कोरोना वायरस का संक्रमण मानव सभ्यता के लिए खतरा बन चुका है। संक्रमण का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। समूचा देश मानवीय दृष्टिकोण से गरीबों और पिछड़ों की सेवा करने में जुटा है। डाक्टर, नर्सें और स्वास्थ्य विभाग का हर वर्कर और पुलिस बल चुनौती से निपटने में लगा हुआ है। वायरस से जंग में देश को अल्प अवधि और दीर्घ अवधि वाले उपाय करने की जरूरत है। सामाजिक संगठन अपने संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए जो भी सम्भव हो पा रहा है कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हाल ही में सेवा में जुटे संगठनों के संबंध में कहा था कि इन संगठनों की तीन विशिष्टताएं हैं- मानवीय दृष्टिकोण, व्यापक पहुंच और लोगों से जुड़ाव तथा सेवा करने की मानसिकता, इसीलिए इन पर इतना विश्वास किया जाता है।
भारत के सांस्कृतिक दृष्टिकोण में इहलोक और मानवीय जीवन का उसी प्रकार महत्व है जिस तरह परलोक और देवों का। मानव जीवन रहित पृथ्वी का भी कोई महत्व नहीं है। समस्या यह है कि भारत को केवल कोरोना वायरस से ही जंग नहीं लड़नी बल्कि उसे गरीबी, बेरोजगारी अंधविश्वास से भी जंग लड़नी पड़ रही है। वैचारिक स्तर पर दूसरे विश्व युद्ध के बाद मानववादी भूगोल पर कई सिद्धांत विकसित हुए। भारत का इतिहास दया, सहनशीलता और सेवा से भरा इतिहास है। अपवाद स्वरूप संकट की घड़ी में कुछ ऐसी बातें सामने आ रही हैं जिससे भारत की छवि धूमिल हो रही है। भारत की जनसंख्या काफी अधिक है और संसाधनों का अभाव नजर आना स्वाभाविक है लेकिन हम इतनी बड़ी आबादी के साथ जानवरों जैसा व्यवहार नहीं कर सकते।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कोरोना वायरस से निपटने के लिए सराहनीय प्रयास कर रही है लेकिन दूसरी तरफ संवेदनहीनता से जुड़ी खबरें भी देखने को मिल रही हैं। बरेली नगर निगम के अमानवीय चेहरे का ताजा मामला उत्तर प्रदेश के बरेली से सामने आया है। निगम कर्मचारियों और फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने दूसरी जगहों से आए बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को सैनिटाइज करने का नया तरीका ईजाद किया। सभी को जमीन पर बैठाकर उनको डिसइंफैक्ट किया गया। उन पर बसें धोने वाले कैमिकल की बौछार की गई। जिसके बाद बहुत सारे बच्चों और लोगों ने आंखों में जलन की शिकायत की। फायर ब्रिगेड ने जिस पानी की बौछार की उसमें सोडियम हाइपोक्लोराइड जैसा कैमिकल भी मिलाया गया था। यह रसायन त्वचा और आंखों के लिए खतरनाक होता है। वीडियो वायरल होने के बाद पड़ताल की गई तो संबंधित कर्मचारियों के विरोद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। हो सकता है कि यह कार्य अति सक्रियता के चलते हो गया हो लेकिन यह संवेदनहीन और अमानवीय तरीका है।
बिहार के सीतामढ़ी जिला में संक्रमण रोकने के लिए महाराष्ट्र से आए दो संदिग्धों की सूचना हैल्पलाइन पर देने के कारण एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। और तो और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना से निपटने के लिए पीएम केयर्स फंड बनाने का ऐलान किया तो ठगों ने इससे मिलते-जुलते नाम से अकाउंट बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। इस तरह फर्जीवाड़ा करने की कोशिश की गई। मध्य प्रदेश के छत्तरपुर में लॉकडाउन के दौरान पुलिस कर्मियों को कुछ मजदूर सड़क पर मिले। उनमें से एक मजदूर के माथे पर लिख दिया गया कि ‘मुझसे दूर रहना।’ कई जगह पुलिस प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं।
अब जबकि अन्य राज्यों से मजदूर बिहार में अपने घरों को लौटने के लिए वहां पहुंच रहे हैं तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा कर दी कि वापस आने वाले लोगों को 14 दिन के लिए एकांतवास में रहना पड़ेगा। संक्रमण रोकने के लिए उनका कदम तो सही है लेकिन बिहार सीमा पर पहुंचे मजदूरों को जानवरों के बाड़े की तरह बनाए गए जालीनुमा घरों में सामूहिक रूप से बंद कर दिया गया। इस तरह समूहों में इकट्ठा रहने से संक्रमण का खतरा काफी बढ़ गया है। अब मजदूर भूखे रखे जाने की शिकायतें कर रहे हैं। बिहार लौटने वाले मजदूरों को जानवरों की तरह ठूंस दिया गया, अगर इनमें एक को भी कोरोना पाजिटिव मिला तो क्या होगा। मजदूर अपनी ही सरकार द्वारा अपमानित महसूस कर रहे हैं। बिहार में डाक्टरों के पास एन-95 मास्क नहीं हैं, अस्पतालों में पूरी सुविधाएं नहीं। जब डाक्टरों के पास सुविधाएं नहीं तो मरीजों को क्या मिलेगा? विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दे दी है कि यदि सतर्कता नहीं बरती तो भारत के गांव कोरोना का गढ़ बन जाएंगे।
अब जबकि देश का हर क्षेत्र दिल खोल कर दान दे रहा है और मदद के लिए हाथ आगे आ रहे हैं तो फिर मजदूरों से अमानवीय व्यवहार की जरूरत ही नहीं है। सरकारों को प्रबंधन में कौशल दिखाना होगा। मनुष्य को तो हमेशा करुणा ने भिगोया है, परन्तु इस स्थिति में मनुष्य के लिए और मनुष्य के प्रति निष्ठुरता अपनाना अच्छा नहीं है। दूसरी ओर नास्तिकवादी द्वेषमूलक संदेश फैला रहे हैं। वे कह रहे हैं ‘‘यह क्या चल रहा है…?’’ देखो कोरोना से मनुष्य डर गया है। हमें यह भी देखना होगा कि कोरोना की स्थिति में भारतीय सनातन जीवन शैली को फिर से अपनाया जाने लगा है। दुनिया के बड़े-बड़े राष्ट्राध्यक्ष नमस्ते करने लगे हैं। याद रखिये भारत को कोई बचाएगा तो वह मानव की करुणा ही बचाएगी, भारत को अगर कोई बचाएगा तो आध्यात्मिकता ही बचाएगी। इसलिए मनुष्य को अपना मानव धर्म निभाना ही होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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