सच बात यह है कि आज के सूचना और टैक्नोलॉजी के जमाने में हर कोई सुविधा चाहता है। इसके लिए सरकार ने आज का युग कम्प्यूटर का युग के रूप में परिभाषित किया और एक आम आदमी की जरूरत को मोबाइल से जोड़ दिया। अब हर आम या खास आदमी मोबाइल के बगैर चल नहीं सकता। आपके मोबाइल में एसएमएस, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम या ईमेल सबकुछ है और इसी का नाम सोशल मीडिया है जिसने समाज को एक-दूसरे से ऐसे जोड़ दिया है जैसे एक शहर को दूसरे शहर से पुल जोड़ देते हैं। यह सिक्के का एक पहलू है जो प्रमाणित करता है कि एक सूचना को दूसरे तक और दूसरे को तीसरे तक और तीसरे से चौथे तक और फिर हजारों-लाखों तक एक सूचना महज एक मोबाइल के माध्यम से सोशल मीडिया पर दी जा सकती है। लेकिन दूसरा पहलू बहुत खतरनाक है। ट्विटर एक ऐेसी कम्पनी है जहां से आपको अपना कोई भी संदेश किसी दूसरे तक पहुंचाने की एक सुविधा मिली हुई है।
कभी-कभी मैं भी कोई अच्छी बातें ट्विट करती हूं और फालो भी करती हूं आैर कभी-कभी जिसका मुझे ट्विट अच्छा लगता है उसे रिट्विट भी करती हूं। चाहे वो किसी पार्टी का क्यों न हो। चाहे मोदी जी, अमित शाह, राजनाथ जी या दिल्ली के सीएम केजरीवाल या कांग्रेस की प्रियंका गांधी हों, क्योंकि यह एक माध्यम अच्छी बातों को बढ़ावा देने का अपने दिल की बात को शेयर करने का। ज्यादातर मैं आदरणीय रामलाल जी की चौपाइयों को बहुत फालो करती हूं और अपने आर्टिकल में उनका इस्तेमाल भी करती हूं। परन्तु कई बार गलत ट्विट और एक-दूसरे पर लांछन या तंज कसने वाले ट्विट देखकर परेशान होकर बंद कर देती हूं।
अब इसका जिस तरीके से भारत सरकार के खिलाफ खासतौर पर किसान आंदोलन के दौरान दुरुपयोग किया गया, वह चौंका देने वाला है। लालकिले पर 26 जनवरी वाले दिन जो कुछ हुआ, तिरंगे का अपमान हुआ, उस तिरंगे के साथ ही किसी भी मजहब या संस्था का झंडा लहराना कानूनी जुर्म है। दुर्भाग्य से हर किसी को इस दुखद तस्वीर को देखना पड़ा। हद तो तब हो गई जब इस सारी कार्यवाही को ट्विटर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म से पूरी हवा दी और इसे सही ठहराया। भारत सरकार इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसीलिए अब ट्विटर पर शिकंजा कसा गया है और उसके 90 से ज्यादा फीसदी एकाउंट ब्लाक कर दिए गए हैं। सरकार के इस ऐक्शन का पूरे देश में स्वागत किया जा रहा है। यह समय की मांग थी और मोदी सरकार को हम बधाई देते हैं कि उसने इस विदेशी कम्पनी को सबक सिखा दिया है।
जरा याद कीजिए पिछले महीने जब अमेरिका में कैपिटल हिल अर्थात अमेरिकी संसद पर लोकतंत्र की हत्या करते हुए हिंसा फैलाई गई और उसे ट्विटर में ही सोशल मीडिया के माध्यम से समर्थन किया था। लेकिन अमेरिकी प्रशासन के कड़े डंडे के चलते ट्विटर ने माफी मांगी और हिंसा फैलाने वाली कार्रवाई को समर्थन देने वाले अकाउंट ब्लाक कर दिए। परन्तु हमारे यहां किसान आंदोलन की आड़ लेकर आज की तारीख तक सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है। इसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। किस तरह इस विदेशी कम्पनी ट्विटर ने मोदी सरकार के खिलाफ किसानों की आड़ लेकर एक हैशटैग बना और विदेशी हस्तियों के दम पर मोदी जी के खिलाफ प्रचार शुरू कर दिया। सरकार के एक्शन से तिलमिलाई ट्विटर ने अब सफाई दी है कि हमने 97 फीसदी आपत्तिजनक अकाउंट ब्लाक कर दिये हैं।
हालांकि अब सोशल मीडिया पर कूऐप एक स्वदेशी प्लेटफार्म हैं जिसके 30 लाख से ज्यादा यूजर हैं, तो इसे भारतीय वर्जन के रूप में आत्मनिर्भर भारत के साथ जोड़कर आगे बढ़ा जा सकता है। यह ट्विटर से मिलता-जुलता है हूबहू ट्विटर जैसा है परन्तु इसमें नीली चिड़िया नहीं बल्कि पीला पक्षी है। अप्रमेय राधाकृष्ण का दावा है कि इसमें विदेशी निवेश कम है और इसे मोबाइल नम्बर से लॉगआन किया जा सकता है और यह 2019 में लांच किया गया था आैर अब यह हिन्दी, तेलगु, बंगाली, तमिल, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, उड़ीया और असमी भाषा से जुड़ चुका है। पीएम मोदी जी ने मन की बात में भी इसका उल्लेख किया था और भारतीयों ने इसका स्वागत भी किया है। हालांकि इसके बारे में यह भी कहा जा रहा है कि यह आपकी निजता को सुरक्षित नहीं रख पाता लेकिन कुछ लोग आलोचना करते थे और करते रहेंगे। फिर भी हम आत्मनिर्भर भारत के पक्षधर हैं।
मैंने अपने इसी कालम में कई बार सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा सुविधाएं मिलने पर दुरुपयोग का जिक्र किया है। बच्चे-बूढ़े या लड़कियां अक्सर सोशल मीडिया का दुरुपयोग करते हुए ब्लैकमेलिंग का शिकार हो जाते हैं। यहां तक कि कईयों के बैंक के खातों से रुपए उड़ा लिए जाते हैं। आज भी लाखों केसों की जांच साइबर एक्सपर्ट कर रहे हैं। क्योंकि यह कम्पनियां सोशल मीडिया पर एक ग्राहक की निजता को सुरक्षित नहीं रहने देते। समय आ गया है कि अब भविष्य में ऐसा न हो यह सुनिश्चित कर लिया जाए। भारत के खिलाफ कोई भी षड्यंत्र बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वे कितनी भी बड़ी विदेशी हस्तियां क्यों न हों, देश का सम्मान पहले है। किसान आंदोलन की आड़ में विदेशी हस्तियों हों या देश में छुपे गद्दार, हम देश के स्वाभिमान को किसी सोशल मीडिया की बलि नहीं चढ़ने देंगे। यह बात ट्विटर को मोदी सरकार ने समझा दी है और अगर भविष्य में यह कम्पनी बाज नहीं आती तो इसे चीनी कम्पनियों की तरह देश से विदा कर दिया जाना चाहिए और कू ऐप को अपनाते हुए आत्मनिर्भर भारत की ओर आगे बढ़ना चाहिए। कभी भी अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करना चाहिए। यह तो देश के सम्मान की बात है।