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हे राम-बाबा का कोहराम…

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जब-जब दुनिया में अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान धर्म की रक्षा करने के लिए दुष्टो का संहार करते हैं, लेकिन आज की तारीख में उन लोगों ने देश को और धर्म को कलंकित कर डाला जो धर्म के गुरु बनकर, संत बनकर और बाबा बनकर अपने लाखों-करोड़ों चेले बना रहे हैं। इन बाबाओं की जिंदगी एक कुटिया से शुरू होती है और फिर लक्जरी महल से होती हुई एक ऐसा साम्राज्य स्थापित कर लेती है, जहां नन्हीं बच्चियों का बलात्कार ये बाबा लोग खुद करते हैं। ऐसे में अगर 77 साल के असुमल सिरुमलानी उर्फ आसाराम बापू को नाबालिग के साथ रेप का दोषी पाए जाने पर ताउम्र जेल में रहने की सजा सुनाई जाती है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।

हमारे देश में एक से बढ़कर एक बाबा हुए, जिन्होंने आज के जमाने में सुख और चैन तलाश रहे लोगों को अपनी अय्याशी का सामान समझा और अध्यात्म को एक ऐसा अड्डा बना दिया कि जिनसे आश्रमों का नाम बदनाम हो गया। ऐसे पाखंडी बाबाओं को अगर कोर्ट सजा देती है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। सवाल यह है कि ये बाबा लोग आखिरकार अपना मकड़जाल कैसे फैला रहे हैं और इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं तो हम स्पष्टï कर देना चाहते हैं कि यह भोलीभाली जनता ही है जो धर्म के नाम पर इन बाबाओं के खौफ में फंसकर उस धर्म भक्ति के आगे सिर झुका देती है जिसे वह भगवान मानती है। आसाराम बापू का किस्सा कोई नया नहीं है।

इससे पहले तथाकथित संत रामपाल, राम रहीम, स्वामी नित्यानंद, चित्रकूट वाले बाबा भीमानंद और रोहिणी में विरेंद्र आश्रम के सैक्स रैकेट भी सबके सामने आ चुके हैं। हमें इस बात की खुशी है कि आज के जमाने में अदालतें वही काम कर रही हैं जो अधर्म दूर करने वाली शक्तियां द्वापर और त्रेता में करती रही हैं। आज कलियुग में संत-बाबाओं के कर्मकांड अगर दुनिया के सामने उजागर हो रहे हैं तो कहीं न कहीं इमानदार और संस्कारवान लोगों की भूमिका जरूर है कि जो शिकायतों पर गौर करने के बाद इंसाफ की पटरी पर सब कुछ उतार देते हैं।

शायद इसीलिए कहने वाले कहते हैं कि स्वर्ग-नरक किसने देखा, सब कुछ यहीं है। इस बात का जवाब गुनाहों के इन देवताओं से लिया जा सकता है। आखिरकार यह भारत जो अपनी शांतिपूर्ण संस्कृति और सात्विकता के लिए जाना जाता है, में आखिरकार ये संत-बाबा कैसे पनप रहे हैं। इस पर रोक लगानी होगी। जनता को नोट चाहिए तो नेता को वोट चाहिए, इस प्रवृत्ति को पढ़कर उन्हें अपने स्वार्थ के आइने में उतारने वाले बाबा लोग जब उनके बीच में जाते हैं तो अंध भक्ति से उन्हें भगवान समझते हैं। बाबा नेता को चुनाव जिताने की बात कहता है और जनता को अमीर बनाने की बात कहकर उसके घर में जरूरी चीजें भिजवाता है।

