लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

जलियांवाला बाग से तूतिकोरिन तक !

NULL

आज वैशाखी का पर्व भारतीय उपमहाद्वीप की कृषि मूलक वैविध्यपूर्ण संस्कृति का प्रतीक है और इसी दिन 1919 को अंग्रेजों के गुलाम भारत में अमृतसर के जलियांवाला बाग में सैंकड़ों निहत्थे व निरीह भारतीयों को अंग्रेजी फौज ने अपनी गोलियों से भून डाला था। उनका अपराध यह था कि वे क्रान्तिकारी स्वतन्त्रता आंदोलन को अापराधिक गतिविधि करार देने वाले उस ‘रालेट एक्ट’ का विरोध कर रहे थे जिसके खिलाफ महात्मा गांधी ने 6 अप्रैल को देशव्यापी अहिंसक हड़ताल व बन्द रख कर असहयोग आन्दोलन का आह्वान किया था।

लाहौर व अमृतसर जैसे बड़े शहरों में यह आन्दोलन सफलता का नया इतिहास बन गया जिससे घबरा कर तत्कालीन संयुक्त पंजाब राज्य के अंग्रेज गवर्नर ने कांग्रेस के दो बड़े नेताओं स्व.सत्यपाल व सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर अमृतसर से धर्मशाला भेजने का आदेश दिया और महात्मा गांधी के पंजाब में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया।

10 अप्रैल को अमृतसर शहर में इसका कड़ा विरोध हुआ और लगभग 50 हजार लोगों का हुजूम जिला उपायुक्त कार्यालय की तरफ अहिंसक नारेबाजी करते हुए चला जिस पर अंग्रेज पुलिस ने गोलियां चलाई और करीब 20 लोग मारे गये जिनके शवों के साथ लोगों ने शहर भर में प्रदर्शन किया और अंग्रेज अफसरों के खिलाफ भीड़ गुस्सा उतारती नजर आयी। मगर 11 अप्रैल को सर्वत्र शान्ति रही लेकिन अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में गुस्सा भर गया। इसे देखते हुए अमृतसर में फौजी ब्रिगेडियर जनरल डायर को बुलाया गया और उसने आते ही सारा नागरिक प्रशासन संभाल लिया और लोगों के इकट्टा होने या प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी। मगर इसकी विधिवत घोषणा नहीं की गई। 13 अप्रैल को वैशाखी के पर्व पर कांग्रेस व अन्य सामाजिक संस्थाओं की तरफ से सायं साढे़ चार बजे जलियांवाला बाग में एकत्र होने की अपील की गई और वहां रौलेट एक्ट के विरुद्ध प्रस्ताव पारित किया गया।

वैशाखी का दिन होने की वजह से और हरमेन्द साहिब गुरुद्वारा निकट ही होने की वजह से बाग में स्त्रियां और बच्चे भी खासी संख्या में थे। जनरल डायर ने तभी गुरखा, सिख, व बलूट रेजीमेंट के सैनिकों के अपने दस्ते के साथ जलियांवाला बाग पहुंच कर बिना कोई चेतावनी दिये गोलियां चलानी शुरू कर दी और अन्धाधुन्ध गोलियां बीस मिनट तक चलती रहीं और बाग के प्रवेश द्वार पर अपनी दो बख्तर बन्द गाडि़यां लगा दीं। इस हत्याकांड में अंग्रेज सरकार ने मरने वालों की संख्या 379 बताई जबकि कांग्रेस ने सबूतों के साथ यह संख्या एक हजार से ज्यादा बताई और जख्मियों की संख्या भी हजारों में रही। यह गुलाम भारत का नजारा था। अब स्वतन्त्र भारत के हाल-चाल का जायजा लेते हैं। 22 मई 2018 को स्वतन्त्र भारत के धुरदक्षिणी राज्य तमिलनाडु के तूतीकुडि जिले के तूतीकोरिन कस्बे में निहत्थे 20 हजार के लगभग प्रदर्शनाकरियों पर राज्य पुलिस ने एेसा कारनामा किया जिसने जलियांवाला कांड की खुली जालिमाना कार्रवाई को भी शर्मसार करते हुए सरेआम पुलिस को सादे कपड़े पहनाकर पुलिस वाहन के ही ऊपर बैठ कर गोलियां चलवा कर डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों को भून डाला।

