कश्मीर घाटी अशांत और हिंसक है। यहां ऐसी शक्तियां कई वर्षों से सक्रिय हैं जो अस्थिरता पैदा कर रही हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कश्मीर में अशांति फैलाने वाली गतिविधियों के लिए पाकिस्तान से प्राप्त आतंकी वित्तपोषण की जांच को और आगे बढ़ा दिया है। देशद्रोहियों के चेहरे सामने आने लगे हैं। हुर्रियत नेताओं और शब्बीर शाह की गिरफ्तारी के बाद टेरर फंडिंग मामले में अब एनआईए ने सीधे हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी पर हाथ डालने की तैयारी कर ली है। गिलानी के दामाद के यहां से एक टेरर कैलेंडर मिला है जिस पर जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने की साजिश दर्ज है। एनआईए ने गिलानी के बेहद करीबी हुर्रियत लीगल सैल के सदस्य देविन्द्र सिंह बहल के घर छापेमारी कर उसे हिरासत में ले लिया है। कश्मीर की आजादी के नारे लगाने वाला बहल भी अब कानूनी शिकंजे में है।बरामद कैलेंडर अस्थिरता पैदा करने और कश्मीर में बड़ी हिंसा को अन्जाम देने की पूरी योजना का कच्चा चिट्ठा है।
यह कैलेंडर 4 अगस्त 2016 का बताया जा रहा है। इस पर सैय्यद अली शाह गिलानी के हस्ताक्षर भी हैं। इसमें सभी भारत समर्थित राजनेताओं और सरपंचों से यह कहा गया है कि वह पदों से त्यागपत्र दे दें और अपने घर के दरवाजे पर अपने इस्तीफे की कापी चिपकाएं। सभी इमामों से यह कहा गया है कि मस्जिदों में लोगों को आजादी के लिए जागरूक करें। 14 अगस्त को पाक दिवस पर नमाज पढ़ी जाए और आजादी के तराने हर मस्जिद में गाये जाएं। यह है हुर्रियत के बूढ़े हो चुके नाग गिलानी का देशद्रोही रूप और कश्मीर में हिंसा की साजिश का नग्न दस्तावेज। पाक अधिकृत कश्मीर या गुलाम कश्मीर में बैठे सैय्यद सलाहुद्दीन की शह पर यह कैलेंडर बनाया गया बताया जाता है। कश्मीर का सबसे बड़ा गद्दार सैय्यद अली शाह गिलानी अब पूरी तरह बेनकाब हो गया है। उसका असली चेहरा तब भी सामने आया था जब बुरहान वानी की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल बन्द थे लेकिन श्रीनगर के दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्रों ने परीक्षा दी। यह परीक्षा इसलिए करवाई गई ताकि गिलानी की पोती परीक्षा दे सके।
घाटी के सभी स्कूलों को हुर्रियत ने बन्द करवाया था। सिर्फ दिल्ली पब्लिक स्कूल ही खुला था, क्यों?पिछले वर्ष की ही बात है जब कश्मीर जल रहा था, पूरे राज्य में डर का माहौल था, तब युवाओं को बरगलाया जा रहा था तभी गिलानी अपने पोते अनीस-उल-इस्लाम को जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी दिलाने में कामयाब हो गए थे। गिलानी के पोते को शेर-ए- कश्मीर इण्टरनेशनल कन्वेंशन काम्पलैक्स में रिसर्च आफिसर का पद दिया गया था, वह भी सभी नियमों को ताक पर रखकर। इस नौकरी में अनीस को सालाना 12 लाख रुपए और रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी मिलेगी। इससे पहले 2009 में जम्मू-कश्मीर के पासपोर्ट आफिस ने सीआईडी की तरफ से मिले इनपुट की वजह से अनीस को पासपोर्ट देने से मना कर दिया था।यह वही गिलानी है जिसने विदेश में अपनी बेटी से मिलने के लिए अपने पासपोर्ट में भारतीय नागरिक होना स्वीकार नहीं किया था। तब पासपोर्ट कार्यालय ने उसे पासपोर्ट देने से इन्कार कर दिया था। उसे कहा गया था कि वह पहले खुद को भारतीय घोषित करे।
बड़ी हील-हुज्जत के बाद मजबूरी में सैय्यद अली शाह गिलानी को खुद को भारतीय नागरिक लिखना पड़ा तब जाकर उसे पासपोर्ट दिया गया था। गिलानी पाकिस्तान का दलाल है। इसका बड़ा बेटा नईम गिलानी डाक्टर है, छोटा बेटा दिल्ली की एक बड़ी प्राइवेट कम्पनी में काम कर रहा है। गिलानी की बेटी सऊदी अरब के जेद्दाह में डाक्टर है। इसका छोटा भाई लन्दन में कारोबार करता है। यह शख्स कश्मीर में हर मुस्लिम को जिहादी बनाने में लगा रहा। यह 5 साल के बच्चों को भी नहीं छोड़ता, उनको भी नारे लगाना, पत्थर फैंकना आदि सिखाता है। दूसरों के बच्चों को जिहाद में झोंकने वाले ये जिहादी खुद अपने बच्चों को जिहाद से दूर रखे हुए हैं। आम मुसलमानों को यह बात क्यों समझ में नहीं आती। कोई भी हुर्रियत नेता हो, वह देश का गद्दार है। खाते यहां का हैं, गुणगान पाकिस्तान का करते हैं। अब अति हो चुकी है। पाप का घड़ा भर चुका है। सांपों के सिरों को अब कुचलना ही होगा। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार अब इन पर शिकंजा कस रही है। मेरी सवा अरब भारतवासियों से अपील है कि कश्मीर को बचाने के लिए प्रचंड राष्ट्रवाद अपनाना ही होगा। इन देशद्रोहियों को सबक सिखाना ही होगा।