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सबका मंगल होये रे…

हम सबके मंगल की कामना करते हुए यही कहेंगे कि माना हम सभी एक बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं, यह बुरा दौर भी गुजर जाएगा, दवा से ज्यादा हौसलों की जरूरत है। किसी भी परिस्थिति में मनोबल कम नहीं होना चाहिए।

हम सबके मंगल की कामना करते हुए यही कहेंगे कि माना हम सभी एक बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं, यह बुरा दौर भी गुजर जाएगा, दवा से ज्यादा हौसलों की जरूरत है। किसी भी परिस्थिति में मनोबल कम नहीं होना चाहिए। अपितु दूसरों की हिम्मत बढ़ाते रहना चाहिए। यह कोरोना ऐसी महामारी है जिसके बारे में शायद किसी ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी। पहले जब कोरोना आया तो लाॅकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हाथ बार-बार धोने से हमने लगभग उसे मात दे दी थी परन्तु थोड़ी जल्दी कर दी, क्योंकि लग रहा था जिन्दगी फिर नार्मल पटरी पर आ रही है तो सब ने व्यवहार जल्दी से बदल दिए। शादियां, पार्टियां, बाजारों, मॉल में रौनक लौटने लगी थी परन्तु यही सब गलती कर गए और कोरोना अपना विकराल रूप दिखाने लगा। पहली लहर को तो काबू कर लिया था, अब दूसरी लहर के लिए सबको, हर भारतीय को देश का सिपाही बनना है। अपनी सुरक्षा देश की रक्षा करनी है। बहुत से लोग हैं जो यह करके दिखा रहे हैं। इस समय एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाने उचित नहीं हैं, क्योंकि ऐसी महामारी किसी ने कल्पना नहीं की थी इसलिए इसको मोदी जी या केजरीवाल जी या किसी भी मुख्यमंत्री या अस्पताल को, डाक्टर को दोष देना उचित नहीं।  क्योंकि भारत की जनसंख्या बहुत है और अस्पताल कम। पहले कभी ऐसी महामारी का सामना नहीं करना पड़ा। बाकी देशों की जनसंख्या कम है, तब भी वहां भी समस्याएं हैं। 
हां, उन लोगों को तो सजा मिलनी चाहिए या मैं कहूंगी की ईश्वर उन्हें कभी माफ नहीं करेगा जो इस समय दवाई और आक्सीजन की ब्लैक कर रहे हैं, बेच रहे हैं। उनको एक सैकेंड के लिए सोचना चाहिए कि यदि उसकी जगह उसका अपना कोई हो तो या अपना भाई, बेटा, बेटी हो तो???
यह समय है हर किसी को आगे आकर एक-दूसरे की मदद करने का, हर धर्म यही कहता है। अकेली सरकार कुछ नहीं कर सकती। सामाजिक संस्थाओं और समाजसेवियों, एमपी, एमएलए को आगे आना होगा। वैसे मैंने जब भी स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन जी या सीएम केजरीवाल से लोगों की सहायता मांगी तो उन्होंने उसी समय दी।
इस समय सिख समाज और आरएसएस के युवा वर्ग की बड़ी कायल हूं और उनके आगे नतमस्तक हूं कि जिस तरह वह बड़े जुनून के साथ सबकी सेवा कर रहे हैं, चाहे बंगला साहिब गुरुद्वारा, चाहे जी.के. का पहाड़ी गुरुद्वारा साहिब या इन्द्रापुरम का गुरुद्वारा या शंटी जी जो मुर्दों को जलाने का काम अपनी पूरी टीम के साथ कर रहे हों, जो कोरोना से गए हैं। वाह! यह हुई न बात मेरी 73 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक क्लब की माडल टाउन की सदस्य श्रीमती नंदा कोविड पैसेंट के घर खाना बनाकर भेज रही है और यही नहीं छोटी-छोटी पोटलियां, ​जिसमें कपूर, ज्वातरी, लोंग, इलायची है, जिससे खुशबू करने से  उनके अनुसार कोरोना नहीं आएगा और आक्सीजन की कमी नहीं होगी। वो पोटलियां बना कर सबको बांट रही हैं। मैं दिल से