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जम्मू-कश्मीर को 4जी मुबारक

समूचे जम्मू-कश्मीर में 4जी मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से इंटरनेट सेवाओं को निलम्बित कर दिया गया था।

समूचे जम्मू-कश्मीर में 4जी मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से इंटरनेट सेवाओं को निलम्बित कर दिया गया था। इससे पहले अगस्त 2020 में कश्मीर के गंदेरवल और उधमपुर जिले में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया गया था। जम्मू-कश्मीर में हाई स्पीड इंटरनेट सेवा 18 माह बाद बहाल हुई है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। केन्द्र ने जम्मू-कश्मीर में हाई स्पीड इंटरनेट प्रतिबन्धित करने के पीछे कथित रूप से अलगाववादियों और पाकिस्तानी आतंकवादियों को वजह बताया था। सुप्रीम कोर्ट के परामर्श के अनुसार एक समिति का गठन किया गया था जो इंटरनेट बहाल करने के मुद्दे पर विचार कर रही थी। अब इसी कमेटी की सलाह पर केन्द्र शासित राज्य के प्रशासन ने निर्णय लिया है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के फैसले का वहां के राजनीतिज्ञों और युवा वर्ग ने स्वागत किया है। इसके साथ ही कुछ सुरक्षात्मक उपाय भी ​किए गए हैं। प्रीपेड सिम कार्ड धारकों को तय नियमों के अनुसार वेरीफिकेशन के बाद ही इंटरनेट सम्पर्क की सुविधा दी जाएगी। यद्यपि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष जनवरी में ही इंटरनेट तक पहुंच का मौलिक अधिकार बताया था। पूरी दुनिया 5जी इंटरनेट सेवाओं के उपयोग की तरफ बढ़ रही है, फिर भी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में धीमी गति वाली 2जी इंटरनेट सेवाओं को अनुमति दी थी।
मोबाइल, इंटरनेट पर पाबंदियां लगाना प्रशासन और सुरक्षा बलों की मजबूरी भी रहा। सरकार की मंशा गलत नहीं थी लेकिन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के चलते मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल लोगों को भड़काने, अफवाहें फैलाने और सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ों के दौरान लोगों को मुठभेड़ स्थल पर पहुंचने की अपीलों के लिए ​किया जा रहा था। घाटी में शांति बहाली के लिए इन सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया था। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के चलते भी स्थिति को देखते हुए दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं ठप्प कर दी जाती हैं। मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ऐसा माध्यम है जिससे काई भी सूचना पलभर में कहीं भी पहुंचाई जा सकती है। कई बार इनके दुरुपयोग से आतंकवाद से जूझ रहे सुरक्षा बलों द्वारा असाधारण परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती रही हैं। नागरिकों की जान बचाने के ​लिए उन्हें काफी सतर्क होकर काम करना पड़ता था। अब सुरक्षा बलों का हाथ ऊपर है, आतंकी कमांडरों की उम्र अब कुछ महीने की ही रह गई है। आतंकवाद उन्मूलन अभियान में सुरक्षा बलों को लगातार सफलता मिल रही है।
आज की दुनिया में इंटरनेट लोगों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि मनुष्य के लिए आक्सीजन। इंटरनेट सेवा की अनुपलब्धता का राज्य के सभी क्षेत्रों में बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा। राज्य में वाणिज्यिक, चिकित्सा, शैक्षिक और पत्रकारिता का क्षेत्र प्रभावित तो हुआ ही बल्कि हस्तशिल्प उद्योगों को भी भारी नुक्सान हुआ। इंटरनेट सेवा बंद होने से सबसे अधिक नुक्सान सूचना प्रौद्योिगकी क्षेत्र को उठाना पड़ा। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय आईटी कम्पनियों के साथ काम करने वाले अनेक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी। ट्रेवल एजैंसियों की तो सारी बुकिंग इंटरनेट पर ही होती है, इसलिए इन एजैंसियों का कामधंधा ठप्प हो गया। हस्तशिल्प का काम करने वालों के आर्डर बुक नहीं हो रहे थे। सरकार ने कश्मीर में बढ़ती बेरोजगारी को रोकने के लिए कुछ वर्ष पहले कई व्यापार और औद्योगिक योजनाओं की शुरूआत की थी। इन योजनाओं के तहत शिक्षित लड़कों और लड़कियों ने नई वाणि​ज्यिक और औद्योगिक परियोजनाएं शुरू की थीं। इंटरनेट पर प्रतिबंध के कारण स्टार्टअप्स कम्पनियों को काफी आघात लगा। यह सब उस समय हुआ जब बड़ी संख्या में कश्मीरी युवा पहले से ही बेरोजगार थे। रही-सही कसर कोरोना वायरस ने पूरी कर दी।
कोरोना काल में इंटरनेट शिक्षा का सबसे बड़ा स्रोत है और कश्मीरी बच्चे पिछले एक साल से शिक्षा से वंचित रहे। अति धीमी 2जी सेवा के कारण अधिकांश बच्चे भी आनलाइन शिक्षा से लाभ उठाने में असमर्थ रहे। लोकतंत्र में किसी भी सुविधा से लम्बे समय तक वंचित नहीं रखा जा सकता। कुछ युवा ऐसे हैं ​जो  2जी स्पीड में अपने बिजनेस को ऊंचाई पर ले जाते रहे। दो लड़कियों ने क्राफ्ट वर्ल्ड कश्मीर के नाम से आउटलेट शुरू किया था, वह भी कामयाब हुआ। कुुछ ने आनलाइन शहद का बिजनेस शुरू किया। वैसे तो पुलवामा का नाम हमेशा गलत खबरों के चलते सुर्खियों में रहा। आतंकवाद प्रभावित इस क्षेत्र के छोटे से गांव रव्निपुरा में रहने वाले बासित बिलाल खान ने तमाम पाबंदियों के बावजूद नीट की परीक्षा में 720 में से 695 अंक हासिल कर परीक्षा में टॉप कर इतिहास बना दिया। कश्मीर के युवा अब अच्छे डाक्टर, इंजीनियर और संगीतकार बन कर निकल रहे हैं। जरूरत केवल घाटी में जहर फैलाने वालों पर अंकुश की। अब जबकि 4जी सेवा बहाल की जा चुकी है। कश्मीर अवाम को 4जी मुबारक हो। उम्मीद की जानी चाहिए कि कश्मीरी अवाम इंटरनेट सेवा का उपयोग व्यापारिक और अन्य सकारात्मक गतिविधियों के लिए करेगा और इसका दुरुपयोग करने वालों को दरकिनार करेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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