जलियांवाला बाग कांड मंे गुलाम भारत मंे तो गोलियां खुद फौज का एक ब्रिगेडियर हुक्म देकर चलवा रहा था मगर तूतिकोरिन में तो एक नायब तहसीलदार के हुक्म से पुलिस को गोलियां चलाने का आदेश दिया बताया गया। यह स्वतन्त्र भारत की चुनी हुई राज्य व केन्द्र सरकार की नाक के नीचे किया गया निहत्थे प्रदर्शनकारी क्या मांग कर रहे थे। वे जिला कलेक्टर के दफ्तर में जाकर वह ज्ञापन सौंपना चाहते थे जो उनके यहां चलने वाली स्टर्लाइट कम्पनी की फैक्टरी के विरुद्ध था और जिसे मार्च 2013 में तब की तमिलनाडु पुलिस ने बन्द करने का आदेश इलाके के पेयजल को तेजाबी बनाने की वजह से दिया था क्योंकि इलाके के नागरिकों में पानी पीने से सांस की तकलीफ लगातार बढ़ती जा रही थी। इसके खिलाफ राष्ट्रीय पर्यावरण पंचाट ( नेशनल ग्रीन ट्रिबूनल) ने आदेश दे दिया जिसे राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी मगर मार्च 2018 में कम्पनी ने अपने विस्तार की परियोजना घोषित कर दी और अपनी फैक्टरी को खोल कर इसकी मशीनों की साफ-सफाई शुरू कर दी जिसके विरुद्ध नागरिक प्रदर्शन कर रहे थे और अपनी शिकायत सरकार के अधिकारियों से करने जा रहे थे।

तभी उन पर पुलिस ने गोलियां चलाईं और पुलिस वाहन की छत पर सादे कपड़ों में बैठकर आधुनिक राइफल से एक पुलिस वाला शान से गोलियां चलाता रहा और लोगों को मारता रहा और वजह बता दी गई कि प्रदर्शनकारी पत्थर फेंक रहे थे और बेकाबू हो गये थे। जबकि पूरे शान्तिपूर्ण तरीके से वे अपना ज्ञापन जिलाधीश कार्यालय मंे देना चाहते थे। इस घटना को अब एक साल के करीब होने जा रहा है मगर पुलिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और मारे गये लोगों के परिवारों को कोई न्याय नहीं मिला और राज्य का मुख्यमंत्री और उसकी सरकार के लोग अब मूछों पर ताव देकर अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए लोकसभा चुनाव में वोट मांगते फिर रहे हैं।

जलियांवाला बाग कांड की तो अंग्रेज सरकार ने ही जांच कराई थी और ‘हंटर जांच आयोग’ के सामने जनरल डायर पेश हुआ था और उसने अपनी करतूत को अपने हिसाब से स्वीकार भी किया था हालांकि अंग्रेजों ने उसे कोई सजा नहीं थी मगर समय से पहले उसे फौज से रिटायर कर दिया गया था। अब देखिये आजाद हिन्दोस्तान का हाल कि पुलिस को खुलेआम हत्यारा बनाने वाले राजनीतिज्ञ किस शान से चुनावी मौसम में घूम रहे हैं और तूतीकोरिन गोली कांड में मारे गये दर्जनों लोगों में से एक 17 वर्षीय छात्र के मां-बाप अपने पुत्र की तस्वीर के सामने अपना दुःखड़ा रो रहे हैं। उन अन्य लोगों का क्या होगा जिनका कमाने वाला ही पुलिस गोली का शिकार हो गया। सवाल केवल यह है कि जलियांवाला बाग कांड को स्वतन्त्र भारत में दोहराने वाले लोगों के चेहरों से नकाब इस देश की जनता कब उतारेगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five − five =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।