From Rae Bareli To Wayanad: रायबरेली से वायनाड तक !

From Rae Bareli to Wayanad: रायबरेली से वायनाड तक !

From Rae Bareli to Wayanad: रायबरेली से वायनाड तक ! मौजूदा लोकसभा चुनावों में कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी ने अपना सफर केरल के वायनाड से लेकर उत्तर प्रदेश के रायबरेली तक जिस तरह सफलतापूर्वक पूरा किया है उसने उनकी दादी स्व. इन्दिरा गांधी की याद ताजा कर दी है। 1980 में इन्दिरा जी ने भी दो सीटों रायबरेली व तत्कालीन आंध्रप्रदेश के मेडक चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था और दोनों पर ही जीत दर्ज की थी। 2014 में प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी वाराणसी व बड़ौदा दो सीटों पर सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा था। संभवतः राहुल गांधी एकमात्र ऐसे सांसद हैं जिन्होंने दो सीटों पर चुनाव लड़ा। मगर संविधान के अनुसार उन्हें एक सीट खाली करनी होगी और उन्होंने वायनाड सीट छोड़ने का फैसला किया है। वायनाड ने उनका बुरे वक्त में साथ दिया था और 2019 में उन्हें जिताकर लोकसभा में भेजा था जबकि वह उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट हार गये थे। अतः वायनाड के प्रति उनकी जिम्मेदारी बनती थी। इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी बहन श्रीमती प्रियंका गांधी को वायनाड से उपचुनाव लड़ाने का फैसला किया है जिससे गांधी परिवार को ही वहां के लोगों का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिले। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि प्रियंका गांधी की राजनीति की समझ बहुत परिपक्व है और वर्तमान चुनावों में कांग्रेस का ग्राफ ऊपर लाने में उनका योगदान भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

प्रियंका गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने पर कांग्रेस पार्टी भारत के दक्षिण से लेकर उत्तर तक में अकेली पार्टी होगी जिसमें केरल से लेकर उत्तर प्रदेश तक के लोगों का प्रभावशाली प्रतिनिधित्व होगा हालांकि इस बार केरल से सत्तारूढ़ पार्टी का भी एक सांसद चुना गया है परन्तु केरल में कांग्रेस ने वामपंथी दलों का सूपड़ा सा साफ कर दिया है। यह भी एक तथ्यात्मक इतिहास है कि बुरे दिनों में दक्षिण के राज्यों ने कांग्रेस का साथ जमकर दिया है। 1977 में जब विपक्षी दलों की पंचमेल पार्टी जनता पार्टी का गठन हुआ था तो पूरे उत्तर भारत में इसकी लहर चल पड़ी थी और इसे 298 सांसद मिले थे। मगर दक्षिण के राज्यों में इसे केवल एक सीट स्व. संजीव रेड्डी की आन्ध्र प्रदेश से मिली थी। वह भी बाद में राष्ट्रपति बन गये थे। दक्षिणी राज्यों व कुछ अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों से इन चुनावों में कांग्रेस को 153 सीटें मिली थीं।

लोकसभा में तब कांग्रेस ने अपना विपक्ष का नेता केरल से ही स्व. सी.एम. स्टीफन को चुना था। स्व. स्टीफन खुद ईसाई थे मगर हिन्दू धर्म ग्रन्थों का उनका अध्ययन इतना गहरा था कि लोकसभा में अपने वक्तव्यों से उन्होंने तत्कालीन जनता पार्टी नेताओं से भी लोहा मनवा लिया था। स्व. स्टीफन संस्कृत के भी विद्वान थे। गीता के श्लोक उन्हें कंठस्थ थे। कहने का मतलब यह है कि केरल राज्य परंपरागत रूप से कांग्रेस की विचारधारा का प्रवाहक माना जाता रहा है। श्रीमती प्रियंका गांधी ने भी इसी विचारधारा को 2024 के चुनावों में फैलाने में मदद की और रायबरेली व अमेठी दोनों चुनाव क्षेत्रों में उन्होंने मतदाताओं को यह बताने का भरपूर प्रयास किया कि भारत में लोक कल्याणकारी राज की स्थापना ही भारतीय संविधान का प्रमुख उद्देश्य है। इतने दुरूह विषय को उन्होंने जनता से सीधा संवाद करके समझाने का प्रयास किया जिसमें वह सफल रहीं। रायबरेली व अमेठी के अलावा प्रियंका ने देश के लगभग हर राज्य में चुनाव प्रचार भी किया और लोगों को यह समझाने का प्रयास किया कि मौजूदा परिस्थितियों में इंडिया गठबन्धन ही सकारात्मक विकल्प है क्योंकि गांधी और नेहरू की विरासत की राजनीति करना इस गठबन्धन का धर्म बन चुका है। रायबरेली व अमेठी में डेरा डाल कर प्रियंका गांधी ने पूरे अवध क्षेत्र को इस प्रकार आन्दोलित किया कि पड़ोस की सुल्तानपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी उनकी चाची मेनका गांधी चुनाव हार गईं और अयोध्या (फैजाबाद) से भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह भी परास्त हो गये। इनके अलावा पूर्वांचल की और भी अनेक सीटें इंडिया गठबन्धन जीत गया। प्रियंका नौजवान पीढ़ी की एक होनहार व शब्दों का शास्त्रीय चयन करने वाली सफलतम चुनाव प्रचारक हैं। वायनाड से यदि वह चुनाव लड़ रही हैं तो मतदान से पहले ही उनकी जीत के नतीजे पर भी पहुंचा जा सकता है मगर राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता, अतः उन्हें वायनाड में भी पूरा दम-खम लगा कर चुनाव लड़ना होगा।

राहुल गांधी द्वारा रायबरेली सीट पर बना रहना गांधी परिवार की मजबूरी भी हो सकती है क्योंकि यह सीट उनके दादा स्व. ​फिरोज गांधी से लेकर उनकी दादी इन्दिरा गांधी व माताश्री सोनिया गांधी तक की रही हैं। पं. नेहरू ने तो 1920 के लगभग अपनी राजनीति की शुरूआत ही रायबरेली के गांवों से की थी। इस सन्दर्भ में 1945 में प्रकाशित एक पुस्तक ‘कलेक्टेड स्पीचेज आफ जवाहर लाल नेहरू’ बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसमें नेहरू जी द्वारा किसानों की सभाओं में दिये गये भाषण संग्रहित हैं। उस समय नेहरू जी ने रायबरेली के किसानों से आह्वान किया था कि वे रूढ़ीवादी परंपराएं छोड़ कर आगे बढें़ और जात-पात को देखकर लोगों का मूल्यांकन करना बन्द करें। 2024 के चुनावों के दैरान प्रियंका गांधी की नुक्कड़ सभाओं के सन्देश को देखा जाये तो उन्होंने भी रायबरेली व अमेठी के लोगों से यही आह्वान किया कि वे सरकार के लोगों की जिम्मेदारी तय करते हुए जनता के प्रति जवाबदेह बनायें और उनसे उनके कामकाज का हिसाब-किताब मांगे। वह कहती थीं कि नेताओं की आदत मत खराब कीजिये और उनसे पिछले पांच साल का हिसाब मांगिए और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक ब​निये। क्योंकि एक जागरूक नागरिक ही लोकतन्त्र को मजबूत बना सकता है। उनकी बातों का असर इस कदर हुआ कि अमेठी से केन्द्रीय मन्त्री स्मृति इरानी कांग्रेस के एक सामान्य कार्यकर्ता किशोरी लाल शर्मा से एक लाख 67 हजार वोटों से हार गईं।

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