मोदी जी ने ट्रंप का स्वागत और उस इवेंट का नाम नमस्ते ट्रंप रखा तो मुझे बहुत अच्छा लगा। मुझे अपनी भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर बहुत गर्व है। मैं और अश्विनी जी लगभग सारी दुनिया घूमे, परन्तु हमें भारत से प्यारी कोई जगह नहीं लगी। यहां का खान-पान, रहन-सहन, मौसम, संस्कृति, व्यवहार का कहीं मुकाबला नहीं। सच पूछो तो मैंने अपनी भारतीय संस्कृति के कारण विदेशों में सम्मान प्राप्त किया क्योंकि मुझे शुरू से मेरी मां ने जो संस्कार दिए थे और अश्विनी जी और मेरी सासू मां ने जो मुझे व्यवहार दिया, उसके कारण मुझे समाज और देश में आदर-सम्मान मिला। विदेशों में मैंने कइयों काे साड़ी पहननी सिखाई, कइयों को माथे पर लाल बिन्दी, जो मेरी और अश्विनी जी की फैवरिट थी। अमेरिका के सेलोन केटरिंग कैंसर सैंटर हास्पिटल में लोग मुझे मेरी बिन्दी के बारे में पूछते थे। अभी मेरे तीनों बेटे मुझे रोज कम्पैल करते हैं मां बिन्दी लगाओ, आपका सूना माथा अच्छा नहीं लगता तो मैं उनको कहती हूं अब मेरी बिन्दी आपके पापा के साथ चली गई, तो वह झट से कहते हैं पापा कहीं नहीं गए, वो तो हमारे साथ हैं, आपको लगानी पड़ेगी। अम्बानी की मां भी लगाती है, परन्तु मेरे पास न रुकने वाले आंसुओं के सिवा कोई जवाब नहीं होता।
मुझे आज भी याद है जब हम नए-नए दिल्ली आए तो हमें सब जगह से निमंत्रण आते थे। आदित्य मेरी गोदी में था तो मैं कम ही जा पाती थी, परन्तु मुझे याद है एक बार अमेरिकन अम्बेसडर रिचर्ड एफ सेलेस्टे और उनकी पत्नी ने मुझे और अश्विनी जी को डिनर पर बुलाया। हम जब वहां गए तो स्वागत में दोनों पति-पत्नी थे। उन्होंने अश्विनी जी से हाथ मिलाया, जब मेरी बारी आई तो उन्होंने हाथ आगे किया तो मैंने नमस्ते कर दी और उनकी पत्नी से हाथ मिलाया। घर आकर अश्विनी जी ने कहा, भाई अगर तुम उनसे हाथ मिला लेतीं तो क्या बात थी, यह उनका कल्चर है, तो मैंने झट से कहा यह मेरा कल्चर है। फिर उन्होंने मुस्करा कर मेरी तरफ देखा। उनकी आंखों में था कि तू बड़ी पक्की है। कुछ महीनों बाद फिर उन्होंने हमें बुलाया। रास्ते में अश्विनी जी ने कहा तेरी मर्जी है, पर मैं कहूंगा इस बार ऐसा न करना, हाथ मिला लेना। शायद उनको बुरा लगे और तू पढ़ी-लिखी है, तुम्हें समझना चाहिए। मैं सारे रास्ते पत्नी होने के नाते अपना मन बनाती गई कि कैसे करूं बड़ा मुश्किल था क्योंकि मैं पंजाब से आई थी। अपने पंजाबियों का अलग कल्चर है।
उस समय बड़ी पार्टी थी। जैसे ही हम गए काफी लोग उनको मिल रहे थे। पहले अश्विनी जी ने हाथ मिलाया,। जैसे ही मेरी बारी आई मैंने बड़े अनमने मन से हाथ आगे बढ़ाया। उन्होंने चौंक कर मेरी तरफ देखकर हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा और मेरा हाथ वहीं रह गया और झट से मैंने बड़ी खुशी से नमस्ते कहा और वापसी में मैंने अश्विनी जी को कहा, देखा मेरी संस्कृति जीत गई। अमेरिकन अम्बेसडर को याद रहा और उन्होंने मेरे को नमस्ते कहकर न केवल मेरे को बल्कि भारतीय संस्कृति को भी सम्मान दिया। फिर अश्विनी जी ने मुस्करा कर देखा। इस बार उनका पंजाबी में कहना था-जा बाबा तू जीती मैं हारा। फिर मैंने उनको कहा, आप मानो या न मानो हमारी जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता है उसके मायने ही वैज्ञानिक कारण हैं। चाहे वो सूूर्य जल देना हो, तुलसी जल, व्रत, हवन सबके मायने हैं। कुछ साल बाद इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ (द्वितीय) आई तो हमें डिनर पर बुलाया गया तो वो दस्ताने पहन कर सबको हाथ मिला रही थीं। मुझे थोड़ा बुरा लगा कि यह क्या, वह हम भारतीयों को अभी भी कुछ नहीं समझतीं तो अश्विनी जी ने कहा ये लोग इन्फैक्शन से बचने के लिए हमेशा ऐसा करते हैं यह इनका फैशन है परंतु दस्ताने पहन कर हाथ मिलाना मुझे नहीं भाया।
अब जब कोरोना वायरस फैला है, बार-बार टीवी पर जानकारी आ रही है कि कैसे बचा जाए और कल से टीवी पर ट्रंप और प्रिंस चार्ल्स की वीडियो चल रही है। वह भारत के नमस्ते की प्रशंसा कर रहे हैं और वो ही अच्छी सभ्यता है, तो मुझे लग रहा है कि वो दिन दूर नहीं जब भारत की संस्कृति, सभ्यता सारी दुनिया अपनाएगी। पहले योगा सारी दुनिया ने अपना लिया है। अब नमस्ते की बारी है। योगा सेहतमंद होने के लिए और नमस्ते सेहत को बचाने के लिए।
आज कोरोना के खिलाफ युद्ध स्तर पर पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन और दिल्ली के सीएम केजरीवाल पूरी मैडिकल टीम सहित काम कर रहे हैं, विशेष रूप से आईटीबीपी और सेना ने आइसोलेशन सैंटर कोरोना से संक्रमित लोगों के उपचार के लिए बना रखे हैं, इनकी जितनी तारीफ की जाए कम है। हम सबकी एक देश के नागरिक नाते जिम्मेदारी है कि नियमों का पालन करें। सोशल मीडिया पर सही सार्थक चीजें शेयर करें और ऐसी कोई बात वायरल न करें जिससे माहौल बिगड़े। स्कूल, कालेज सिनेमाघर बंद हैं। शादियां परिवर्तित हो रही हैं। हमारे बहुत नजदीकी रिश्तेदार की शादी कैलिफोर्निया में थी और एक लुधियाना में थी। दोनों परिवर्तित हुई हैं, मुश्किल हैं लेकिन यह अच्छे कदम हैं। वैसे यह भी समझ में आ रहा है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी यह वायरस अपने आप समाप्त हो जाएगा या इसका बहुत उत्तम इलाज निकल आएगा परन्तु इस समय इस वायरस ने सारी दुनिया को नमस्ते कहना सिखला दिया।