लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

प्रज्ञा से मुक्ति पानी ही होगी!

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन में दिए गए योगदान को कोई भी पूर्व सरकार से लेकर मौजूदा सरकार तक भूला नहीं सकता।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन में दिए गए योगदान को कोई भी पूर्व सरकार से लेकर मौजूदा सरकार तक भूला नहीं सकता। जिस तरह से देश और दुनिया ने महात्मा गांधी कि विचारधारा को स्वीकार किया है तो उसे कोई चुनौती नहीं दे सकता लेकिन यह चौंकाने वाली बात है कि एक बहुत ही तहजीब वाले भोपाल से भाजपा की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपने बेहद विस्फोटक बयान से पार्टी को पूरी दुनिया के सामने न सिर्फ कटघरे में खड़ा किया है बल्कि खुद का मजाक भी उड़वाया है। 
जो मोदी सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती उल्लासपूर्वक मना रही हो उस बापू के हत्यारे नाथू राम गोडसे को भाजपा की इसी बेकाबू सांसद ने राष्ट्रभक्त कह डाला। दुख इस बात का है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर संसद में उन्होंने गोडसे की सराहना की, स्वाभाविक है कि इससे बवाल तो मचना ही था। एक बहुत ही शर्मनाक बात यह है कि इससे पहले भी इसी नाथूराम गोडसे की तारीफ में यह जिम्मेवार साध्वी कसीदे पढ़ चुकी है। तब भी भारतीय जनता पार्टी को बेकफुट पर आना पड़ा था। 
यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री मोदी जी ने साफ कहा था कि मैं साध्वी प्रज्ञा को कभी मन से माफ नहीं कर पाऊंगा। प्रज्ञा ठाकुर को यह नहीं पता कि माले गांव विस्फोट के केस को लेकर वह अभी निजात नहीं पा सकी और अब उन्होंने संसद को अपने घर की जागीर समझकर पार्टी काे मजाक का केन्द्र बना दिया। इस बयान के बाद जब माहौल गर्माया तो भाजपा आलाकमान ने उन्हें संसदीय रक्षा पैनल से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया। 
समझ नहीं आता कि जिनका खुद का आचरण दागदार हो भाजपा उन्हें क्यों चुनावों में टिकट दे देती है? ऐसा लगता है कि राजनीतिक मुनाफे को ध्यान में रखकर जब प्रज्ञा जैसे लोगों को चुनावों में उतारा जाता है और वह सफल हो जाते हैं तो वह पार्टी को गंभीरता से नहीं लेते और कभी भी जहर उगलने से बाज नहीं आते। भाजपा में ऐसे बड़बोले और बवाली नेताओं की कोई कमी नहीं है। हालांकि पार्टी में उन्हें अच्छा खासा सबक तो सिखा दिया है और कड़ी फटकार के बाद इस विवादित प्रज्ञा को संसद में माफी भी मांगनी पड़ी। माफी मांगने के दौरान साध्वी के तेवर बरकरार थे। साध्वी को 3 घंटे में दो बार माफी मांगनी पड़ी। 
प्रज्ञा ने बयान शुरू करते हुए कहा कि मैंने दुश्मनों के दिए बहुत अत्याचार सहे। इस पर स्पीकर ने उन्हें बीच में ही टोक दिया और माफी वाला बयान पढ़ने को कहा। प्रज्ञा ने इस पर विरोध जताते हुए कहा, ‘मुझे अपनी बात कहने दीजिए। पुरानी बात भी मेरी अधूरी रह गई। मैं जो कहना चाहती हूं वह तो सुनिए।’ स्पीकर ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद प्रज्ञा को सीधे माफी वाला बयान पढ़ना पड़ा। प्रज्ञा ने दूसरी बार के माफीनामे में कहा, ‘मैंने 27-11-2019 को एसपीजी बिल की चर्चा के दौरान नाथूराम गोडसे को देशभक्त नहीं कहा। नाम ही नहीं लिया, फिर भी किसी को ठेस पहुंचती हो तो मैं खेद प्रकट करते हुए क्षमा चाहती हूं।’ 
ठीक कहा गया है कि रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई। प्रज्ञा सिंह खुद को कैसे साध्वी प्रमाणित करती होंगी जिनमें संयम है ही नहीं और दूसरों के प्रति नफर भरी पड़ी है। ऐसे नेता भाजपा को डूबाे देंगे और उसकी छवि को इस कदर खराब कर देंगे कि विपक्ष को भाजपा पर हमला करने का मौका मिल जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने प्रज्ञा के माफी के बावजूद उन्हें आतंकवादी करार दिया और कहा कि मैं इस बयान पर कायम हूं। हमारा मानना है कि भाजपा के थिंक टैंक को इस मामले में गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए कि गांधी की सोच को देशभर में लागू करने वाली भाजपा की सांसद की खुद की सोच कितनी जहरीली है कि वह उनके हत्यारे तक को राष्ट्रभक्त कहती है। 
माफी भी अकड़कर मांगती है। माना कि हमारे लोकतंत्र में जल्दी किसी बात पर सहमति नहीं बनती। कुछ लोग गांधी जी से भी यकीनन इत्तेफाक न रखते हों, यह संभव हो सकता है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि आप बापू के हत्यारों की तारीफ करने लग जाएं। जरा याद करो कि भारतीय जनता पार्टी के भीष्म पितामह लालकृष्ण अडवानी ने जब पाकिस्तान जाकर जिन्ना की कब्र पर तारीफ के कसीदे पढ़े तो इसी पार्टी के विचारकों ने उन्हें माफ नहीं किया और उनकी ऐसी दुर्गती की कि आज तक उन्हें किनारे लगा रखा है। अब प्रज्ञा को किनारे कौन लगाएगा? हम तो यही कहेंगे कि इस संवेदनशील मुद्दे पर बार-बार अपनी कट्टरता भरी नफरत दिखाने वाली प्रज्ञा पर ऐसी कार्यवाही करनी होगी कि वह सबके लिए एक नजीर बन जाए और बाकी बड़बोले नेता भी भविष्य में सुधर जाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

16 + six =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।