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प्यार से बैर नहीं, जिहाद की खैर नहीं…

सरकारों को कभी मोहब्बत से बैर नहीं लेकिन जिहाद की खैर भी नहीं होनी चाहिए। इसी के ​दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाए जाने के बाद मध्य प्रदेश में भी ऐसे ही विधेयक को शिवराज मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।

सरकारों को कभी मोहब्बत से बैर नहीं लेकिन जिहाद की खैर भी नहीं होनी चाहिए। इसी के ​दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाए जाने के बाद मध्य प्रदेश में भी ऐसे ही विधेयक को शिवराज मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में धर्म छिपा कर या किसी को धोखा देकर शादी करने पर दस वर्ष की कैद का प्रावधान है। यह विधेयक कल मध्य प्रदेश विधानसभा के सत्र में पेश किया जाएगा। विधेयक सदन में पारित भी हो जाएगा। ये नया कानून माैजूदा धर्म स्वतंत्रता कानून 1968 की जगह लेगा। लव जिहाद के नाम पर पिछले कुछ वर्षों में जितनी हिंसा हुई है वो शायद ही देश ने पहले कभी देखी है। ‘लव जिहाद’ शब्द अब देश की एक बड़ी समस्या बन गया है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर का उदाहरण हमारे सामने है। एक बर्थडे पार्टी से लौट रही एक हिन्दू युवती के मुस्लिम साथी को भीड़ ने पीटा फिर पुलिस ने 18 वर्ष के लडके को ‘लव जिहाद’ के केस में जेल भेज दिया। पुलिस ने उस पर लड़की को अगवा कर जबरदस्ती धर्म परिवर्तन को मजबूर करने का केस कर दिया है। लड़की कहती रही ‘लव जिहाद’ नहीं हुआ, न तो लड़के ने उसे धर्म बदलने को कहा, न शादी करने को कहा। पुलिस ने जबरदस्ती केस बना दिया।
ये एक पितृसत्तात्मक समान की हिंसक मोरल पुलिसिंग है जो न लड़के को जानती है आैर न ही लड़की को लेकिन उन्हें साथ देख इनका खून खौला कि 18 साल के लड़के को पीट-पीट कर बेहाल कर दिया। अब वह जेल में है। लव जिहाद कानून के दुरुपयोग का मामला मुरादाबाद जिले में भी सामने आया। धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत हिन्दू लड़की से जुलाई में शादी करने वाले युवक राशिद और उसके भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हिन्दू लड़की की गवाही के बाद अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया। मुरादाबाद पुलिस उन पर जबरन धर्म परिवर्तन का कोई सबूत पेश नहीं कर सकी। इस दौरान लड़की का गर्भपात भी हो गया।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी अन्तरजातीय विवाह करने वाले दम्पति को पुलिस संरक्षण दिया है। लव जिहाद के नाम पर निर्दोष लोग शिकार हो रहे हैं।
भारत जैसे देश में धार्मिक और जातीय संघर्षों, कुरीतियों को खत्म करने के लिए अन्तरजातीय विवाहों को बढ़ावा दिया गया। समाज का एक वर्ग मानता है कि लव जिहाद कानून मानवािधकाराें का उल्लंघन करता है। अदालताें में लगातार लव जिहाद को नकारा है। केरल लव जिहाद के नाम से मशहूर हादिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने बालिग  हादिया को उसके मुस्सिम धर्म के पति के साथ रहने की इजाजत देते हुए साफ कहा था कि बालिग हादिया अपने मनपसंद वर को चुनने और साथ रहने के लिए स्वतंत्र है जबकि इस मामले में लव जिहाद के एंगल की जांच करने के लिए एनआईए जैसी जांच एजैंसी को लगाया गया था जिसे जांच में कुछ नहीं मिला। संविधान का अनुच्छेद 25 कहता है कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की, आचरण करने तथा धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है। जब पहले से ही संविधान में मौलिक अधिकारों के तहत धर्म को मानने की स्वतंत्रता है तो फिर राज्य यह कैसे तय कर सकता है कि कोई व्यक्ति किसी भी धर्म को मानने या न मानने का कारण सरकार या अधिकारी या किसी भी शख्स को बनाए। कोलकाता हाईकर्ट ने भी हाल ही में एक मामले में फैसला दिया कि बालिग लड़कियों को यह अधिकार है कि वह किसे अपना जीवन साथी चुने। अगर लड़का-लड़की बालिग हैं और शादी के लिए धर्मपरिवर्तन करते भी हैं तो कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत नदीम पर आपराधिक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी। जजों ने निजता के मौलिक अधिकार का हवाला दिया। जजों ने कहा कि महिला और पुरुष के पास निजता का मौलिक अधिकार है, दोनों ही व्यस्क हैं।
लव जिहाद असल में तब होता है जब मुस्लिम लड़के खासतौर पर हिन्दू लड़कियों को टार्गेट करते हैं और अपने धर्म में लाते हैं। सिर्फ प्यार का झांसा देकर, इसके बाद उनसे देह व्यापार से लेकर इस्लाम का परचम फैलाने तक कई काम करवाए जाते हैं। लव जिहाद की कोई सही परिभाषा नहीं है। अगर कोई जोड़ा  वास्तव में प्यार करता है और शादी करके खुशहाल जिन्दगी जी रहा है तो उसे लव जिहाद तो कतई नहीं कहा जाना चाहिए।
पाठकों को याद होगा कि राजस्थान के राजसमंद में तीन वर्ष पूर्व एक मुस्लिम की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। पहले उस पर कुल्हाड़ी से वार किए गए और फिर उसे जिंदा जला दिया गया था। वो चीखता रहा परन्तु हत्यारा शम्भूलाल वीडियो बनाता गया। फिर उसने वीडियो सोशल मीडिया पर भी डाला और इस हत्या का मकसद लड़की को ल​व जिहाद से बचाना था। 
लव जिहाद कानून की अड़ में धर्म के तथाकथित ठेकेदारों की शिकायत पर पुलिस विवाह रोक रही है। जिस तरह देश में दहेज कानूनों को दुरुपयोग हुआ उसी तरह लव जिहाद कानून का दुरुपयोग सामने आ रहा है। राज्यों और पुलिस प्रशासन को कानूनी कार्रवाई बड़ी सोच-समझ कर करनी चाहिए, अन्यथा निर्दोष लोग इसका शिकार होते गए तो फिर जिस उद्देश्य के ​लिए कानून बनाया गया है, वह उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। लव जिहाद कानून का विश्लेषण करना भी जरूरी है क्योंकि इसे मानवाधिकारों के हनन का हथियार नहीं बनाया जा सकता है। जहां मोहब्बत है उससे बैर नहीं होना चाहिए लेकिन जिहाद की भी खैर नहीं होनी चाहिए।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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