नया साल मुबारक पर कोरोना से बचकर

नया साल मुबारक पर कोरोना से बचकर
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नव वर्ष 2024 का अपना ही आनंद है और खुशी-खुशी इसका स्वागत किया जाना चाहिए। पुराना वर्ष 2023 भी कई चुनौतियां हमारे लिए छोड़ कर गया है, इसलिए हम इसे विदा भी कर रहे हैं। नए वर्ष का जश्न जरूर मनाना चाहिए लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कोरोना अभी गया नहीं, बल्कि वह किसी न किसी रूप में हमारे बीच मौजूद है। इसलिए जश्न के साथ-साथ सम्भलना भी जरूरी है। कोरोना का नया वेरिएंट जेएन-1 ऐसे समय में दहशत फैला रहा है जब हम कोराेना से मुक्त होने की कल्पना करके सावधानियां छोड़ चुके हैं। कोरोना के नए वेरिएंट का घातक प्रभाव केरल में पड़ा है और कोरोना के नए आंकड़े डर फैला रहे हैं। यद्यपि नया वेरिएंट ज्यादा खतरनाक नहीं लेकिन उन लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है जिनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर है और जो पहले ही गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त हैं।
दु:ख की बात यह है कि चार दिन पहले ही कोरोना का नया वेरिएंट देश में पसर रहा है और दिल्ली में एक केस दर्ज भी हो गया है। केरल, गोवा से नए वेरिएंट की शुरूआत हुई जो गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम होते हुए दिल्ली तक पहुंच गया है। इसलिए हम कहीं नए वर्ष के जश्न में डूबे न रहें बल्कि सावधानियों को भी याद रखें, उन्हें निभाएं जिनका प्रयोग करके हमने पिछले चार साल से कोरोना का सामना किया है।
सयाने कहते हैं कि किसी भी पुरानी मुसीबत, महामारी और दर्द को याद नहीं रखना चाहिए लेकिन मेरा मानना है कि दोबारा यह दर्द किसी को न हो इसके उपाय जरूर होने चाहिए तथा पुराने जख्म जो कोरोना ने दिए हैं, को याद करके उपाय जरूर करने चाहिए। कहा भी गया है कि सावधानी हटी दुर्घटना घटी। देशवासियों ने कोरोना की दूसरी लहर में विशेष रूप से दिल्ली वालों ने बहुत कुछ गंवाया है। अगर हम सावधान रहे तो बहुत कुछ किया जा सकता है। चुनौतियों पर विजय पाई जा सकती है। बात राज्य सरकार की हो या केंद्र सरकार की अपने-अपने मामले में सबकी राय सही है कि चिकित्सा से परहेज बेहतर है। इससे पहले कि बीमार पड़ें और दवा खाएं, अच्छा है उपचार कर लें ताकि दवाई खाने की और क्वारंटीन होने की जरूरत ही न पड़े। नए साल के जश्न में पार्टियां भी मनेंगी और भीड़ भी सड़कों और होटलों, रेस्तराओं तथा बगीचों में होगी। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने बार-बार यही अपील की है, एडवाइजरी जारी की है कि भीड़ वाले स्थानों पर जाते हुए मास्क लगा लें तो कोई  बुरा नहीं है यह हमारे भले के लिए है। हालांकि पंजाब जैसे राज्य ने और चंदीगढ़ प्रशासन ने सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ होने की स्थिति में मास्क लगाने की बात कही है लेकिन यह बात सबको अपने ऊपर लागू कर लेनी चाहिए। इससे हम बच सकते हैं। हालांकि सरकारों ने एक बात अच्छी की है कि एडवाइजरी में लोगों को अलर्ट रहने के साथ-साथ पैनिक में न आने की बात कही है। क्योंकि अगर महामारी की दस्तक दिल्ली में दी जा चुकी है तो हड़कंप मचाने की बजाये हाथ अच्छी तरह से धोना, छींक और खांसी से बचना यह सब काम कर लिए जाने चाहिए। बातें छोटी-छोटी हैं लेकिन बड़ी से बड़ी बीमारी से बचने के लिए काफी है। सार्वजनिक स्थलों से वापिस घर आने पर या घर से दफ्तर जाने पर हाथ धोना और घर तथा दफ्तरों में सैनेटाइजर का इस्तेमाल जरूरत करना चाहिए। मैं कोई डाक्टर तो नहीं हूं लेकिन डाक्टरों के इस परामर्श को जीवन में जरूर उतारती हूं तथा परिवार और अपने कार्यालय में सभी को स्वच्छ रहने की अपील करती हूं जिसे सब स्वीकार भी करते हैं। डाक्टर लोग कह रहे हैं कि नववर्ष अभिनंदन पार्टियों में जाने से गुरेज करें तो अच्छा है। सीमित संख्या में रहकर अपनी कालोनी में ही अपने घर पर ही छोटी पार्टियां आयोजित की जा सकती हैं। डाक्टरों की इस अपील को बचाव के मंत्र के रूप में मान लेना चाहिए। कनाट प्लेस, इंडिया गेट या कहीं और जाकर भी हो-हल्ला करने से बेहतर है घर पर रहना।
क्योंकि अब जनवरी आ रही है लिहाजा ठंड पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में खांसी, नजला-जुकाम यह सब कोरोना को भी आमंत्रण इसलिए दे सकते हैं कि अगर हम भीड़ में जाते हुए मास्क नहीं लगाते हैं। कभी हमारे देश में दो गज की दूरी और मास्क जरूरी के मंत्र दिए गए थे। इनमें कोई बुराई नहीं। हमें अपनी इम्युनिटी को मजबूत रखना है।
सबकुछ सरकारों के जिम्मे ही नहीं छोड़ दिया जाना चाहिए। बीमारी से बचने के लिए हमें खुद भी अपना और परिवार तथा समाज का ध्यान रखते हुए सतर्क रहना बहुत जरूरी है। सच कहा है कि अगर हम व्यक्तिगत तौर पर चुनौती का सामना नहीं कर पायेंगे तो सामूहिक रूप से इसका सामना कैसे करेंगे। पहले संकल्प, लेना जरूरी है कि हम इस मंत्र का पालन करेंगे जो हमें हाथों की सफाई और संक्रमण से बचने के लिए प्रेरित करता है। याद करो कि कभी हमने कहा था कि कोरोना से डरना नहीं इसे डराना है। हम मिलजुल कर नए साल का स्वागत करेंगे और ज्यादा भीड़भाड़ से बचेंगे क्योंकि बचाव में ही बचाव है। इस मंत्र को याद रखेंगे तो नए साल का जश्न सही तरीके से मनाया जा सकेगा।

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