उनकाे नमन करती हूं। यही नहीं मेरी पुत्रवधू सोनम ने अपने बच्चों के क्लासमेट की मदर्स के साथ 8 लड़कियों का ग्रुप बनाया है जिससे वो जिसको प्लाजमा, बेड, दवाई, आक्सीजन चाहिए फटाफट बता देती हैं कि फलां जगह चले जाएं बेड मिल जाएगा या आईसीयू मिल जाएगा। इसके लिए उनको​ फील्ड में उतरने की जरूरत नहीं, बल्कि फोन पर गुगल नेट से सबकी मदद कर रही हैं। मैंने  ही उससे कितने लोगों की मदद करवाई है। यही नहीं मेरी आने वाली पुत्रवधू सना ने कई लोगों को आक्सीजन कहां मिल रही है बता कर कई लोगों की जान बचाई है। मुझे अपने घर का छोटी सा उदाहरण देने का अर्थ है जिसकी जो क्षमता है उसे उस तरह का काम करना चाहिए। सकारात्मक सोच रखकर आगे बढ़ना है, क्योंकि जो किस्मत में लिखा है वो तो होना ही है, जितने श्वास लेकर हम आए हैं उतने ही लेने हैं परन्तु हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते, प्रयत्न जरूर करते रहना चाहिए। हम सबको सर्वे भवन्तु सुखनि के सिद्धांत पर चलना है, परोपकार करना है। नाम जपो कृत करो वंड छको के सिद्धांत पर चलना है।
वो लोग ईश्वर का रूप हैं जो इस समय सेवा में एक-दूसरे की सहायता के लिए जुटे हुए हैं। चाहे वो एम्बुलैंस का ड्राइवर है, चाहे वो नर्स, हैल्पर और डाक्टर जो दिन-रात अस्पताल में काम कर रहे हैं, चाहे वो अस्पताल में सफाई करने वाला कर्मचारी हो, चाहे वो शव को बैग में पैक करने वाला हो, चाहे वो श्मशान घाट के वो लोग जो जलाने के लिए लकड़ियां और सारा बंदोबस्त करते हैं, चाहे वो पुलिस के ​सिपाही जो इस समय भी सख्त ड्यूटी दे रहे हैं, चाहे वो सब्जी देने वाले या पार्सल डिलिवरी करने वाले हों या घरों में सामान पहुंचाने वाले हों, सो इस समय सब देश के सिपाही बन कर जुटे हुए हैं। सबसे ऊपर मीडिया वाले भी हैं चाहे वो प्रिंट मीडिया या टीवी या डिजिटल या सोशल मीडिया जो अपनी जान पर खेलकर अच्छी-बुरी खबरें आपके सामने ला रहे हैं। कुछ लोगों को छोड़ कर अभी सभी में मानवता जीवित है तभी पहले लाॅकडाउन में हम पार हो गए, कोरोना की पहली लहर को हरा दिया, अब दूसरी लहर का भी डट कर मुकाबला करना है। जिनके घरों से लोग चले गए उनके साथ दुख में खड़े होना है, क्योंकि उनके दुख और नुक्सान की भरपाई नहीं हो सकती, इसलिए बाकी सबको बचाने के लिए हमें एकजुटता और एक-दूसरे के प्रति विश्वास जताना होगा। जिसकी जितनी क्षमता है वो काम करे, सेवा करे। जैसे हमारे डाक्टर, हमारे मैडिकल कर्मी, हमारे पुलिस कर्मी, हमारी सरकार, हमारे जनप्रतिनिधि सब डटे हुए हैं। इस वक्त हमारे देश को सबसे ज्यादा जरूरत नए अस्पतालों की है, साथ ही बच्चों को डाक्टर और नर्स बनने के लिए उन्हें मैडिकल प्रोफेशन के लिए प्रेरित करने का भी यही सही समय है। सारा देश इस समय एक है, मुसीबत और चुनौती के दौरान एक होकर इसका मुकाबला करना हमारे संस्कार और भारतीय संस्कृति है। साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगा, मिलकर हाथ बढ़ाना।
हमने सबके मंगल के लिए आज वरिष्ठ नागरिक की फेसबुक पेज पर लाइव 12ः15 पर सिद्धार्थ मोहन के भजन रखे हैं और फिर महामृत्युंज्य  का पाठ भी करेंगे, हनुमान चालीसा भी करेंगे, ताकि अपने घरों में बैठे लोग ईश्वर का मिल कर नाम लें, एक विश्वास मन में जगाएं।
‘‘रात भर का है मेहमां अंधेरा
किसके रोके रुका है सवेरा।’’

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