वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ड्रोन हमले में बच गए लेकिन यह हमला उनकी हत्या के उद्देश्य से ही किया गया था। हालांकि इस हमले के संबंध में 6 आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया। कई वाहन जब्त कर लिए गए हैं। इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान वेनेजुएला की तरफ खींचा है। यद्यपि राष्ट्रपति मादुरो ने इस हमले के लिए पड़ोसी देश कोलम्बिया आैर अमेरिका के अज्ञात वित्तदाताओं को जिम्मेदार ठहराया है जबकि सरकारी अधिकारियों ने विपक्षी खेमे को जिम्मेदार ठहराया है। आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच वेनेजुएला की तस्वीर एक विफल राष्ट्र के तौर पर उभर रही है। सौन्दर्य के बल पर पूरी दुनिया में धाक जमाने वाले वेनेजुएला में मुद्रास्फीति 10 लाख फीसदी होने वाली है, जहां 18 दिन के बाद महंगाई दोगुनी हो जाती है। पिछले 5 सालों से गहरे आर्थिक संकट में फंसे हुए इस देश में संकट लगातार गहराता जा रहा है। हालत यह है कि यहां बोरी भरकर नोट ले जाने पर भी आप कुछ खरीद नहीं सकते। कुछ ऐसा ही हाल पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और पिछले दशक की शुरूआत में जिम्बाब्वे का हो गया था।
वेनेजुएला की आर्थिक गाड़ी पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था 50 फीसदी से ज्यादा सिकुड़ चुकी है। 6 दशकों में यह दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक गिरावटों में है। इसकी मुख्य वजह तेल निर्यात पर तो प्रतिबंध है, जो अमेिरका आैर यूरोप के कई देशों ने उस पर लगाए हुए हैं। इसके चलते उसके तेल की बिक्री में काफी कमी आई है। लोग फिलहाल खाने और दवाइयों को लेकर भी मोहताज हैं। लोग बिजली, पानी और यातायात से जूझ रहे हैं। नाई बाल काटने की एवज में अंडे और केले ले रहे हैं। बेरोजगारी बढ़ने के चलते अपराधों में तेजी से इजाफा हो रहा है। देश में खराब वित्तीय हालत के चलते वेनेजुएला से लोगों का पलायन पड़ोसी देशों में कब का शुरू हो चुका है। लोग सीमा पार करके कोलम्बिया, ब्राजील और अन्य पड़ोसी देशों की आेर पलायन कर रहे हैं। वेनेजुएला तुर्की की मदद से आर्थिक संकट से निकलने का रास्ता तलाश रहा है। वेनेजुएला का सैंट्रल बैंक प्रतिबंधों के चलते स्विट्जरलैंड की बजाय तुर्की को अपना सोना एक्सपोर्ट कर रहा है। वेनेजुएला ने 2018 में 779 मिलियन गोल्ड तुर्की को एक्सपोर्ट किया है।
आखिर इस संकट की वजह क्या है? राष्ट्रपति मादुरो की गलत नीतियां या फिर अमेरिका का बढ़ता हस्तक्षेप। क्या यह संकट निकोलस मादुरो के अक्षम नेतृत्व से उपजा है या यह संसद में बैठे विपक्ष की देन है जिसने अमेरिकी प्रशासन के सहयोग से आर्थिक युद्ध छेड़ रखा है। आर्थिक दुर्दशा निश्चित रूप से मादुरो की गलत नीतियों का परिणाम है। अर्थशास्त्रियों का मत है कि लेटिन अमेरिकी देशों में तेल की कीमत गिरने का सबसे ज्यादा नुक्सान वेनेजुएला को उठाना पड़ा है। मादुरो ने उपजे संकट को टालने के जो भी उपाय किए वो सभी घातक सिद्ध हुए। कभी उन्हाेंने वेनेजुएला की मुद्रा बोलिवार का अवमूल्यन कर दिया तो कभी तेल की कीमतें बढ़ा दीं। तेल की कीमतों में 6 हजार प्रतिशत की वृद्धि करने के सरकार के फैसले से लोगों की नाराजगी बढ़ गई। तेल की कीमतें गिरने से आय में हुई कमी की सरकार ने करेंसी नोट छापकर भरपाई की कोशिश की जो एक परम्परागत भूल थी जिसे अधिकांश सरकारें दोहराती चली आई हैं। करेंसी नोट छापने से जनता में मांग और क्रय शक्ति काफी बढ़ गई। मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं होने से एक तरफ लम्बी-लम्बी कतारें लग गईं और दूसरी तरफ करेंसी की कीमत गिरती गई और वस्तुओं की कीमतें बढ़नी शुरू हो गईं। वेनेजुएला में ब्लैक मार्केटिंग बड़ी रणनीति से होती है। सरकार ब्लैक मार्केटिंग और अवैध व्यापार को रोकने में विफल रही। तीन दिन पहले ही देश में कार मालिकों की गिनती शुरू हुई ताकि तेल का सही उपयोग निर्धारित किया जा सके। एक बार मादुरो ने नोटों को सिक्कों में बदलने का आदेश दिया यानी नोटबंदी की गई।
इसमें कोई संदेह नहीं कि अमेरिका लम्बे समय से वेनेजुएला को अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि मादुरो में सूझबूझ नहीं इसलिए भविष्य में कुछ भी हो सकता है। अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति को तानाशाह बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं। कई लेटिन अमेरिकी देश लम्बे अरसे से अमेरिका विरोधी रहे हैं। वेनेजुएला के भूतपूर्व राष्ट्रपति ह्यूजो शावेज अपने अमेरिका विरोध के लिए जाने जाते थे। सीआईए लम्बे अरसे से वेनेजुएला को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है। देश में असंतुलन की स्थिति के पीछे अमेरिका का भी हाथ है ताकि वह मादुरो को हटाकर अपने प्यादे को सत्ता में बैठा सके। विपक्ष पूरी तरह अमेरिका नियंत्रित है। वेनेजुएला एक ऐसा देश है जहां हुस्न की मशीनें तैयार होती हैं। वेनेजुएला की 6 लड़कियों के सिर सजा मिस वर्ल्ड का ताज और 7 लड़कियों काे मिला मिस यूनिवर्स का ताज, 6 लड़कियां बनीं मिस इंटरनेशनल और 2 ने जीता मिस अर्थ का खिताब। सुन्दरियों के देश में भुखमरी, कुपोषण आैर अपराधों का बोलबाला अच्छी बात नहीं। विश्व की राजनीति तेल से सनी है, जिन देशों के पास तेल रिजर्व है वे या तो दोस्त होते हैं या दुश्मन। गत 21 मई को निकोलस मादुरो दोबारा राष्ट्रपति तो बन गए लेकिन देखना होगा कि वह अपने देश को संकट से निकाल पाते हैं या नहीं या फिर इस पर अमेरिका का नियंत्रण होगा।