लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

अंधकाल से अमृतकाल की ओर

किसी भी देश का विकास उसकी युवा शक्ति और भावी पीढ़ी के बल पर ही होता है।

किसी  भी देश का विकास उसकी युवा शक्ति और भावी पीढ़ी के बल पर ही होता है। कोरोना काल में बेरोजगारी की दर बढ़ी। विपक्ष जोर-शोर से बेरोजगारी का मुद्दा उछालने लगा है लेकिन वह यह नहीं देख रहा कि महामारी के दिनों  में जब सरकार के राजस्व स्रोत काफी प्रभावित हो चुके थे, इसके बावजूद अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। सभी संकेतक सकारात्मक संदेश दे रहे हैं। अब क्योंकि कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार कम होता जा रहा है, सभी क्षेत्र खुल रहे हैं। विपक्ष होहल्ला मचा रहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में आम जनता के लिए  कुछ नहीं है। संसद में भी बजट पर गर्मागरम चर्चा हुई और वित्त मंत्री ने विपक्ष के सवालों का जवाब दे दिया है। वित्त मंत्री ने दावा किया  है कि देश रोजगार की स्थिति में अब सुधार के संकेत दिखा रहा है। शहरों में बेरोजगारी अब कोविड पूर्व स्तर पर आ गई है। बढ़ती असमानता के आरोप पर उन्होंने कहा कि सरकार वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रही है और पीएम मुद्रा योजना के तहत कर्ज प्रदान कर रही है। वर्ष 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत अब तक 1.2 करोड़ अतिरिक्त रोजगार अवसर पैदा हुए हैं। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि कोरोना की वजह से 2020-21 में जीडीपी में 9.57 लाख करोड़ की गिरावट आई। 
मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से देश ने ‘अमृतकाल’ की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस दौरान 44 यूनिकार्न की पहचान की गई, जिन्होंने दौलत पैदा की है। वित्त मंत्री ने विपक्ष खासकर ​कांग्रेस पर राजनीतिक प्रहार करने से परहेज नहीं किया और देश में कांग्रेस शासन को अंधकाल करार दिया। आरोप लगाया कि यूपी सरकार खासकर इसके दूसरे काल में महंगाई दहाई आंकड़ों में थी, वह भी​ निश्चित तौर पर अंधकाल था। तब एक के बाद एक घोटाले हुए। सरकार उस समय नीतिगत पंगुता का शिकार  हो गई थी। जीडीपी में गिरावट के बावजूद मुद्रास्फीति 6.2 फीसदी से ऊपर नहीं जाने दी गई।
आत्मनिर्भर भारत के तहत कोरोना काल में सभी क्षेत्रों को पैकेज दिए गए। बैकों ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों के लिए आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना के तहत 3.1 लाख करोड़ के कर्ज मंजूर किए। उन्होंने सरकार की उप​लब्धियों की जानकारी भी दी।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में भी रोजगार को लेकर सरकार का रुख साफ किया था। सरकार की ओर से पीएलई स्कीम के तहत अगले पांच वर्ष में 60 लाख नए रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। पीएलआई यानी प्रोडक्शन लिंकड इंसेंटिव स्कीम के तहत मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। फिलहाल यह स्कीम 13 उद्योगों के लिए चल रही है। शुरूआत में पांच साल के लिए लाई गई इस स्कीम के तहत सरकार मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनियों को नकदी की सुविधा देगी ताकि वे उत्पादन बढ़ाएं और भारत का ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने में मदद करें। आटो, इलैक्ट्रिकल्स, टैक्सटाइल समेत 13 उद्योग इस स्कीम के दायरे में हैं। विपक्ष ने इस घोषणा की भी खिल्ली उड़ाई थी और सवाल उठाया था कि क्या पीएलआई स्कीम के तहत 60 लाख नौकरियां पैदा की जा सकती हैं। जब अर्थशा​स्त्रियों का कहना है कि सरकार की पीएलआई योजना में दम है। पीएलआई स्कीम के तहत आने वाले उद्योगों में बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं। जिनमें 90 फीसदी से ज्यादा लोग अनुबंध पर होते हैं। इसलिए मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर के तहत आने वाले उद्योगों में ज्यादा रोजगार मिलता है। इससे एमएसएमई सैक्टर में भी रोजगार बढ़ सकता है। कुछ अर्थशा​स्त्रियों का मानना है कि यह योजना कुछ खास नहीं कर पाएगी। हर तरफ ऑटोमेशन का दौर है, सब काम मशीनों से हो रहा है। इसलिए हाथ से काम करने वाले श्रमिकों के​ लिए रोजगार की गुंजाइश कम है। 
बेरोजगारी का दूसरा पहलू भी है। भारतीय युवाओं में जिस मनोविज्ञान का निर्माण हुआ, उसके केन्द्र में सरकारी नौकरी है या प्राइवेट नौकरी, उद्यम नहीं है। युवा ‘कंफर्ट जोन’ से बाहर निकल ही नहीं रहा। हर किसी को व्हाइट कॉलर जॉब चाहिए। वे कठिन और जोखिम भरे क्षेत्रों में रोजगार या स्वरोजगार तलाश करना ही नहीं चाहते। आज भारत दुनिया में सबसे युवा देशों में से एक है, जिसकी 62 फीसद आबादी काम करती है। भारत की कुल आबादी का 54 फीसदी से अधिक 25 वर्ष से कम आयु का है। यह दौर मल्टी स्किल का है। इसलिए स्किल, रीस्किल और फ्यूचर स्किल पर ध्यान देना जरूरी है। नए रोजगारों का सृजन अकेले केन्द्र या राज्य सरकारों के वश की बात नहीं। निजी सैक्टर ज्यादा काम अस्थाई कर्मचारियों से करवाने लगा है, पक्की नौकरियां आजकल कहां हैं। 
यह सही है कि मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और वोकल फॉर लोकल जैसे कार्यक्रमों की शुरूआत से देश में निवेश का वातावरण बना है और रोजगार सृजन भी हो रहा है। यह भी जरूरी है कि नीतियां सही ढंग से लागू हों तो हमारे शहर रोजगार सृजन का गढ़ बन सकते हैं। हमें युवाओं के कौशल विकास पर ध्यान देना होगा। अब केवल शब्दों से काम नहीं चलने वाला। सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता हो। हमारे नीति निर्माताओं को रोजगार सृजन को गम्भीरता से लेना होगा, तभी हम अंधकाल से अमृतकाल में जा पाएंगे।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen − 15 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।