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कोरोना की मार से निकलती अर्थव्यवस्था

चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से​ सितम्बर के बीच भारत की जीडीपी 8.4 फीसदी दर्ज की गई। जीडीपी की यह बढ़त उम्मीदों को उड़ान देने वाली है और इसके साथ ही जीडीपी का आंकड़ा कोरोना की महामारी फैलने से पहले के हाल से कुछ ऊपर है।

चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से​ सितम्बर के बीच भारत की जीडीपी 8.4 फीसदी दर्ज की गई। जीडीपी की यह बढ़त उम्मीदों को उड़ान देने वाली है और इसके साथ ही जीडीपी का आंकड़ा कोरोना की महामारी फैलने से पहले के हाल से कुछ ऊपर है। पिछली दो तिमाहियों में जीडीपी जिस रफ्तार से बढ़ी है वो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज रफ्तार के आसपास है। इंडिया रेटिंग्स ने अनुमान लगाया था कि देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की दूसरी जुलाई, सितम्बर तिमाही में 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी जबकि पूरे वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 9.4 प्रतिशत रहेगी। जीडीपी किसी भी देश की आर्थिक सेहत के मापने का सबसे सटीक पैमाना है। महामारी का प्रभाव कम होने तथा टीकाकरण में तेजी आने के बाद निजी खपत व्यय में बेहतर सुधार को बताता है। एक बार फिर कृषि क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन जारी रहा और लगातार दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रही। घरेलू मांग बढ़ी और निर्यात में तेजी आई है।
आर्थिक गतिविधियों में तेजी के साथ निर्माण, व्यापार, होटल, परिवहन और वित्तीय सेवा क्षेत्र में 7-8 फीसदी की बढ़ौतरी दर्ज की गई। दूसरी तिमाही में सरकारी सेवाओं में 17.4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई है, जिसमें लोक प्रशासन और रक्षा भी शामिल  है। अगर धन की दृष्टि से देखा जाए तो जीडीपी 35,73,451 करोड़ रुपए रही जो वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही के 35,61,530 के आकार के मुकाबले कहीं अधिक है।
अनुमान से बेहतर राजकोषीय नतीजे, जीएसटी संग्रह, बिजली खपत एवं माल ढुलाई में उछाल से पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियां खुल चुकी हैं। ग्रामीण क्षेत्र से भी बेहतरीन मांग से बाजार चमक रहे हैं। इस वर्ष त्यौहार भी पिछले वर्ष के मुताबिक उमंग से भरे रहे हैं और पिछले वर्ष का ऋणात्मक जीडीपी का परिदृश्य काफी बदल चुका है। 
पूरी दुनिया में इस समय निवेश अनुकूल देश के रूप में चिन्हित किया गया है। ​देश में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। 2020-21 में इक्विटी, पुनर्निवेश आय और पूंजी सहित कुल एफडीआई बढ़कर 81.72 अरब डालर हो चुका है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 नवम्बर तक 640 अरब डालर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच गया है। इस आंकड़े को देखकर भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला देश बन गया है। यह विदेशी मुद्रा भंडार देश के अन्तर्राष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। ग्रामीण बाजार में भी जोरदार सुधार का माहौल है। ग्रामीण उपभोक्ता सूचकांक भी लगातार ऊंचाई की ओर अग्रसर है। जीडीपी के आंकड़े बताते हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार कोरोना की मार से भारतीय अर्थव्यवस्था को बाहर निकाल लाई है लेकिन आर्थिक विशेषज्ञों ने अर्थव्यवस्था में सुधार के बावजूद कुछ ​चिंताएं ​प्रकट की हैं। अभी भी सर्विस सैक्टर दो साल पहले की स्थिति में नहीं पहुंच पाया क्योंकि इसी सैक्टर से देश की जीडीपी का 57 फीसदी हिस्सा बनता है। सबसे बड़ी चुनौती लगातार बढ़ती महंगाई है। पैट्रोल-डीजल के दाम अभी भी काफी ज्यादा हैं। फल-सब्जियों और रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़े हैं। खाद्य तेलों के दाम लगातार डेढ़ गुणा बढ़ चुके हैं। लोगों की जेब में उतना पैसा आया नहीं, उससे ज्यादा उनका पैसा निकल रहा है। पिछले दो वर्षों में लोगों ने व्यक्तिगत रूप से जो गंवाया है उसकी वापसी तो कभी नहीं होगी लेकिन जिन लोगों ने तालाबंदी के चलते अपनी जमा पूंजी खर्च कर डाली, जिन मध्यम वर्गीय परिवारों ने उधार लेकर परिवारों का खर्च चलाया इससे 7 करोड़ से अधिक लोग गरीबी की गर्त में पहुंच गए। 
सरकार के लिए महंगाई पर काबू पाना इस समय गम्भीर चुुनौती है। जब तक आम आदमी की जेब में बचत का पैसा नहीं बढ़ता, वह बाजार में खरीदारी के लिए आगे नहीं बढ़ेगा। दो वर्ष से सरकार काे बड़े पैमाने पर खर्च करना पड़ रहा है और देश की अर्थव्यवस्था को सम्भालने के लिए हर सैक्टर को भारी-भरकम पैकेज देने पड़े हैं। आखिर सरकार इतना धन कैसे जुटा पाएगी। खाद्य सब्सिडी पर भारी-भरकम खर्च कम हो रहा है। कारोबार में सुधार से रोजगार की उम्मीद तब बढ़ती है  जब निजी क्षेत्र निवेश के लिए उत्साह दिखाए। अब बड़ी चिंता यह है कि कोरोना की तीसरी लहर आ गई तो फिर क्या होगा? जिस तरह से कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रान फैल रहा है यदि यह वेरिएंट अगर फिर कोरोना भयंकर रूप से लौट आया तो फिर आर्थिक गतिविधियां ठप्प हो सकती हैं। इसलिए सभी को सतर्क रहना होगा। सरकार को भी और हर भारतीय को भी। वैसे भारत की अच्छी प्रवृत्ति यह है कि हर आपदा के बाद भारत उठ खड़ा होता है। फिलहाल अर्थव्यवस्था के सभी संकेत अच्छे हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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