दोनों का विश्वास बढ़ता है और बाबा अब शासनतंत्र में जब अपनी पकड़ बनाता है तो उसे सस्ती जमीनें मिलने लगती हैं, जहां आश्रम बनते हैं और आगे चलकर चारों तरफ अतिक्रमण होता है और आसमान चूमने वाली इमारतें और पूरे के पूरे नगर स्थापित हो जाते हैं। अदालतों में सैकड़ों केस इन बाबाओं के नाम पर चल रहे हैं। हमारा यह मानना है कि धर्म के नाम पर जितने भी आश्रम चल रहे हैं, चाहे वे किसी पवित्र नगरी में हों या किसी और पॉश इलाके में, इन सब को कैसे जमीन अलॉट हुई इस सबकी पूरी जांच-पड़ताल सरकार को करनी चाहिए।

एक आदमी संत कैसे बनता है, वह किस प्रकार भोली-भाली जनता का बापू बन जाता है, खुद को शंकराचार्य बना लेता है, सरकार को इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। ये संत लोग, बाबा लोग बड़े-बड़े नेताओं को अपने यहां बुलवाकर, उनके साथ अपनी फोटो खिंचवा कर बहुत कुछ प्रचारित करते हैं। अब नेता को क्या पता कि यह बाबा क्रिमिनल है या नहीं? लोकतंत्र में एक नेता का काम हर जगह आना-जाना होता है तो ऐसे में सजा प्राप्त बाबा के साथ अगर कोई पुरानी फोटो लगा रहा है तो यह भी डेमोक्रेसी की एक ब्लैकमेलिंग का हिस्सा हो सकता है। हमारा यह मानना है कि आज के आधुनिक युग में पिछले दस साल में संतों के कुकर्मों की पोल बड़ी तेजी से खुल रही है, लेकिन इसके बावजूद आश्रम पर आश्रम खुल रहे हैं और अंध भक्ति बढ़ती ही जा रही है।

संतों के पाप भरे कारनामे जिसमें लूट-खसूट सब हो सकती है, लेकिन लड़कियों के साथ रेप के मामलों में लंबे केस नहीं चलने चाहिएं। सजा तो एकाध को ही मिलती है, लेकिन अभी भी पवित्र शहरों में कितने बड़े-बड़े आश्रमों में ड्रग्स के अड्डे चल रहे हैं, यह बातें पुलिस के रोजनामचों में दर्ज हैं। नामीगिरामी संत बेनकाब हो जाते हैं और कितने केस दब जाते हैं। समय आ गया है कि लोगों की भावनाओं से खेलकर धर्म के नाम पर दुकानें जिस तरह से चल रही हैं, वो ज्यादातर तो मंदिरों और धर्म आश्रमों और कुटीरों के नाम पर चल रही हैं। इस देश में सत्य सनातन धर्म एक्ट बनाना चाहिए ताकि किसी को धर्म का ठेकेदार बनने की इजाजत न दी जाए। कभी वैष्णो देवी और अन्य तीर्थस्थलों पर पवित्र दर्शन के लिए लूट मची रहती थी,

लेकिन जब व्यवस्था हुई और श्राइन बोर्ड बन गए तो सब कुछ सैट हो गया। इसी तरह अगर धर्म के नाम पर आश्रम चलाने वालों की पूरी सूची सरकार अपने पास बनाए, उनका हिसाब-किताब मांगे तो ब्लैक का व्हाइट करने वाले अनेक आश्रम बेनकाब हो जाएंगे। गुनाहों के देवताओं को सजा मिल रही है इसका स्वागत है, लेकिन आगे जनता की भावनाओं को ठगा न जाए यह सुनिश्चित किया जाना भी सरकार का काम है। हिन्दू धर्म तभी महान रह सकता है अगर यहां अधर्म न हो। शांति की तलाश में लोग यहां साधु-संतों के पास आते हैं, लेकिन अगर साधु-संत ही बच्चियों का रेप करेंगे तो फिर धर्म कहां बचा रह पाएगा? इसका जवाब कौन देगा? देश में हजारों-लाखों आसाराम छिपे पड़े हैं, जिन्हें सजा दी जानी चाहिए और भविष्य में ऐसा कांड नहीं होना चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा।

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