जिस प्रकार से राहुल गांधी ने 18वीं संसद में अंतर धर्म समभाव पर अपनी वार्ता प्रारंभ की, वह बड़ा सटीक था क्योंकि उन्होंने भगवान शिव, गुरु नानक, ईसा मसीह और इस्लाम धर्मों के शांति संदेश से संसद को अवगत कराते हुए कहा कि न तो किसी से डरना है, न डराना है और इन सभी धर्मों के अनुयायियों का रहमत व स्नेह का हाथ पूर्ण मानवता पर है, को बिल्कुल ठीक है। हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के संबंध में उन्होंने कहा कि वे भी शांति का प्रतीक थे, "रहमतुललिल आलमीन" अर्थात सभी धर्मों के लोगों के लिए वरदान थे, न केवल मुस्लिमों की लिए। बल्कि उन्होंने अपनी कांग्रेस पार्टी के हाथ को भी स्नेही बता दिया। यहां तक तो सब ठीक था और उसकी सभी ने प्रशंसा भी की, मगर जहां वह भटक गए, दरक गए, वह था उनका हिंदुओं को हिंसक बताना। हालांकि मुंह से निकले हुए शब्द, छोड़े हुए तीर की भांति वापिस नहीं आते, मगर फिर भी राहुल ने यह कह कर बात बनाने और संभालने की कोशिश की कि हिंदुओं से उनका अभिप्राय भाजपा और मोदी जी जैसे ''नफरत फैलाने वालों से है।
पिछले कुछ साल से प्रतीत हो रहा था कि उनमें ठहराव आया है और सियासत में पकड़ बनाई है, मगर सच्चाई इससे बिल्कुल विपरीत है। आज भी उनकी प्रवृत्ति ऐसी ही है जैसे इससे पूर्व थी। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि "ये लोग हिंदू नहीं हैं क्योंकि 24 घंटे नफरत और हिंसा की बात करते हैं। राहुल के इस बयान पर अब बीजेपी आक्रामक है। सदन में राहुल गांधी ने कहा कि हिंदू कभी हिंसा नहीं कर सकता, कभी नफरत और डर नहीं फैला सकता। सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक के बीच राहुल गांधी ने कहा कि जो अपने आप को हिंदू कहते हैं कि वो 24 घंटे हिंसा की बात करते हैं। आप (भाजपा) हिंदू नहीं हैं। राहुल गांधी ने जब भाजपा पर यह आरोप लगाया तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने आपत्ति जताते हुए यह कहा कि कांग्रेस नेता ने पूरे हिंदुओं पर बयान देकर बहुत भारी गलती की है।
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान हिंदू धर्म और हिंसा का मुद्दा उठा। राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी समेत सत्ताधारी पक्ष के घटक दलों ने भी सवाल उठाया। राहुल के इस बयान पर बीजेपी भी आक्रामक दिखी। मोदी, शाह ने राहुल के भाषण पर घोर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह एक बहुत गंभीर समस्या है कि सनातन धर्म के मानने वालों पर राहुल का इस प्रकार का इल्ज़ाम बड़ी चिंता का विषय है और उन्हें इसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राहुल की इस बात से बड़ा आघात लगा कि सभी धर्मों की प्रशंसा करने के बाद उन्होंने हिंदुओं के बारे में ऐसा कहा।
राहुल गांधी ने अपने निंदनीय बयान से भारत माता की आत्मा को कुठाराघात किया है और पूर्ण रूप से इसे लहूलुहान करने का कार्य किया है। हम लोग ये मानते थे कि हो सकता है कि नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी परिपक्व होंगे, मगर खेद होता है कि उनका बयान अभी बचकाने से उबर नहीं पाया है। एक अपरिपक्व बुद्धि का व्यक्ति ही इस प्रकार का बयान देगा। संसद में राहुल गांधी के बयान पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट कर अपनी बात रखी। नड्डा ने ट्वीट में लिखा पहला दिन, सबसे खराब प्रदर्शन। झूठ +हिंदू घृणा = संसद में राहुल गांधी जी। नड्डा ने आगे लिखा कि तीसरी बार असफल हुए नेता प्रतिपक्ष को उत्तेजित, दोषपूर्ण तर्क करने की आदत है। नड्डा का कहना था कि उनके आज के भाषण से पता चला है कि न तो उन्होंने 2024 के जनादेश को समझा है (उनकी लगातार तीसरी हार) और न ही उनमें कोई विनम्रता है।
नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी जी को सभी हिंदुओं को हिंसक कहने के लिए तुरंत उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए। यह वही व्यक्ति है जो विदेशी राजनयिकों से कह रहा था कि हिंदू आतंकवादी हैं। हिंदुओं के प्रति यह अंतर्निहित नफरत बंद होनी चाहिए। विपक्ष के नेता ने हमारे मेहनती किसानों और बहादुर सशस्त्र बलों से जुड़े मामलों सहित कई मामलों में झूठ बोला है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी इस मुद्दे को हिंदुओं के अपमान से जोड़कर कांग्रेस पर पलटवार कर सकती है। इतना ही नहीं बीजेपी इस मुद्दे पर सड़क पर भी उतरे तो लोगों को हैरानी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा पार्टी सदन में भी कांग्रेस को इस मुद्दे पर घेरती नजर आएगी। राहुल गांधी के बयान पर एनडीए के कई नेताओं ने पलटवार किया है। भाजपा की तरफ से कहा गया है कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष तो बन गये पर परंतु संवैधानिक पद का सम्मान करना उनके चरित्र का हिस्सा नहीं है।
जो भी हो, संसद में किसी भी धर्म अथवा उनके अनुयायियों की कभी भी अवहेलना नहीं होनी चाहिए। भारत सदा से ही हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि की साझा विरासत का एक खुशबूदार गुलदस्ता रहा है।