पंजाब में गन कल्चर पर अंकुश लगाने के लिए भगवंत मान सरकार द्वारा हथियारों के सार्वजनिक प्रदर्शन, हथियारों को लेकर लगाए जा रहे गीतों और सार्वजनिक समारोहों, धार्मिक स्थलों और शादियों में हथियारों के प्रदर्शन पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद राज्य में कार्रवाई की जा रही है। हथियारों के लाइसैंसों की जांच, हथियारों के साथ अपने वीडियो अपलोड करने वालों के खिलाफ और हेट स्पीच या धमकियां देने वालों के विरुद्ध मामले दर्ज किए जा रहे हैं। पंजाब में पनप चुकी बंदूक संस्कृति ने सबकी नींद उड़ा रखी है। पंजाब में आपराधिक गिरोहों का इतिहास बहुत पुराना है। पंजाब कोई रातोंरात गैंग लैंड नहीं बना है। लोकप्रिय गायक सिद्धू मूसेवाला, शिवसेना टकसाली के नेता सुधीर सूरी और डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी प्रदीप सिंह की हत्या के बाद जिस तरह से पंजाब का माहौल खराब करने वाले विदेशों मेें बैठे तत्वों और स्थानीय गैंगस्टरों में साठगांठ का पर्दाफाश हुआ है, उससे यह आशंकाएं जोर पकड़ने लगी हैं कि पंजाब में हिंसा की उग्रता कहीं राज्य की फिर से नियति न बन जाए। यद्यपि यह प्रश्न क्या संगीत समाज को हिंसक बना सकता है। एक बहस का विषय है। क्या म्यूजिक वीडियो में बंदूकें सक्रिय रूप से समाज को नुक्सान पहुंचाती हैं। इस मुद्दे पर समाजशास्त्रियों की बहस जारी है। हथियार सदियों से पंजाबी संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। जग्गा डाकू, दुल्ला भट्टी या मिर्जा साहिब और अन्य वीर गाथाओं में इनका उल्लेख रहा है।
पहले के समय में हथियार आत्मरक्षा के लिए होते थे। पंजाब ने पूर्व में आतंकवाद का काला दौर झेला है। आतंकवाद के दौरान ही बंदूक शक्ति का प्रतीक बन गई थी। पंजाब में आतंक के चलते हमने और हजारों लोगों ने पारिवारिक आघात झेले हैं। हजारों लोगों की शहादतों के बाद पंजाब में स्थितियां सामान्य होती गईं लेकिन हथियार लाइसैंसों की संख्या बढ़ती गई। बेरोजगारी और नशीली दवाओं के खतरे ने जल्द ही बंदूकों को युवाओं की मुखरता का एक उपकरण बना दिया। सवाल केवल पंजाबी गीतों का नहीं है, सवाल यह है कि गन कल्चर अब राज्य में जटिल चुनौती बन चुका है। पंजाब में इस समय 4 लाख के करीब सक्रिय हथियार लाइसैंस हैं और 2 लाख से ज्यादा अवैध हथियार राज्य में है। निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। अलगाववादी मानसिकता के लोग टारगेट किलिंग में लगे हुए हैं। अपराधों को अंजाम देने वाले गैंगस्टर विदेशों में बैठे हैं। विदेशों में बैठे गैंगस्टर पंजाब में अशांति, अराजकता, अपराध एवं आतंकवाद को फैलाने के लिए धन की मदद कर रहे हैं।
भारत की जेलों में बंद गैंगस्टरों का ताल्लुक पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से है। सीमापार से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी आम हो चुकी है। पाकिस्तान ड्रोन हथियार और ड्रग्स गिरा रहे हैं। इसी बीच पंजाब में एक और जबरदस्त खतरा यह पैदा हो चुका है कि खालिस्तानी विचारधारा को फिर से फैलने की साजिशें रची जा रही हैं। किसान आंदोलन के दौरान लालकिला हिंसा में चर्चित हुए दीप सिद्धू के संगठन ‘वारिस पंजाब दा’ के नेता बने। अमृतपाल सिंह खुलेआम खालिस्तानी समर्थकों को भड़काने का काम कर रहे हैं। खुद को भिंडरावाला का अनुयाई बताने वाले अमृतपाल सिंह कुछ महीने पहले दुबई से आकर पंजाब में एकदम से कैसे स्थापित हो गया, इसकी गहराई से जांच की जरूरत है। हालांकि लुधियाना पुलिस ने अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष राजा वडिंग को धमकी देने और हथियारों का सार्वजनिक प्रदर्शन करने के मामले में मामला दर्ज कर लिया है। देखना है कि कार्रवाई किस अंजाम तक पहुंचती है। अमृतपाल सिंह ने ट्वीट करते हुए राजा वडिंग से कहा था कि ‘‘यह लोग तो बत्तीस बोर और बारह बोर को देखकर चिल्लाने लगे हैं, मगर जिन हथियारों को अभी दिखाया नहीं गया उन्हें देखकर तो यह लोग चिल्लाने लगेंगे।’’ दो दिन पहले अमृतपाल सिंह ने स्वर्ण मंदिर परिसर से खालस वहीर पदयात्रा शुरू की तो इस दौरान हथियारों के साथ उनके सुरक्षाकर्मी भी साथ थे। अब जबकि पूरे भारत में राष्ट्रवाद सिर चढ़कर बोल रहा था तो ऐसे समय में एक सिख नौजवान लोगों को भड़का रहा है कि ‘‘हमें अपनी आजादी के लिए लड़ना होगा।’’ खालिस्तान की मांग के संदर्भ में भविष्य की जंग लड़ने की बात वह किसके दम पर बोल रहा है, कौन खड़ा है उसके पीछे। उसके तार किस-किस से जुड़े हैं। दीप सिद्धू द्वारा स्थापित संगठन इतना लोकप्रिय तो नहीं था कि कोई आकर उसका नेता पद सम्भाल ले और कुछ ही दिनों में लोकप्रिय हो जाए। दीपसिद्धू की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद अचानक अमृतपाल का पंजाब आना बहुत से सवाल खड़े करता है। पंजाब के सभी राजनीतिक दल चाहे वह शिरोमणि अकाली दल बादल हो, कांग्रेस हो या भाजपा अब यह सवाल उठा रहे हैं कि कौन है यह नया खालिस्तानी जो खुलेआम टहल रहा है।
पंजाब सरकार द्वारा गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गीतों और सोशल मीडिया पर प्रचारित वीडियो पर कार्रवाई करने से ही मसला हल होने वाला नहीं है। इसके लिए अलगाववादी मानसिकता से निपटने की जरूरत है। पंजाब को बेस बनाकर भारत को कमजोर करने का षड्यंत्र जारी है। यह षड्यंत्र काफी बड़ा हो सकता है। पंजाब एक सीमांत राज्य होने के कारण काफी संवेदनशील राज्य है। पंजाब में रची जा रही साजिशें भारत की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। हालात बिगड़े तो स्थितियां काफी जटिल हो सकती है। पंजाब सरकार, पंजाब पुलिस के साथ-साथ केन्द्र और सुरक्षा एजैंसियों को ज्यादा सजग और सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे में सरकार को हर स्तर पर अपना खुफिया और सुरक्षा तंत्र मजबूत करने की जरूरत है।
आदित्य नारायण चोपड़ा