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होश और जोश का मेल है ग्रीन पार्क ब्रांच

ग्रीन पार्क ब्रांच ने साबित कर दिया कि जोश और होश यानी युवा और बुजुर्ग यानी अनुभवी लोगों का जहां मिलाप होता है वहां कमाल होता है। हमारी ग्रीन ब्रांच की हैड रेणु गुलाटी और शशी खन्ना जो अपने आप में भी एक हस्तियां हैं।

ग्रीन पार्क ब्रांच ने साबित कर दिया कि जोश और होश यानी युवा और बुजुर्ग यानी अनुभवी लोगों का जहां मिलाप होता है वहां कमाल होता है। हमारी ग्रीन ब्रांच की हैड रेणु गुलाटी और शशी खन्ना जो अपने आप में भी एक हस्तियां हैं। रेणु गुलाटी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं और डायरैक्टर भी रह चुकी हैं और उनसे बात करके ही मालूम पड़ जाता है कि कितनी सभ्य महिला से बात कर रहे हो जो हजारों छात्रों का भविष्य बना चुकी हैं और दूसरी शशी खन्ना जी जो डीडीसीए की कोषाध्यक्ष हैं जो जिन्दगी को बैलेंस करना जानती हैं। जहां कहीं मुश्किल हो उन्हें वहां खड़ा कर दो मुश्किल आसान हो जाएगी। सो दोनों का मेल बहुत ही अच्छा है। ग्रीन पार्क शाखा के सभी सदस्य इन दोनों के दिल से जुड़े हुए हैं।
रेणु गुलाटी जी सामाजिक विकास और मानव मनोविज्ञान पढ़ाती हैं, इसलिए उनके छात्र समय-समय पर आकर बुजुर्गों की मदद करते हैं, उन्हें एक्टिविटीज करवाते हैं। कभी गाना, कभी डांस सिखाते हैं। पिकनिक करवाते हैं जिससे दोनों पीढिय़ों का तालमेल बहुत ही अच्छा बैठता है और बहुत अंडरस्टेंडिंग होती हैै। यही देखने को मिला इस रविवार को ब्रांच के प्रोग्राम में। रेणु गुलाटी जी ने बहुत अच्छे से रॉयल तरीके से प्रोग्राम को शुरू किया और शुरूआत की उनकी सासू मां 85 वर्षीय पदमा गुलाटी जी ने अपने जोशीले भजन से जिसकी आवाज इतनी खुबसूरत थी, फूलों की तरह मुस्कराते रहो भवरों की तरह गुनगुनाते रहो-हर सुबह शुरू होवे दाता तेरे नाम से। उनकी आवाज से ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था कि वह 85 साल की हैं। 
वाकई मुझे लगता है वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब जवान बनाने की मशीन है। उसके बाद 3 बच्चों यानी तीन बेटियों ने भाग लिया। उनकी बातें लग रही थीं कि वह अपने दादा-दादी, नाना-नानी को इस क्लब के सदस्य बनाकर बहुत खुश हैं। सबसे बढिय़ा लगा गोरी विनायक ने कोरोना देवता को प्रार्थना की कि वह वापस चला जाए। सारे दादा-दादियों को जवान बनाने का काम शुरू हो। 
वानीया कुमार ने कहा कि नाना नानू उसके लिए सांता  हैं। दादा-दादी पिकनिक पर ले जाते है। अनवी भाटिया ने कहा कि हमारे बड़े हमारे मार्गदर्शक हैं। दादा-दादी, नाना-नानी वह हमारे पेड़ की जड़ की तरह हैं। हमारे बड़ों की सिखाई बातें कभी व्यर्थ नहीं जातीं। हमारे नाना-नानी, दादा-दादी हमारे हीरो हैं। जिनकी झुरियों के पीछे एक चमक छिपी हुई है, वो है ज्ञान की चमक।
