अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार अपमान झेलने और पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में क्रिकेटर से राजनीति में आकर प्रधानमंत्री बने इमरान खान इस कदर फंस चुके हैं कि वे बेहूदा और बेसिर-पैर की बातें करने लगे हैं। इमरान खान ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं जो सफेद झूठ की श्रेणी से भी ऊपर श्रेणी हो तो उसमें आ सकता है। वैसे तो पाकिस्तान के हुक्मरान इस कदर बेइमान रहे कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। पाकिस्तान के हुक्मरान इमरान खान का दर्द जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के 365 दिन बाद नजर आ रहा है। भारत को उकसाने और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत की सीमा को अपने नक्शे में दिखाया है। पाकिस्तान ने न केवल जम्मू-कश्मीर, लद्दाख बल्कि गुजरात के जूनागढ़ को भी अपने नक्शे में दिखाया है। नेपाल द्वारा भारतीय क्षेत्र को अपने राजनीतिक मानचित्र में शामिल करने के कारनामे के कुछ ही हफ्तों बाद पाकिस्तान ने यह हास्यास्पद कारनामा कर दिखाया है। इमरान खान का कहना है कि इस नक्शे को पाठ्यक्रम में इस्तेमाल किया जाएगा।
पाकिस्तान के नए राजनीतिक नक्शे पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि न तो इस नक्शे की कोई कानूनी वैधता है और न ही अन्तर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता। इमरान खान सरकार की मूर्खतापूर्ण बातों पर जग हंसाई ही हो रही है। उसका यह हथकंडा इस बात की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के माध्यम से क्षेत्र को ही हासिल करने के लिए कितना व्याकुल है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने इस मुद्दे को हर स्तर पर उठाने को लेकर पूरा जोर लगा दिया लेकिन उसे हर जगह निराशा ही हाथ लगी। पाकिस्तान ने कश्मीर की आजादी काे समर्थन देने के नाम पर खुद ही उन क्षेत्रों को हथियाने की चाल चल डाली। इससे साफ है कि कश्मीरी अवाम से पाकिस्तान का व्यवहार सिर्फ छलावा है। ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान सरकार ने नया नक्शा देश के अवाम को खुश करने के लिए जारी किया है, ऐसा करके उसने कश्मीर की आजादी की लड़ाई में समर्थन आखिर कैसे दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने भी पाकिस्तान की इस हरकत को हास्यास्पद और शरारती कदम बताया है। पटेल ने पाकिस्तान को याद दिलाया कि 1948 में सरदार पटेल के अथक प्रयासों के चलते जूनागढ़ के लोगों ने सर्वसम्मति से भारत का हिस्सा बनना स्वीकार किया था। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और जूनागढ़ भारत का अभिन्न अंग है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी के कारण दुनिया भर में किरकिरी झेल चुके चीन ने भी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति पर प्रतिक्रिया देकर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया है।
ऐसा लगता है कि इमरान खान ने इतिहास पढ़ा ही नहीं। न ही उन्हें पंत-मिर्जा समझौता याद होगा, न ताशकंद समझौता, न शिमला समझौता और न ही लाहौर घोषणा पत्र। हर समझौते के पीछे एक दास्तान है। दास्तान भी किसी से छिपी हुई नहीं है। फिर भी इमरान खान मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखते रहें तो देखते रहें।
इमरान खान को याद करना चाहिए कि भारतीय फौजों ने जनरल अय्यूब की फौजों को 1965 में इस तरह पीटा था कि हमारे जवानों ने लाहौर की नहर में जाकर अपनी प्यास बुझाई थी। हमने 1971 में फील्ड मार्शल याहिया खां की वर्दी से सारे सितारे तोड़ कर उसके एक लाख फौजियों का ढाका में आत्मसमर्पण कराकर एक रस्से से बांध दिया था। भारत ने तीन युद्ध जीत कर जता दिया कि भारतीय जब अपनी पर आते हैं तो ‘हलक’ में अंगुली डालकर सब कुछ उगलवा लेते हैं। जिन्ना ने जिस पाकिस्तान को सिर्फ इसलिए बनवाया था कि हिन्दू और मुसलमान दो अलग-अलग नस्ले हैं, उसे पूर्वी पाकिस्तान (अब बंगलादेश) के मुसलमानों ने ही मिट्टी में मिलाकर साबित कर दिया था कि जिन्ना पूरी दुनिया में अव्वल दर्जे का झूठा इंसान था जो अंग्रेजों की पढ़ाई हुई पट्टी पर चल रहा था और अपने ख्वाब पूरे करना चाहता था।
इमरान को यह इतिहास भी पढ़ना होगा कि 1972 में सिर झुका कर शिमला में आने वाले जुल्फिकार अली भुट्टो ने कराची में पहुंच कर यह कहा था कि एक हजार साल की तवारीख में पहली बार हिन्दुओं (भारत से नहीं) से उसकी कौम को शिकस्त मिली है। भुट्टो तो इस्लामी बम का सपना देख रहे थे लेकिन उसे तो पाकिस्तानियों द्वारा ही जेल में बंद करके 1978 में फांसी पर चढ़ा दिया था। पाकिस्तान की हकीकत क्या है और उसका रुतबा यह है कि पूरी दुनिया में आतंकवाद फैलाने के लिए हर दहशतगर्दी की खेती करता है और उसकी पूरी माली हालत पहले अमेरिका की भीख पर टिकी हुई थी, अब वह चीन के रहमोकरम पर है।
इमरान खान को याद रखना होगा कि जब पूर्वी पाकिस्तान बंगलादेश बन सकता है तो पश्चिमी पाकिस्तान पंजाब और सिंध क्यों नहीं अलग हो सकते। पाकिस्तान सौ फीसदी नाजायज मुल्क है जो भारतीयों का खून बहा कर केवल उसे कमजोर देखना चाहता है मगर कभी-कभी कातिल खुद नहीं जानता कि वह जिसका कत्ल कर रहा है कल उसी के खून के अफसाने उसे ‘खुदकशी’ करने को मजबूर कर देंगे। शायद वह दिन जल्दी ही आने वाला है जब पाकिस्तान के लोग ही मीनारे पाकिस्तान से सिर मार कर पूछेंगे कि वह दरो-दीवार कहां है, जिसके साये में कभी गुलशन हुआ करते थे। लोगों को क्रिकेट खिलाड़ी से प्रधानमंत्री बने इमरान खान से बहुत उम्मीद थी, लेकिन जिस पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत कमजोर है, ऋण लेकर वह घी पी रहा वह पाकिस्तान खून की नदियां बहाने को आतुर है। हर तरफ गरीबी है, वह कश्मीर, लद्दाख और जूनागढ़ को अपना बता रहा है। इससे हास्यास्पद और क्या होगा कि इमरान खान हुक्मरान की बजाय जोकर जैसी छवि बना बैठे हैं क्योंकि एक आतंकवादी देश के पड़ोस में भारत सुरक्षित नहीं रह सकता, इसलिए पाकिस्तान का नेस्तनाबूद होना और नक्शे से मिटना बहुत जरूरी है।