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कोई पत्थर से न मारे फरिश्तों को…

आज सारी दुनिया कोविड-19 यानी कोरोना से जूझ रही है। मेरी लगभग रोज अमेरिका, लंदन में रह रहे अपने रिश्तेदारों से बात होती है। बाकी देशों के बारे में भी खबरें मिलती हैं, उनके हिसाब से और बातचीत से यही मालूम पड़ता है

आज सारी दुनिया कोविड-19 यानी कोरोना से जूझ रही है। मेरी लगभग रोज अमेरिका, लंदन में रह रहे अपने रिश्तेदारों से बात होती है। बाकी देशों के बारे में भी खबरें मिलती हैं, उनके हिसाब से और बातचीत से यही मालूम पड़ता है कि हमारे भारत की स्थिति उनसे कहीं बेहतर है। अभी की उनकी जनसंख्या और भारत की जनसंख्या के हिसाब से भारत में बहुत तबाही का अंदेशा था। हर इंसान के अन्दर भय था कि न जाने कब किसकी बारी आ जाए क्योंकि यह किसी को भी हो सकता है और भारतीयों का लाइफ स्टाइल ऐसा है कि अभी तक लाखों लोगों का इस चपेट में आना सम्भव था, परन्तु हमारे देश के मुखिया, प्रधानमंत्री की नीति, सूझबूझ, दिशा-निर्देश और अपने व्यक्तिगत लगाव से लोगों को संबोधित किया। कभी तालियां बजवाईं, कहीं दीप जलवाए ताकि लोगों में एकजुटता आए और सामूहिक कोशिशों एवं  संकल्प शक्ति से कोरोना को परास्त कर सकें। प्रधानमंत्री का साथ जनता ने भी दिया और हमारे देश के फरिश्ते यानी डाक्टर, पुलिस कर्मी, हैल्पर, वालंटियर   और मीडिया ने पूरा-पूरा साथ दिया। शुरू में कुछ लोगों ने इसको मजाक में भी लिया, परन्तु धीरे-धीरे इसकी गंभीरता को समझते हुए ​इसके खिलाफ खड़े हो गए। आज सारा देश एकजुट होकर कोरोना को भगाने में लगा है।
परन्तु कहते हैं न कि हर अच्छाई के साथ-साथ बुराई भी चलती है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसी तरह जैसे देश के सभी नागरिक काेरोना को हराने के लिए सहयोग कर रहे हैं तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसमें रुकावटें डाल रहे हैं। कुछ नादान लोग डाक्टर, पुलिस या सेवाकर्मियों पर पत्थर फैंक रहे हैं, थूक रहे हैं, यह क्या है? मुझे लगता है कि या तो ये लोग बिल्कुल न समझ हैं, भयभीत हैं या फिर कोरोना को भगाना नहीं चाहते या  इस कठिन समय को कोई राजनीतिक या जाति-पाती का रंग देना चाहते हैं। वास्तव में ऐसे लोगों को समझाने की जरूरत है। जरूरी नहीं जिसका टैस्ट होगा वो पाजिटिव ही होगा या जिसको जुकाम, बुखार है उसको कोरोना ही है और अगर हो भी जाता है तो उनका इलाज किया जा रहा है। वह सहयोग देंगे तो कोरोना के मरीज ठीक भी हो रहे हैं। अगर उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है, उनका इलाज किया जाता है, उनका ख्याल रखा जाता है। डाक्टर पीपीई किट पहनकर 6 घंटे की ड्यूटी में खाना-पीना भूल कर उनकी सेवा करते हैं। पुलिस वाले अगर आपको चैक करते हैं या सामाजिक दूरी के लिए कहते हैं या मास्क पहनने के लिए कहते हैं, आपके साथ सख्ती बरतते हैं तो आपके फायदे के लिए है। वो अपना घर-बार, बीवी-बच्चों को छोड़कर 12-12 घंटे आपके लिए ड्यूटी दे रहे हैं।
मैं समझती हूं कि यह बहुत ही कठिन घड़ी है। हर व्यक्ति के लिए खासकर आम व्यवसायी, नौकरीपेशा और दिहाड़ी मजदूरों के लिए जो रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं या वो लोग जो दूसरे राज्य से कमाने के ​िलए अपने परिवारों का पेट पालने के लिए आए हैं या कोई भी हो, मीडिया कर्मी, पुलिस कर्मी या कोई भी कर्मचारी हो, सभी के सामने एक गंभीर चुनौती है।  बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि धीरज रखें, समय एक जैसा नहीं रहता, अच्छा नहीं रहा तो बुरा भी नहीं रहेगा, समय  जरूर बदलेगा।
हां समय बदल रहा है, बदलेगा भी। अब कोरोना से जीतने के बाद (जिसको अभी समय लगेगा) लाइफ स्टाइल ही बदल जाएगा। अभी तो हमें इसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन से बचाना है और अगर लॉकडाउन खुल भी जाता है तो हमें सामाजिक दूूरी बना कर रखनी होगी। डाक्टरों, पुलिस कर्मियों, सेवादारों का सहयोग करें। उनका निरादर करने से कुछ हासिल नहीं होगा। ये फरि​श्ते हैं, भगवान का दूसरा रूप हैं जो सम्मान का अधिकार रखते हैं। आज भगवान परशुराम जयंती मनाई जा रही है, महावीर जयंती मनाई गई, रमजान चल रहे हैं। भगवान परशुराम ने अन्याय के विरोद्ध आवाज उठाई थी, राक्षसों का वध किया। सो इस समय कोरोना जैसे राक्षस का वध करने के लिए हम सबको साथ मिलकर चलना है। फरिश्तों पर अन्याय करने वालों के विरुद्ध आवाज उठानी है या उन्हें समझाना है। भगवान महावीर ने जियो और जीने दो, परोपकार की जीवन पद्धति सिखाई। सो आज डाक्टर और पुलिस कर्मी और जो सेवा दे रहे हैं फरिश्ते हैं, परोपकार कर रहे हैं उनका सम्मान करना है। कोरोनाकाल में मदद ही असली रमजान है। अपने खाने से पहले एक भूखे, गरीब को याद रखें, यही असली रमजान की फर्ज अदायगी होगी। महामारी भी समाप्त हो जाएगी। देश में जिन नादान लोगों ने डाक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों के  अलावा पुलिस वालों पर हमले ​िकए हैं उनके लिए अब सरकार कड़ा कानून ले आई है। उनको 7 साल की सजा के साथ-साथ पांच लाख रुपए का जुर्माना भी हो सकता है। इस अध्यादेश को कानून के रूप में लागू करने की बात कही है। हम सब इसका स्वागत करते हैं। हमारे देश में कप्तान मोदी अपनी टीम के साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन सारी देश की जनता आैर मीडिया मिलकर इस महामारी से निपटने के लिए मेहनत कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है- हम होंगे कामयाब एक दिन।

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