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तेजी से सुधरती अर्थव्यवस्था

त्यौहारी सीजन में मोदी सरकार के लिए जीएसटी कलैैक्शन के मोर्चे पर अच्छी खबर आई है। देश में जीएसटी लागू होने के बाद अक्तूबर में दूसरी बार ज्यादा जीएसटी कलैैक्शन  हुआ है। इससे पहले अप्रैल-2021 में सबसे ज्यादा रिकार्ड 1.41 लाख करोड़ रुपए जीएसटी कलैैक्शन हुआ था। अक्तूबर 2021 में जीएसटी कलैैक्शन 1,30,127 करोड़ रुपए रहा। इसमें सीजीएसटी 23,861 करोड़ रुपए, एसजीएसटी 30,421 करोड़ रुपए, आईजीएसटी 67,361 करोड़ रुपए शामिल है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि घरेलू अर्थव्यवस्था में लगातार रिकवरी बनी हुई है। यह आय और भी ऊंची हो सकती थी अगर चिप की कमी से ऑटो सैक्टर से आपूर्ति पर असर नहीं पड़ता। 

जीएसटी राजस्व के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रदर्शन देखें तो 5 राज्यों का प्रदर्शन पिछले साल के मुकाबले कम रहा है। वहीं एक राज्य का​ स्थिर रहा है, बाकी सभी राज्यों में ग्रोथ देखने को मिली है। 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कलैैक्शन दिखाने वाले राज्यों में से भी सभी ने पिछले  साल के मुकाबले ग्रोथ रही है। इसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु शामिल है। इसी के साथ ही एक हजार करोड़ से 5 हजार करोड़ तक की आय दिखाने वाले 16 राज्यों में से 15 में ग्राेथ रही है। दरअसल चालू वित्त वर्ष की शुरूआत में देश कोविड-19 की दूसरी लहर का सामना कर रहा था, इसमें देश की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा था। अब दूसरी लहर शांत हो रही है, कोरोना वैक्सीनेेशन कार्यक्रम में तेजी से अर्थव्यवस्था में भी तेजी से सुधार हो रहा है। साथ ही वे सैक्टर्स ओपन हो रहे हैं जो कोरोना के कारण पिछले कुछ महीनों से बाधित थे। सरकार ने भी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पिछले महीनों में कई बड़े फैसले लिए जिससे आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं।

इसके अलावा मासिक आईएमएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग इंडेक्स में अक्तूबर में लगातार चौथे महीने विस्तार देखा गया जो फरवरी से परिचालक स्थितियों में सबसे मजबूत सुधार की ओर इशारा करता है। फरवरी के बाद यह लगातार चौथा महीना है जब इन आंकड़ों में तेजी देखी जा रही है। पीएसआई मानक पर नजर डालें तो 50 के ऊपर के मानक का मतलब होता है कि इकोनॉमी में विस्तार हो रहा है, जबकि 50 के नीचे इकोनॉमी में गिरावट का संकेत देता है। एक नवम्बर को जारी सर्वे के मुताबिक देश की मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई अक्तूबर महीने में 55.9 पर रही है।

शेयर बाजार में एक-दो दिन की गिरावट के बावजूद संसेक्स फिर 60 हजार के पार चला गया है। कर राजस्व में वृद्धि, बढ़ता औद्योगिक उत्पादन और बैंकों पर फंसे कर्ज के हल्के होते बोझ के साथ-साथ कार्पोरेट मुनाफे तथा यूनिकार्न में वृद्धि से अर्थव्यवस्था में सकारात्मक माहौल बना है।

जाहिर सी बात है कि कोरोना संकट के चलते अनिश्चिय की स्थिति में लोगों ने अपने खर्चों में कटौती कर दी थी। इसकी वजह से उपभोक्ता की खरीद में गिरावट आई थी। कारों और  मोबाइल आदि की खरीद में गिरावट आई थी। देश में रोजगार के अवसरों का संकुचन हुआ। सरकार ने हर क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिये। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना महामारी के दौरान केवल कृषि क्षेत्र ही वह सैक्टर था जिसने चारों तिमाही के दौरान तीन से साढ़े चार फीसदी की​ विकास दर बनाए रखी। कृषि क्षेत्र ने ही देश की खस्ता अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान किया।

अब सुधार के संकेत देख ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तीव्र विकास और दोहरे अंकों में वृद्धि का अनुमान जता रही हैं। महामारी से उबर कर उपभोक्ता मांग में सुधार हुआ है, वहीं खरीफ के बेहतर उत्पादन, विनिर्माण कार्यों और सेवा क्षेत्र में सुधार से उम्मीद बढ़ी है। गतिशक्ति, सम्पत्ति मुद्रीकरण, एयर इंडिया की बिक्री, दूरसंचार में सुधार, इलैक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाना, महत्वकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, पूर्व प्रभावी कराधान में बदलाव और कुछ उद्योगों के लिए उत्पादकता को बढ़ावा दिए जाने की योजनाएं भी फलीभूत हो रही हैं। अब सरकार की कमाई बढ़ रही है। अब यह तय है कि कोरोना संक्रमण पहले की भांति खतरनाक नहीं होगा। सबसे बड़ी चिंता इस समय महंगाई की है। हालांकि मौजूदा सकारात्मक रुख विकास गति में निरंतरता बनाने में सहायक होगा। बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार के पास कोई उपाय बचे ही नहीं। महामारी पर नियंत्रण पाने में काफी धन खर्च करना पड़ रहा है। सरकार का तर्क है कि पैट्रोल-डीजल से वसूले जा रहे पैसों से ही गरीबों के ​लिए कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं। अर्थव्यवस्था जब तेजी से पटरी पर दौड़ेगी तो ही देश सम्भलेगा। फिलहाल त्यौहारी सीजन में शुभ समाचार तो ​मिल रहे हैं।