कल ही मैंने अपने अखबार में खबर देखी कि रिवाॅल्वर और शराब के साथ डांस करने वाले भाजपा के विवादास्पद विधायक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए पार्टी ने उसे निष्कासित कर दिया। मुझे इस बात पर भाजपा के अनुशासन और खास करके मोदी जी और अमित शाह जी के अनुशासनिक एक्शन पर गर्व हुआ क्योंकि कुछ दिन पहले मोदी जी ने नाम न लेते हुए कैलाश विजयवर्गीय के बेटे को भी नसीहत दी थी कि किसी का भी बेटा हो, अनुशासनहीनता नहीं सहन की जाएगी और पार्टी से निष्कासित किया जाएगा और अब अमित शाह के निर्देश पर यह कार्रवाई हुई तो लगा कि देश सही हाथों में है।
यही नहीं जब अश्विनी जी सांसद बने थे तो हमारी अखबार एक निष्पक्ष, निडर, निर्भीक अखबार है जाे किसी पार्टी के साथ नहीं, देश के साथ चलता है और हर पार्टी और नेता की अच्छी-बुरी खबर लगती है तो कुछ सांसदाें के खिलाफ खबर लगी तो उन सांसदाें ने अश्विनी जी को संसद में घेरा और धमकी दी। अश्विनी जी पढ़े-लिखे, बौद्धक व्यक्ति हैं। उन्हें बहुत बुरा लगा। हमने शाम को रजत शर्मा की मशहूर अब तक की टीवी वर्ल्ड के इतिहास में बड़ी पार्टी में जाना था जहां सभी नेता, अभिनेताओं ने आना था, क्योंकि अश्विनी जी रजत के बहुत करीब हैं तो एक उत्साह था। मैंने बहुत कहा कि चलें, रजत शर्मा जी और ऋतु नाराज होंगे परन्तु अश्विनी जी अपने मन में यह सोच रहे थे कि सांसद बनकर अखबार चलाना मुश्किल हो जाएगा, वह नहीं गए। वह सारी रात विचलित रहे।
एक पत्नी होने के नाते मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सुबह उठते ही अश्विनी जी को बताए बगैर अरुण जेतली जी और मोदी जी को सुबह 5 बजे फोन किए। मोदी जी झट से फोन पर आए और उन्होंने कहा-बताओ किरण जी सब कुशल-मंगल है तो उन्हें मैंने सारी बात बताई और कहा कि ऐसे हम कैसे अखबार चला सकेंगे और लोकतंत्र को बचा सकेंगे तो उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि किरण जी आप चिन्ता न करें, सब मुझ पर छोड़ दो। यही आश्वासन मुझे अरुण जेतली जी से भी मिला। वो दिन गया, वे सांसद जहां भी मिलते अश्विनी जी को झुक कर प्रणाम करते या रास्ता बदल लेते थे। मुझे गर्व हुआ कि अश्विनी जी एक अनुशासित पार्टी में हैं। अश्विनी जी 5 साल एक सफल सांसद रहे और अखबार को भी निर्भीक, निष्पक्ष चलाया जो बहुत कठिन काम है। अश्विनी जी कहते थे कि जब मैं संसद और निर्वाचन क्षेत्र में जाता हूं तो सांसद हूं और जब पैन पकड़ता हूं तो एक निष्पक्ष, निडर, निर्भीक पत्रकार हूं जिसमें लालाजी-रोमेश जी का खून है जिन्होंने निर्भीक पत्रकारिता की है।
अब बात आती है कि अक्सर हम देख रहे हैं कि बहुत से मामले आते हैं, कभी बारात में कोई गोली चला देता है, कोई अपनी पिस्टल से खुद को गोली मार लेता है या किसी और को मार देता है। मुझे समझ नहीं आता कि ऐसे लोगों के पास हथियार कहां से आते हैं। अश्विनी जी ने अपने 5 साल के कार्यकाल में एक भी व्यक्ति को लाइसेंस नहीं बनवाकर दिया। लोग मुंह पर कह देते हैं कि फलां विधायक ने इतने लाइसेंस बनवाकर दिए परन्तु अश्विनी जी साफ मना कर देते थे कि मैं इसके पक्ष में नहीं हूं परन्तु कई युवा जेनुअन भी होते थे कि अगर उन्हें लाइसेंस मिल जाए तो उन्हें सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल जाएगी।
मेरा मानना है कि देश में सख्त कानून लागू हो कि किसी के पास हथियार नहीं होना चाहिए। सेल्फ डिफेंस या नौकरी के लिए हाें तो कोई एजेंसी बने क्योंकि बहुत से बेरोजगार युवक हैं, अगर उनके लिए स्पेशल एजेंसी खोली जाए तो उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग भी दें, नौकरी भी दें और उनमें यह बात भरी जाए कि यह पिस्टल या हथियार सुरक्षा की एक बड़ी जिम्मेदारी है, एन्टरटेनमेंट के लिए नहीं है।