लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

जी-20: भारत की बुलंद आवाज

कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया एक साथ कई चुनौतियों से जूझ रही है। फरवरी 2022 से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं।

कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया एक साथ कई चुनौतियों से जूझ रही है। फरवरी 2022 से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं। विश्व आज मंदी, जीडीपी में संकुचन और बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है। जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। एक अहम मुद्दा वैश्विक संस्थाओं की पुनर्रचना का भी है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद अस्तित्व में आए विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जिनमें विकसित देशों का वर्चस्व है, में बदलाव की जरूरत है। विश्व में पैदा हुए खाद्यान्न और ऊर्जा संकट की तमाम चुनौतियों के बीच भारत में जी-20 का सम्मेलन आज शुरू हुआ। भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। भारत पिछले कुछ वर्षों से खुद को ग्लोबल साऊथ यानि विकासशील देशों की उभरती हुई आवाज के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है और भारत के लिए इससे बड़ा बेहतर अवसर और कोई नहीं हो सकता। दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी जी-20 देशों में आती है और विश्व की कुल जनसंख्या का दो-तिहाई इन देशों में निवास करता है। विश्व के कुल व्यापार का 75 प्रतिशत हिस्सा भी जी-20 देशों के पास है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत इस समय दुनिया में एक सशक्त आवाज बन चुका है। 
भारत की आवाज को अब नजरंदाज नहीं किया जा सकता। भारत का कहना है कि वैश्विक चुनौतियों से आपस में लड़कर नहीं बल्कि आपस में मिलकर निपटा जा सकता है। जो यह समझते हैं कि संघर्ष और लालच ही मानव स्वभाव है तो वह गलत है। भारत की परम्परागत सोच यही रही है कि सभी जीव पंच तत्वों भूमि, जल, अग्नि, वायु व आकाश से मिलकर बने हैं और सभी जीवों में समन्वय और समरस्ता हमारे भौतिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय कुशलक्षेम के लिए जरूरी है। विश्व शांति, एकता, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सतत् विकास जैसी चुनौतियों का सामना करने और इनका हल निकालने के लिए भारत के पास विचार भी हैं और क्षमता भी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक को सम्बोधित करते हुए भारत का स्पष्ट दृष्टिकोण रखा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व की अग्रणीय अर्थव्यवस्थाएं होने के नाते हमारी उन देशों के प्रति भी जिम्मेदारी बनती है जो इस कक्ष में मौजूद नहीं हैं। भू-राजनीतिक तनाव को कैसे कम किया जाए, इसे लेकर हम सभी का अपना रुख और नजरिया है। पिछले कुछ वर्षों के अनुभव-वित्तीय संकट, वैश्विक महामारी, आतंकवाद और  युद्ध दिखाता है कि वैश्विक शासन प्रणाली अपनी जिम्मेदारी​ निभाने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि हम जिन मुद्दों को हल नहीं कर सकते उन्हें उन मामलों के आड़े नहीं आने देने चाहिए जिनका समाधान हम निकाल सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें समावेशी सोच के साथ आगे बढ़ना है। हमें एकजुट होकर उद्देश्यों की प्राप्ति करने के लिए काम करना होगा।
बैठक में चीन के​ विदेश मंत्री, रूस के विदेश मंत्री समेत लगभग 90 देशों के मंत्री भाग ले रहे हैं। हालांकि जापान ने इस बैठक में अपने जूनियर मंत्री को भेजा है। इस पर कई तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं। एशिया में चीन की बढ़ती आक्रामकता के कारण जापान भारत से रक्षा संबंध गहरे करना चाहता है लेकिन भारत की रूस से दोस्ती को लेकर जापान असहज है। भारत का प्रयास होगा कि किसी न किसी तरह रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए संवाद के रास्ते आगे बढ़ा जाए। विश्व की अधिकांश समस्याओं का समाधान सम्भव है लेकिन उसके लिए सोच में बदलाव की जरूरत है। इतिहास गवाह है कि विभिन्न देशों के बीच परस्पर वैमनस्य, दूसरे मुल्कों से आगे बढ़ने की होड़, विस्तारवादी सोच टकराव का कारण बनती रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध का भी लगभग यही कारण है। अमेरिका और यूरोप के देशों द्वारा यूक्रेन को ‘नाटो’ के नजदीक आने के लिए उकसाना रूस-यूक्रेन युद्ध का शुरूआती कारण बना। उसके बाद रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसे कमजोर करने के प्रयास भी हुए। यह भी सही है कि रूस की आक्रामक नीति ने आग में घी डालने का काम किया। बाद में रूस ने अमरीकी और  यूरोपीय प्रतिबंधों को न केवल धत्ता दिखाया, बल्कि ग्लोबल वैल्यू चेन में अवरोधों को भी हवा दी। इस उथल-पुथल के चलते आवश्यक वस्तुओं का अभाव और कीमतों में वृद्धि और अर्थव्यवस्थाओं में संकुचन आज दुनिया के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। ऐसे में भारत का संदेश यही है कि संसाधनों पर कब्जा जमाने हेतु संघर्ष और प्रतिस्पर्धा की रणनीति को छोड़ना होगा। दूसरे देशों की जमीन और संसाधन ​हथियाने की मानसिकता भी छोड़नी होगी। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का हमारा ध्येय होना चाहिए। वैश्विक समाज के बीच समरस्ता को बढ़ाने के ​लिए भारत का प्रयास होगा कि खाद्य पदार्थों, उर्वरकों और ​चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को राजनीति से अलग रखा जाए ताकि वैश्विक राजनीति के तनावों से मानवता पर संकट न आए।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine + four =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।