लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

जम्मू-कश्मीर में जनता की जिला परिषदें

केन्द्रीय मन्त्रिमंडल की बैठक में सरकारी कर्मचारियों को बोनस देने के अलावा दूसरा महत्वपूर्ण फैसला जम्मू-कश्मीर राज्य में त्रिस्तरीय स्थानीय प्रशासन को मजबूती से लागू करने का भी हुआ

केन्द्रीय मन्त्रिमंडल की बैठक में सरकारी कर्मचारियों को बोनस देने के अलावा दूसरा महत्वपूर्ण फैसला जम्मू-कश्मीर राज्य में त्रिस्तरीय स्थानीय प्रशासन को मजबूती से लागू करने का भी हुआ। राज्य में धारा 370 समाप्त किये जाने के बाद लोकतान्त्रिक प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है जिससे आम लोग अपने विकास कार्यों में सक्रिय भागीदारी कर सकें। विगत 16 अक्टूबर को गृह मन्त्रालय ने राज्य के 1989 के पंचायत राज कानून में संशोधन किया था जिसे मन्त्रिमंडल ने मंजूरी देते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी जिले की जिला विकास परिषद के चुनावी सीधे मतदाताओं  द्वारा कराये जायेंगे और विकास का बजट इन्हीं परिषदों द्वारा खर्च किया जायेगा। वास्तव में यह सत्ता के विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया ही है जो लोकतन्त्र की सफलता के लिए एक शर्त के रूप में देखी जाती है। इसके साथ ही गांव पंचायत और ब्लाक समितियां भी रहेंगी जिनका चुनाव आम मतदाता ही करते हैं। नये संशोधित कानून का प्रभाव यह होगा कि जिला विकास परिषदों में अब सीधे जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि​ पहुंचेंगे जहां पहुंच कर वे अपना चेयरमैन व नायब चेयरमैन चुनेंगे। इसके लिए प्रत्येक जिले को 14 चुनाव क्षेत्रों में बांटा जायेगा और प्रत्येक से एक-एक प्रतिनििध चुना जायेगा। इन्हीं चुने हुए प्रतिनिधियों में से एक व्यक्ति चेयरमैन व एक नायब चेयरमैन होगा।
राज्य सरकार जिले के विकास के लिए जो भी योजना तैयार करेगी उसका सारा खर्च इसी परिषद के माध्यम से होगा और यह परिषद अपने जिले के विकास की परियोजनाएं भी तैयार करेगी। धारा 370 के चलते जिला विकास परिषदों को बोर्ड कहा जाता था और इसका चेयरमैन राज्य सरकार का कोई मन्त्री होता था तथा विधायक व सांसद सदस्य होते थे। अब इनके स्थान पर जनता द्वारा चुने गये अपने प्रतिनिधि होंगे जिससे विकास सीधे जमीन पर उतरने में सुविधा होगी। जिला विकास परिषदों के चुनाव होने के साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव जल्दी होने में भी मदद मिलेगी। जिला परिषदों के चुनाव राजनीतिक आधार पर ही होंगे जिससे राज्य में राजनीतिक गतिविधियों की सामान्य शुरूआत होने में मदद मिलेगी। पूरे मामले में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि जिला परिषदों का पूर्ण रुपेण लोकतन्त्रीकरण होगा।
 जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदलते हुए प्रधानमन्त्री ने राज्य के लोगों से यह वादा किया था कि उनके विकास की डोर उनके ही हाथों में सौंपी जायेगी जिससे स्थानीय जरूरतों के आधार पर परियाेजनाएं बन सकें और उनका क्रियान्वयन हो सके। ठीक यही वादा संसद में गृह मन्त्री श्री अमित शाह ने भी किया था परन्तु कुछ महीने पहले राज्य के राज्यपाल को बदले जाने के बाद से ये अटकलें  लगनी भी शुरू हो गई थीं कि विधानसभा के चुनाव जल्दी कराये जायेंगे। राज्यपाल पद पर भाजपा नेता श्री मनोज ​सिन्हा के बैठने के बाद राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया को तेज करने की अटकलें शुरू हुईं और इसके बाद पूर्व मुख्यमन्त्री व पीडीपी पार्टी की अध्यक्ष श्रीमती महबूबा मुफ्ती की जेल से रिहाई भी हुई। नेशनल कांफ्रैंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला समेत राज्य के सभी क्षेत्रीय नेताओं की केन्द्र से शिकायत यह है कि उसने धारा 370 समाप्त करके जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों का हनन किया है जबकि केन्द्र ने जिला परिषदों का चुनाव नये कानून के तहत कराने की इच्छा व्यक्त करके यह सन्देश दिया है कि वह इस राज्य के लोगों को ऐसे अधिकारों से सम्पन्न करना चाहती है जिनसे उनका आर्थिक व सामाजिक विकास तेजी के साथ हो और प्रशासन में सीधे उनकी सक्रिय भागीदारी हो।  इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के सेब उत्पादकों  और किसानों के लिए भी मन्त्रिमंडल ने एक अहम फैसला किया और सेब की फसल को केन्द्रीय एजेंसी नेफेड द्वारा खरीदे जाने की व्यवस्था की। नेफेड सेबों को राज्य की सरकारी एजेंसियों की मार्फत सीधे किसानों से खरीदेगी और उनका भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में करेगी। इससे सेब की पैदावार करने वाले किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा। उनकी फलों की खेती का मूल्य उन्हें सुनिश्चित अच्छी दरों पर मिलेगा और उसका भुगतान तुरत-फुरत होगा। इससे सेब की पैदावार करने वाले किसान बिचौलियों के झंझट से मुक्त होंगे। 
सरकार ने नेफेड से कहा है कि वह सेबों की खरीदारी पर 2500 करोड़ रुपए खर्च कर सकता है। इस कारोबार में अगर उसे घाटा होता है तो उसे केन्द्र व राज्य प्रशासन मिल कर आधा-आधा वहन करेंगे। केन्द्र के मौजूदा कदमों को देख कर निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर के केन्द्र प्रशासित राज्य बन जाने के बाद गृह मन्त्रालय ऐसे कदम उठा रहा है जिनसे राज्य के लोगों में आर्थिक आत्म निर्भरता बढे़ और राजनीतिक सहभागिता का भाव जागृत हो जबकि दूसरी तरफ राज्य के राजनीतिक दलों ने बायकाट का आह्वान किया हुआ है मगर जिला परिषदों का ढांचा बदलने से राज्य में राजनीतिक सक्रियता बढ़नी लाजिमी लगती है क्योंकि इसमें सीधे आम आदमी की भागीदारी तय की गई है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × 2 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।