन युद्धक विमानों में से एक राफेल की पहली महिला पायलट बनी थीं। शिवांगी सिंह महिला पायलटों के दूसरे बैच का हिस्सा थीं जिनकी कमिशनिंग 2017 में हुई थी। देश में पहली बार दो नौसेना महिला अधिकारियों सब लैफ्टिनेंट रीति सिंह और सब लैफ्टिनेंट कुमुदिनी त्यागी को नौसेना युद्धपोत पर तैनात किया गया। एयर फोर्स की फ्लाईट लैफ्टिनेंट मोहना सिंह हाक एडवोस्ड जेट में मिशन को अंजाम देने वाली पहली फाइटर पायलट बनीं। वायुसेना की तीन महिला अधिकारियों पारूल भारद्वाज, अमन ​निधि और हिना जायसवाल ने एम I-17 हैलीकाप्टर उड़ा कर इतिहास रचा था। इंडियन एयर फोर्स की फ्लाइंग आफिसर अवनी चतुर्वेदी ने लड़ाकू विमान मिग-21 उड़ाकर  इतिहास रचा था। नौसेना की 6 साहसी महिला अधिकारियों ने नाविक सागर परिक्रमा नामक मिशन आईएलएसवी नौका तारिणी के जरिये पूरा किया था। इस दल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट वर्तिका जोशी ने किया था। गुंजन सक्सेना काे कौन नहीं जानता। कारगिल गर्ल के नाम से मशहूर गुंजन सक्सेना ने कारगिल वार के दौरान चीता हैली​काप्टर उड़ा कर कई भारतीय सैनिकों की जान बचाई थी। उन्होंने ऐसा करके आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल कायम की थी। एयर इंडिया हो या भारतीय सेना महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। महिला  वो शक्ति है, सशक्त है जो भारत की नारी है, न ज्यादा में , न कम में, वो सब में बराबर की अधिकारी है। भारत को अपनी बेटियों की उड़ान पर गर्व है।

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