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कश्मीर से मध्य प्रदेश तक !

भारत के दो कोनों से जब दो अलग-अलग धाराओं में इसके लोगों के बीच आपसी वैमनस्य पैदा करने की खबरें आती हैं तो हर भारतवासी को यह सोचने पर विवश होना पड़ता है कि इस देश की सामाजिक व राष्ट्रीय एकता के लिए नागरिकों के मूल अधिकारों का कितना महत्व है?

भारत के दो कोनों से जब दो अलग-अलग धाराओं में इसके लोगों के बीच आपसी वैमनस्य पैदा करने की खबरें आती हैं तो हर भारतवासी को यह सोचने पर विवश होना पड़ता है कि इस देश की सामाजिक व राष्ट्रीय एकता के लिए नागरिकों के मूल अधिकारों का कितना महत्व है? ये अधिकार उसे भारत का संविधान इस प्रकार देता है कि राजनीतिक दलों की सत्ता की विविधता के बीच शासन केवल संविधान या कानून का ही रहेगा, परन्तु जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में जिस तरह यहां के एक सर्राफ सतपाल निश्छल की हत्या उसकी दूकान पर इसलिए की गई कि उसने इस राज्य के बदले कानूनों के तहत स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र ले लिया था, बताता है कि राज्य में वे लोग भेष बदल कर और नाम बदल कर कानून का शासन नहीं होने देना चाहते। राज्य में आतंकवादी दस्ते नये नाम से सामान्य नागरिकों को बदले जम्मू-कश्मीर में दहशत के साये में रख कर भारतीय संविधान को चुनौती देना चाहते हैं। सतपाल निश्छल की हत्या का जिम्मा एक आतंकवादी गिरोह ‘टीआरएफ’ ने लिया है जिसे ‘लश्करे तैयबा’ की ही एक शाखा कहा जा रहा है। यह संगठन बदले कानूनों के तहत स्थायी नागरिकता पाने वाले नागरिकों को अपना निशाना बनाना चाहता है जिससे इस राज्य के नागरिक आपसी भाईचारे के साथ मिल कर न रह सकें और एक-दूसरे को शक की नजरों से देखते रहें। स्व. सतपाल की श्रीनगर के बाजार में पिछले 40 साल से दूकान थी। एक मायने में वह जम्मू-कश्मीर के ही बाशिन्दे थे मगर धारा 370 और 35(ए) के चलते राज्य के स्थायी निवासी नहीं बन सकते थे। इन दोनों उपबन्धों के हटने से यहां निवास करने वाले नागरिकों को यह अधिकार दिया गया कि यदि वे 15 वर्ष से इस राज्य में रह रहे हैं तो उन्हें स्थायी निवासी का दर्जा दे दिया जायेगा और वे स्थायी सम्पत्ति जैसे जमीन-जायदाद खरीदने के हकदार हो जायेंगे। 
 इस प्रावधान के अनुसार केवल वे व्यक्ति ही स्थायी निवासी हो सकेंगे जो वर्षों से इस राज्य में रह रहे हैं और यहां के सामाजिक ढांचे का हिस्सा है। नया कानून यह नहीं कहता कि किसी दूसरे राज्य से जम्मू-कश्मीर जाकर बसने वाला व्यक्ति रातों-रात इसका स्थायी निवासी हो जायेगा। फिर 70 वर्षीय सतपाल की एक पुत्रवधू भी जम्मू क्षेत्र की है और उसी के नाम पर उन्होंने अपनी दुकान व मकान की पक्की खरीदारी की। इसमें जम्मू-कश्मीर का जनसंख्या परिवर्तन का खतरा कैसे पैदा हो गया? आखिरकार लोकसभा चुनावों में मतदान करने के लिए तो सतपाल जी का पूरा परिवार पहले से ही अधिकृत था। अतः जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को इस घटना की पुरजोर मुखालफत करनी चाहिए और ऐलान करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में पिछले 15 साल से रहने वाला हर नागरिक कश्मीरी है क्योंकि भारत का संविधान यही कहता है।
 दूसरी तरफ मैदानी राज्य मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले के एक गांव दौराना से भगवान राम के नाम पर साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की खबर आयी है। इस गांव के मुस्लिम नागरिकों को विश्व हिन्दू परिषद ने रैलियां निकाल कर सामूहिक हिंसा व नफरत का पात्र बनाने में अहम भूमिका निभाई। मध्य प्रदेश भारत का एेसा गौरवशाली राज्य है जिसमें हिन्दू व मुसलमान पूरे भाईचारे के साथ रहते हैं। इस राज्य के मुस्लिम नागरिकों पर राज्य की सम्मिलित संस्कृति का पूरा प्रभाव है। एक जमाने में भाजपा (जनसंघ) के राष्ट्रीय नेता आरिफ बेग इसी राज्य से आते थे जिन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय में अपनी पार्टी की नीतियां फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आरिफ बेग जब जनसंघ पार्टी का भगवा दीपक निशान वाला झंडा लेकर भोपाल की सड़कों पर अपने पीछे कार्यकर्ताओं का हुजूम लेकर निकलते थे तो नारा लगता था ‘मादरे वतन हिन्दोस्तान जिन्दाबाद’  परन्तु मन्दसौर के गांव में वहां की मस्जिद में रैली में शामिल कुछ लोगों ने भगवा झंडा लगा कर क्या हासिल किया? हालांकि पुलिस ने उसे तुरन्त ही उतार दिया। इससे यही सिद्ध हुआ कि रैली में शामिल लोगों की मंशा  इस राज्य के लोगों की सामाजिक एकता को भंग करने की ही थी। धार्मिक पहचान पर भड़काऊ नारेबाजी करके आम जनता के बीच नफरत पैदा करने का प्रयास निश्चित रूप से कानून की जद में इस प्रकार आता है कि ऐसा करने वालों को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान ने उपद्रवियों पर यह धारा लगा कर अपने राज्य में अमन-चैन बनाये रखने को तरजीह दी है। इस कानून के लागू करने पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं बरता जाना चाहिए और दोषियों को सख्त सजा मिलनी ही चाहिए। मगर एक सवाल यह भी पैदा होता है कि अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण हेतु लोगों से चन्दा इकट्ठा करने के लिए रैलियों की जरूरत क्यों पड़े। राम मन्दिर का निर्माण सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार पूरी तरह संविधानतः हो रहा है और देश की मुस्लिम जनता ने इसे हृदय से स्वीकार किया है। मन्दिर निर्माण के लिए पूर्व में विश्व हिन्दू परिषद ने भारी चन्दा इकट्ठा भी किया था, किन्तु निर्माण के लिए बने न्यास को लेकर परिषद राजनीतिक चालें चल रही है जिससे सरकार को सावधान रहना चाहिए और किसी भी कीमत पर साम्प्रदायिक सौहार्द को निशाना नहीं बनने देना चाहिए। मध्य प्रदेश के सन्दर्भ में यह बेहद महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इस राज्य में भारत के इतिहास की मिलीजुली गौरवगाथा के अवशेष बिखरे पड़े हैं।  ‘राजा भोज’ से लेकर ‘बाज बाहदुर’ तक की लोकगाथाएं गाता यह प्रदेश हिन्दोस्तान का दिल बन कर आज भी धड़कता है और भारत का संविधान सिर्फ इसके लोगों की ही बात करता है और कहता है कि इन सभी पर यह संविधान ही एक समान रूप से लागू होगा।

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