1945 में जापान से कोरिया की आजादी के तुरंत बाद भारत को संयुक्त राष्ट्र आयोग के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया, जिसने अंततः 15 अगस्त 1948 को कोरियाई गणराज्य की स्थापना की। कोरिया गणराज्य की स्थापना भारत को आजादी मिलने से ठीक एक वर्ष बाद हुई। दोनों देशों के संबंध काफी मधुर रहे हालांकि भारत के साथ उसके संबंधों में मजबूती 1997 के पूर्वी एशियाई वित्तीय संकट के बाद दक्षिण कोरिया में हुए अभूतपूर्व विकास की वजह से पिछले दो दशकों के दाैरान ही आई। दक्षिण कोरिया ने चार दशक से भी कम समय में असाधारण आर्थिक प्रगति हासिल की है जो समूचे विश्व के लिए उदाहरण है। दूसरी तरफ उत्तर कोरिया की हालत देिखए जिसकी आर्थिक हालत बहुत खस्ता है। परमाणु हथियारों की होड़ में पड़कर उसने काफी नुक्सान कर लिया है।
दक्षिण काेरिया डिजिटल, आटोमोबाइल और स्टील उत्पादन के साथ-साथ भवन बनाने के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में अपना स्थान रखता है। उसकी कंपनियों की दुनिया में एक साख है। दुनिया भर के लोग दक्षिण कोरियाई उत्पादों पर भरोसा करते हैं। भारत में तो पहले से ही कोरियाई उत्पादों ने पैठ बना रखी है। 1962 में 2.3 बिलियन की अर्थव्यवस्था वाला यह देश 2013 में ही एक ट्रिलियन से अधिक की अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया था जिसकी प्रति व्यक्ति आय 23,800 डालर है। दक्षिण कोरिया का शहर गंगनम दुनिया का सबसे आधुनिकतम सुिवधाओं से सम्पन्न शहरों में एक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यही देखते हुए अपने सियोल में दिए गए भाषण में इच्छा व्यक्त की थी कि दक्षिण कोरिया अब तक जो उपलब्धियां हासिल कर चुका है, उन्हें भारत भी हासिल करे।
निर्यात हब के तौर पर तबदील हाे चुकी दक्षिण कोरियाई अर्थव्यवस्था के लिए यह जरूरी है कि उसके उत्पादों की मांग में बढ़ौतरी हो आैर निर्यात बढ़ता रहे और इसके लिए जरूरी है कि भारतीय बाजार में कोरियाई उत्पादों के लिए अधिक जगह बने। भारत आैर चीन के बीच कई बार पैदा हुई तनावपूर्ण स्थितियों ने भी दक्षिण कोरिया और भारत को इस क्षेत्र में िस्थरता के दृष्टिगत सहयोग का मौका दिया है। जहां कोरिया प्रायद्वीप के अपने परमाणु सम्पन्न पड़ोसी उत्तर कोरिया से दक्षिण कोरिया काफी परेशान रहा, वहीं भारत के लिए पाकिस्तान भी एक सिरदर्द बना हुआ है। उत्तर कोिरया के परमाणु कार्यक्रम के प्रति मोदी सरकार ने अपनी बेरुखी जताई थी और भारत ने संयुक्त राष्ट्र की पहल का समर्थन किया था कि उत्तर कोरिया के साथ मानवीय सहायता को छोड़कर और कोई सहयोग नहीं किया जाए।
भारत और दक्षिण कोरिया में सहयोग जरूरी है, क्योंकि इससे एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका, जापान के नेतृत्व वाले बहुस्तरीय सुरक्षा ढांचे को मजबूती मिलेगी जिसका प्राथमिक लक्ष्य चीन आैर उत्तर कोरिया पर अंकुश लगाना है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन भारत के दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आैर मून जे इन ने नोएडा में सैमसंग कंपनी की नई इकाई का उद्घाटन किया। यह दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्टरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में कारोबार करने आैर इसे मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने का आमंत्रण दक्षिण कोरिया को दिया है। दक्षिण कोरिया की तकनीक और भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सहयोग से हम दुनिया को मजबूत प्रोडक्ट की गारंटी दे सकते हैं।
मून जे इन की उपस्थिति में भारत और दक्षिण कोरिया में व्यापार आैर वाणिज्य पर समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दक्षिण कोरिया भारत में पोत निर्माण, चिकित्सा उपकरण और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी सहयोग देगा।
भारत में जल परिवहन, रेलवे, बंदरगाह, जहाज निर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा सहित विद्युत, सूचना प्रौद्योगिकी, आधारभूत ढांचा और सेवाएं, इलैक्ट्रोनिक, निर्माण उद्योग क्षेत्र में काफी संभावनाएं उभर रही हैं जिसमें दक्षिण कोरिया अपनी निर्णायक भागीदारी निभा सकता है। इनमें से अनेक परियोजनाएं मेक इन इंडिया के तहत होंगी जिससे निवेश बढ़ेगा आैर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। भारतीय बाजार में मांग बढ़ेगी तो इसका फायदा कोरियाई कंपनियों को होगा। भारत के प्रशांत महासागर में हित बढ़ रहे हैं। दक्षिण कोरिया हमारे काफी अनुकूल है। इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा के उद्देश्य से दोनों देशों में आर्थिक क्षेत्र के साथ-साथ रक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बहुत जरूरी है। खास बात तो यह है कि मून सरकार भारत को अमेरिका, रूस, चीन आैर जापान जैसा दर्जा दे रही है। मून भी चाहते हैं कि भारत से दक्षिण कोरिया की दोस्ती अमेरिका और जापान जैसी होनी चाहिए। उम्मीद है कि भविष्य में दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ होंगे और उम्मीदों को नए पंख लगेंगे।