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इस उम्र में मे एक शौक जरुरी

मुझे मालूम है कि इस उम्र में बहुत से बदलाव आते हैं शारीरिक, मानसिक आदि। जिसके साथ ढ़लते समय के साथ एडजेस्ट करना बहुत मुश्किल होता है।

मुझे मालूम है कि इस उम्र में बहुत से बदलाव आते हैं शारीरिक, मानसिक आदि। जिसके साथ ढ़लते समय के साथ एडजेस्ट करना बहुत मुश्किल होता है। यहां तक कि लोगों की नजरें बदलनी शुरू हो जाती हैं। अपने बच्चों की भी आपकी तरफ सोच बदलनी शुरू हो जाती है। इस उम्र की तन्हाइयां अकेलापन वो ही समझ सकता है जो इसमें से गुजर रहा होता है। मेरी बहुत ही प्यारी मित्र और प्रसिद्ध लेखिका सविता चड्ढा के अनुसार उनकी पंक्तियों द्वारा-
अपनी तन्हाई  सीने से लगाए रखिये, गम हजार आएं मगर उनको भुलाए रखिये। उनकी तन्हाई में उनकी पुस्तकें उनका लेखन उनका शुभचिंतक है। ऐसे ही चंडीगढ़ से उमा शर्मा को इस उम्र में कविता, समाज सेवा में लगी हैं, उनके अनुसार  
”लाजमी नहीं है की हर किसी को मौत ही छूकर निकल
किसी को छूकर जिन्दगी भी निकल जाती है।
उन्होंने अपने आपको इतना व्यस्त रखा है कि उन्हें लगता है काम ज्यादा है, समय कम है। इसी तरह चंडीगढ़ से डॉ. चन्द्र त्रिखा जो 80 साल की उम्र में रोज अपने ज्ञान की वीडियो बनाते हैं, डाक्टरी करते हैं, लेखन करते हैं। उनका जीवन भी वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के लिए मिसाल है। यही नहीं हमारे क्लब की 80 वर्षीय शारदा सुशील जिनके पति बहुत ही जवानी में उनको और उनकी बेटी को छोड़ स्वर्ग सिधार गए थे।  बेटी की शादी हो चुकी, बहुत ख्याल  रखती हैं परन्तु उनका अपना घर है और वो बहुत ही अच्छे ओहदे पर जॉब कर रही हैं। शारदा सुशील जी क्लब की हर एक्टिविटी में हिस्सा लेती हैं। उन्हें हम क्लब की शीला दीक्षित कहते हैं। सुबह-सुबह उनका गुड मार्निंग अच्छा सा मैसेज आता है। क्योंकि हजारों में सदस्य हैं, सिर्फ मैं मैसेज देखती हूं। कभी-कभी हाथ जोड़ती हूं, फोन नहीं लेती। वो सब अपने ब्रांच हैड तक सीमित रहते हैं। उनकी बेटी ने उन्हें एक छोटा सा कुत्ता लाकर दे दिया है। सारा दिन वो कुत्ते के साथ बिताती हैं और उसे बच्चों से भी अधिक प्यार करती हैं  और कभी-कभी इतनी रोचक वीडियो कुत्ते के साथ भेजती हैं कि मुझे हंसी भी आती है और उन पर गर्व भी महसूस होता है कि कैसे उन्होंने अपनी नीरस जिन्दगी को खुशहाल बनाया हुआ है, वो सबके लिए प्रेरणा हैं।
ऐसे ही फरीदाबाद की बहुत ही एक्टिव 80 साल की सुनीता बेदी जी जो मुझे बहुत प्यारे-प्यारे वीडियो मैसेज भेजती हैं, बहुत आशीर्वाद देती हैं। कभी मैं उनका मैसेज न सुनूं तो बड़े लाड़ से नाराज हो जाती हैं परन्तु अपनी जिन्दगी की हर छोटी-बड़ी खुशी वीडियो के जरिये मेरे साथ बांटती है, उनकी जिन्दगी की यही खुशी है कि मैं उनके कामों की, भजनों की प्रशंसा करूं। उन्होंने इस समय पूजा-पाठ में अपना दिल लगाया है, सखियों के साथ कीर्तन, भजन, सुन्दरकांड का पाठ करती हैं। उनके बेटे, बहुएं, पोते, पोतियां भी उनकी खुशी में शामल होते हैं और अपनी दादी की एक्टिविटी देखकर गर्व महसूस करते हैं। ऐसे ही गुडग़ांव के क्वात्रा जी जो हर विषय पर कविता लिखते हैं, अपने गानों की वीडियो बनाते हैं। वह आल राउंडर हैं, कोई भी काम हो वो एक यंग लड़के की तरह एक्टिव नजर आते हैं। इसमें उनके बच्चों का बड़ा सहयोग है। उनका यह शौक उन्हें व्यस्त और मस्त रखता है। 
यही नहीं फेमस डांसिंग दादी जो अपने पति को खोने के बाद हमारे क्लब में आईं। कई फंक्शनों में हिस्सा लिया, डांस परफार्मेंस दी, जिनकी जिन्दगी अपने पति के जाने के बाद ठहर चुकी थी। उन्हें क्लब में एक प्लेटफार्म और प्रोत्साहन मिला। उन्होंने अपने डांस की प्रैक्टिस को शुरू किया। वी.एन.के.सी. में उनका हौंसला बढ़ा। जब कोरोना समय में हमने अपने सभी सदस्यों की डांस वीडियो मांगी तो उन्होंने भी भेजी। उनकी वीडियो इतनी वायरल हुई कि वह डांसिंग दादी के नाम से जानी जाने लगीं। अब वो बाम्बे अपने बेटे के पास सैटल हो चुकी हैं। उन्हें कई टीवी शो, ञ्जद्गस्रद्ग3 टॉक में बुलाया गया। अब उनकी हाबी यही है, वह नए-नए वीडियो बनाती हैं जो इस उम्र में सबको इंप्रैस करता है। कहने का भाव है कि इस उम्र में अपना कोई न कोई शौक रखना चाहिए तभी उम्र अच्छे से खुशी-खुशी व्यतीत होती है। अभी मेरे पास बहुत से सदस्यों के उदाहरण हैं जो  समय-समय पर आपसे शेयर करूंगी ताकि सबको प्रेरणा मिले। एक बार जबरदस्ती से अपने मन को समझा कर अपनी किसी भी मनपसंद हॉबी को, शौक को आगे रखना है और यह बहुत जरूरी है। 

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