आज आप भले हमारे बीच नहीं हों, परन्तु आपके होने का अहसास आपके अच्छे कर्मों के साथ हमारे बीच सदैव रहता है और जिन्दगी की मुश्किलों से लड़ने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और आज आपका जन्मदिन सारे देश में मनाया जा रहा है क्योंकि वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब आपके नाम से लाला जी का सपना पूरा करने के लिए आपकी पत्नी के आशीर्वाद से शुरू हुआ। आपके बड़े बेटे और बहू ने शुरू किया जिसकी 23 शाखाएं सारे देश में आैर एक स्वतंत्र शाखा यंग हर्ट के नाम से दुबई में है। लगभग काफी शाखाएं आपका जन्मदिन मनाते हुए सारे देश को संदेश देंगी कि अगर आपने देश की एकता-अखंडता को कायम करने के लिए देश पर प्राण न्यौछावर किए हैं तो देश का युवा, बुजुर्ग आपको हमेशा याद रखेगा। यही नहीं हमारा जे.आर. मीडिया इंस्टीट्यूट (जगत नारायण रोमेश चन्द्र) जिसके कई हजारों पत्रकार सारे देश में आपकी निर्भीक, निष्पक्ष, निडर पत्रकारिता का संदेश लेकर सारे देश में कई प्रमुख टी.वी. चैनल, अखबार द्वारा फैल चुके हैं।
हम आपका जन्मदिन कई बुजुर्गों को आर्थिक सहायता और उनको इस कड़ाके की सर्दी में जरूरत का सामान देकर मना रहे हैं। जब से अश्विनी जी हरियाणा के सांसद बने हैं, मैं हरियाणा के यूथ, महिलाओं और पत्रकार, भाजपा कार्यकर्ताओं के ग्रुप से जुड़ी हुई हूं और समय-समय पर मैसेज से उनसे जुड़ी रहती हूं। जब मैंने यह मैसेज भी कई ग्रुप में डाला तो करनाल के एक सीएम ग्रुप के उमेश चावला ने मुझे जवाब दिया कि आप दिल्ली प्रोग्राम कर रहे हैं तो यह प्रचार करनाल क्यों, तो मैंने उसे लिखा कि पहले तो यह समझो कि करनाल, पानीपत, समालखा, गुड़गांव, फरीदाबाद, सोनीपत, कतलूपुर गांव (हरियाणा) जयपुर, नोएडा, नरेला, हैदराबाद। यह प्रोग्राम हमेशा समय-समय पर होते हैं और आज आैर कल भी हर स्थान पर हो रहे हैं। यह प्रचार नहीं यह लोगों को प्रेरणा देने के लिए है कि आओ उन लोगों को हमेशा याद रखें जिन्होंने देश के लिए प्राण दिए और देश के शहीदों के लिए हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, आंध्रा, तमिलनाडु आदि नहीं होता जैसे सरहद पर जान देने वाले हर जवान के लिए यह नहीं होता कि वो स्टेट के लिए जान दे रहा है वाे सारे देशवािसयों के लिए होता (जिन देशवासियों में तुम भी एक हो) और मेरा मन करता है कि मैं सीमा पर प्राण न्यौछावर करने वाले हर सैनिक को याद करूं इसीलिए अपनी कई लिखी किताबों के पैसे उनके पिरवारों के लिए देती हूं आैर वो सिर्फ करनाल के नहीं, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब से होते हैं तो मैं हर देशवासी को कहूंगी कि अपनी छोटी सोच से बाहर आएं और मेरे साथ मिलकर काम करें, सोच बदलें। मैसेज देते-देते एक उमेश चावला की सोच तो बदली। मुझे उम्मीद है कि वह उमेश चावला अब बहुत लोगों की सोच बदलेगा और बहुत से उन्हीं परिवारों की सेवा के लिए आगे आएगा जिनके बेटे, पति, पिता ने देश के लिए प्राण न्यौछावर किए।
मैं अपने पापा (पिता ससुर) रोमेश जी को कभी नहीं भूलती जो सही मायने में ऊंची सोच, साधारण जीवन निर्वाह करते थे। सारे पिरवार को साथ लेकर चलते थे। आज्ञाकारी पुत्र स्नेहमयी बड़ा भाई (जिसने हमेशा अपने पिरवार से बढ़कर छोटे भाई के परिवार को महत्वता दी)। एक आदर्श पिता और मार्गदर्शक पति (मेरी सासू मां को बहुत ही मान-सम्मान देने वाले) एक समाजसेवी, एक देशभक्त एक पोते पर जान न्यौछावर करने वाले दादा। मुझे आज भी याद है कि आदित्य मेरा पहला बच्चा और बहुत बड़े पिरवार का पहला पोता, उसके पेट में गैस हो जाती थी तो वह बहुत रोता था और उसके दादा जी सारी रात उसे गोदी में लेकर लोरी गाते थे। ‘‘
आजा रे निनी मेरे बेटे को, बेटा रोता है….। जब कभी मैं उन्हें स्टेशन छोड़ने जाती वो अक्सर कश्मीर मेल से जालन्धर जाते थे तो छोटे से आदित्य को मेरी गोदी से लेकर उसका छोटा बैग लेकर कहते थे-इसे मैं ले जाऊं। तुम्हारी मां (सासु मां) को सरप्राइज दूंगा आैर उनके प्यार के आगे मैं उन्हें कभी न नहीं कहती थी। बड़े शांत स्वभाव से कम बोलने वाले यहां तक कि उनके शहीद होने के बाद उनकी अलमारी से उनके पांच जोड़ी कपड़े, 1 अचकन, 2 स्वेटर, 2 चप्पलों के जोड़े मिले। उनके स्वेटर और अचकन अभी भी अश्विनी जी के साथ हैं बड़े भावुक होते हैं। उसे देखकर मुझे यह भी याद है जब मैं उनके जन्मदिन पर सुबह-सुबह उन्हें मिठाई का डिब्बा और कार्ड देती थी, उनकी मुस्कुराहट और खुशी देखने वाली होती थी। सुबह-सुबह सर्दी के दिनों में हमारे कमरे के बाहर के वाशरूम के पास शेव करते-करते बहुत से लोगों की (एमएलए थे) समस्याएं दूर करते थे और अक्सर एक शब्द उनके मुख में रहता था। ‘मेरे राम राय, तू संतों का संत मेरे’ या अक्सर कहते थे ‘जीवन-मरण, लाभ-हानि, यश-अपयश सब विधि के हाथ’।
आज के दिन वो जहां कहीं भी हैं स्वर्ग में या दूसरे जन्म में, उन्हें मुबारकबाद देती हूं और उस माता-पिता को मुबारकबाद देती हूं (लाला जगत नारायण, शांति देवी) जिन्होंने ऐसा पुत्र पैदा किया और उस पत्नी को (श्रीमती रोमेश चन्द्र, सुदर्शन चोपड़ा जी) को नमन करती हूं जिन्होंने उनके बाद बड़े संयम से पिरवार को सम्भाल कर रखा, बड़ी चुनौतियों का राम-राम करते सामना किया।