बेटियों की यह प्रस्तुति देख डा. यश गुलाटी जो हमारे ट्रस्टी भी हैं और रेणु गुलाटी के पति हैं, ने बेटियों के बारे अपनी अमेरिका में रह रही बेटी को याद करते ऐसी कविता कह दी कि मेरी आंखें नम हो गईं। वाकई बेटियां सब समझ जाती हैं, वह चाहे पास न हों पर पास रहने का हमेशा एहसास दिलाती हैं।
फिर ग्रीन पार्क के हीरो गाबा जी ने बहुत अच्छी कविता सुनाई, जिसमें अपने ब्रांच हैड का नाम लेते हमारे हर सदस्यों का नाम लेकर सबको खुश कर दिया, वाकई  हीरों हैं।
उसके बाद शाम विनायक जी ने चिट्ठियों के बारे में कविता गाई जिससे उन्होंने 74 साल उम्र में सबको अपनी जवानी याद दिला दी। त्रिपता विनायक ने खुबसूरत गीत गाया- जिन्दगी एक सफर है सुहाना, जो हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब का सदाबहार गीत है। शीला गोयल ने बहुत सुन्दर डांस किया-उड़ें जब जुल्फें तेरी, वाह क्या बात है। उसके बाद सुशील शर्मा जी ने नए साल की शुभकामनाएं देते हुए ढाई अक्षरों की महिमा सुनाई। यानी सृष्टि, लक्ष्मी, विष्णु, दुर्गा, शक्ति, श्रद्धा, ज्ञान कितने हैं ढाई अक्षरों की गिनती गिनवा दी। जीवन से मृत्यु तक हम इन शब्दों से बंधे हैं। वाह सुशीला जी आपके ज्ञान को दाद देती हूं। कैलाश रानी जी मिठड़े लगदे ने तेरी बासुरी दे बोल बहुत ही अच्छा भजन लगा। कामिल जिगर मुरादाबादी ने बहुत अच्छी नज़म सुनाई जिनको जब हम लाइव प्रोग्राम करेंगे तो जरूर सुनें। फिर हमारी पूरी शर्मा परिवार ने हम हिन्दोस्तानी गीत गाया, सब में देशभक्ति जगाई। शशी चोपड़ा जी ने जिन्दगी की सच्चाई बताई कि सबकी रिटर्न टिकट कन्फर्म हैं, इसलिए मनभर कर जीयें इसलिए शुक्रिया अदा करते हुए जितना आपके पास है उसे एंज्वाय कीजिये।
कृष्णा शर्मा जी ने कैसा बुढ़ापा आया धोखा दे गई जवानी क्या पेरोडी गाई कि बुढ़ापे में क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं बाल काले, रंग के करने, आंखों की कमजोरी पर चश्मा लगाना पड़ता। फैसियल करवाने पड़ते हैं। मन ही मन सभी मुस्करा रहे थे, सबके दिलों का हाल था।
पंचशील की सावित्री कालिया के सभी सिद्धांत नौन, मौन, कौन, मर्यादा में रहना मस्त और व्यस्त, स्वस्थ रहो सिखाये।
उसके बाद फिर हमारे सबके चहेते सदस्य डा. यश गुलाटी ने, शैल चतुर्वेदी ने बड़े अच्छे ढंग से कविता सुनाई कि कैसे कभी-कभी किसी की आंख फडक़ने से मार पड़ती है और वह तभी बचे जब उनकी जिन्दगी में उनकी पत्नी रेणु आई क्या बात है। डाक्टर साहिब आप अपने डाक्टरी पेशे से क्लब के सदस्यों को दर्द से छुटकारा दिलवाते हो, फिर कविता सुनाते हो, 
हंसाते हो और कभी सेक्सोफोन पर नई-नई ट्यून बजाकर पुराने गानों की याद करवाते हो।
डा. अंजलि मिश्रा जो लाइफ लाइन की डायरेक्टर हैं। हमारी बहुत ही प्यारी हैल्प करने वाली मित्र हैं। उनकी लैब द्वारा बहुत बार हमारे सदस्यों के टैस्ट फ्री हुए, कभी ब्ल्ड, शुगर, बी.पी. आदि अब उन्होंने कोविड के बारे में सबको जानकारी दी। बचाव के तरीके बताए और किन-किन चीजों से बचना चाहिए बताया। 
अंत में शशी खन्ना जी ने अपनी मधुर भाषा में सबको धन्यवाद कहा। स्टे सेफ, स्टे हैल्थी।

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