अब समय आ गया है कि भारत कनाडा केप्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की आंखों में आंखें डालकर पूछें कि उनका देश खालिस्तानियों का स्वर्ग कैसे बन गया? ट्रूडो खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाने के बाद अब कह रहे हैं कि उन्होंने भारत को कोई ठोस सुबूत नहीं दिए। उधर, भारत कनाडा की खालिस्तानियों को शरण देने के लिए आलोचना करता रहा है। कौन नहीं जानता कि कनाडा में खालिस्तानी तत्व अति सक्रिय हैं। यह भारत को फिर से खालिस्तान आंदोलन की आग में झोंकना चाहते हैं। कनाडा की ओंटारियो विधानसभा ने 2017 में 1984 के सिख विरोधी दंगों को सिख नरसंहार और सिखों का राज्य प्रायोजित कत्लेआम करार देने वाला एक प्रस्ताव भी पारित किया था। ये सब गंभीर मामले हैं। इस तरह की गतिविधियों से स्पष्ट है कि कनाडा में भारत के शत्रु बसे हुये हैं। यह खालिस्तानी समर्थक हैं और क्या कोई भूल सकता है कनिष्क विमान का हादसा। सन् 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकियों को निकालने के लिए हुई सैन्य कार्रवाई के विरोध में यह हमला किया गया था। मांट्रियाल से नई दिल्ली जा रहे एयर इंडिया के विमान कनिष्क को 23 जून, 1985 को आयरिश हवाई क्षेत्र में उड़ते समय, 9,400 मीटर की ऊंचाई पर बम से उड़ा दिया गया था और वह अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस आतंकी हमले में 329 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक ही थे।
भारत लंबे समय से कह रहा है कि कनाडा सरकार अपने देश में खालिस्तानियों को कसे। भारत-कनाडा के बीच राजनीतिक विवाद ने सितंबर 2023 में गंभीर मोड़ ले लिया था जब ट्रूडो ने दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के पास भारतीय सरकार के एजेंटों को निज्जर की हत्या से जोड़ने वाले विश्वसनीय सुबूत हैं जिससे भारत में भारी विरोध हुआ। भारत ने उन दावों को "बेतुका और प्रेरित" बताया था। भारत मानता है कि निज्जर एक आतंकवादी था। वह पंजाब में 2007 के सिनेमा घर बम विस्फोट और 2009 में सिख नेता रुल्डा सिंह की हत्या में शामिल था। भारत के बार-बार अनुरोधों के खालिस्तानियों को प्रत्यर्पित करने में विफलता ने इस धारणा को बढ़ावा दिया है कि कनाडा में भारत विरोधी ताकतों को खाद-पानी मिल रहा है। पिछले साल जुलाई में कनाडा में एक पोस्टर सामने आया जिसमें उच्चायुक्त संजय वर्मा और टोरंटो के भारतीय महावाणिज्य दूत अपूर्व श्रीवास्तव की तस्वीरें और नाम थे, जिसमें दावा किया गया था कि भारत निज्जर की हत्या के लिए जिम्मेदार था, और राजनयिकों को 'टोरंटो में हत्यारे' बताया गया था। भारत के लिए बहुत निराशा की बात है कि कनाडाई संसद ने पिछले साल निज्जर की हत्या की पहली वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए एक मिनट का मौन रखा। कनाडा का ब्रैम्पटन शहर तो भारत विरोधी गतिविधियों का गढ़ बन चुका है। कनाडा में बार-बार इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। जुलाई 2022 में कनाडा के रिचमंड हिल इलाके में एक विष्णु मंदिर में महात्मा गांधी की मूर्ति को खंडित कर दिया गया था। सितंबर 2022 में कनाडा में स्वामी नारायण मंदिर को कथित खालिस्तानी तत्वों ने भारत विरोधी भित्ति चित्रों के साथ विकृत कर दिया था। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो 2018 में भारत यात्रा पर आए थे।
वे अमृतसर से लेकर आगरा और मुंबई से लेकर अहमदाबाद का दौरा करने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले तो मोदी जी ने उन्हें बता दिया था कि " भारत धर्म के नाम पर कट्टरता तथा अपनी एकता, अखंडता और संप्रभुता के साथ समझौता नहीं करेगा।" बहुत साफ है कि उनका इशारा कनाडा में खालिस्तानी तत्वों की नापाक भारत विरोधी गतिविधियों से था। कनाडा की लिबरल पार्टी की सरकार के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो कहने को तो एक उदार देश से हैं, पर उन्हें भी यह समझ लेना होगा कि भारत भी एक उदार और बहुलतावादी देश है। भारत के लिए यह स्वीकार करना भी असंभव होगा कि कोई व्यक्ति या समूह भारत के आंतरिक मामलों में दखल दे या इसे तोड़ने की चेष्टा करें। इस मसले पर तो सारा देश ही एक है। उनकी उस भारत यात्रा के समय तब तगड़ा हंगामा हो गया था जब पता चला था कि नई दिल्ली में कनाडा हाई कमीशन ने अपने प्रधानमंत्री के सम्मान में आयोजित एक कार्य्रक्रम में कुख्यात खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल को आमंत्रण भेजा है। अटवाल पर कनाडा में वर्ष 1986 में एक निजी दौरे पर गए पंजाब के मंत्री मलकीत सिहं सिद्धू पर जानलेवा हमला करने का आरोप साबित हो चुका है।
हालांकि जब विवाद गरमाया तो उस निमंत्रण को वापस ले लिया गया। कनाडा में खालिस्तानी ताकतें भारत और हिन्दुओं के खिलाफ भी जहर उगल रही हैं। दुख इस बात का है कि मित्र देश होने के बावजूद कनाडा सरकार कुछ नहीं कर रही है। अब हालिया मामले में खालिस्तानियों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर निकाली परेड में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी को आपत्तिजनक रूप में दिखाया। बीती 6 जून को कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तानियों ने 5 किलोमीटर लंबी परेड निकाली। इसमें एक झांकी में इंदिरा गांधी की हत्या का सीन दिखाया गया। झांकी में इंदिरा गांधी को खून से सनी साड़ी पहने दिखाया गया है। उनके हाथ ऊपर हैं। दूसरी तरफ दो शख्स उनकी तरफ बंदूक ताने खड़े हैं। इसके पीछे लिखा था ‘बदला।’ कनाडा अपने को एक सभ्य देश होने का दावा करता है। पर वहां अलगाववादियों, चरमपंथियों और हिंसा की वकालत करने वाले खुल कर खेलकर रहे हैं। यह कोई भी भारतीय सहन नहीं करेगा कि इंदिरा जी को आपत्तिजनक तरीके से झांकी में पेश किया जाए। बेशक, इस सारे घटनाक्रम से भारत स्तब्ध है। इस कट्टरपंथ की सार्वभौमिक तौर पर निंदा होनी चाहिए। भारत को अब कनाडा से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार रहना होगा। कनाडा ने मित्र धर्म का निर्वाह नहीं किया।