हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान उस कुत्ते की दुम सरीखा है जो सब कुछ करने के बावजूद सीधी नहीं होती। पाकिस्तान आतंक की फैक्टरी है। आतंक की दहकती हुई भट्ठी है। जब तक उसकी कमर नहीं तोड़ी जाएगी तब तक भारत में आतंकवाद को खत्म करने की सारी कोशिशें बेकार ही जाएंगी। पाकिस्तान के नए हुक्मरान इमरान खान की सरकार ने नया कारनामा कर दिखाया है। मुम्बई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की जमात-उद-दावा (जेडीयू) और फतह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन पाकिस्तान में प्रतिबंधित सूची से अब बाहर कर दी गई हैं। इसी साल फरवरी में अमेरिकी दबाव में पूर्व राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने हाफिज सईद के दोनों संगठनों को प्रतिबंधित समूह में घोषित करने के लिए आतंकवाद निरोधी अधिनियम 1997 को संशोधित करते हुए अध्यादेश लागू किया था। हाफिज सईद ने इस अध्यादेश को चुनौती दी थी। पूर्व राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश निष्प्रभावी हो चुका है क्योंकि उसकी अवधि को बढ़ाया ही नहीं गया। इसके परिणामस्वरूप हाफिज सईद के दो संगठनों पर प्रतिबंध हटा दिया गया।
मुम्बई हमले के बाद से ही भारत पाकिस्तान पर निरंतर दबाव बना रहा है कि 2008 के मुम्बई हमले के साजिशकर्ताओं को कानून के सामने लाया जाए। हाफिज सईद लश्कर-ए-तैयबा का सह संस्थापक है जो उस हमले के लिए जिम्मेदार है। पाकिस्तान में हकूमत किसी की भी हो, हाफिज सईद खुलेआम घूमता रहा। लश्कर-ए-तैयबा का पहला मकसद भारत के जम्मू-कश्मीर में हिंसा आैर अशांति फैलाना था। हाफिज ने यह बात कही थी कि ‘‘जब तक कश्मीर भारत में शामिल रहेगा, शांति नहीं रह पाएगी। भारतीयों को काट डालो और तब तक काटो जब तक वे घुटनों के बल बैठकर तुमसे रहम न मांगें।’’ हाफिज सईद का परिवार हरियाणा के हिसार में रहता था आैर 1947 में देश के बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान चला गया था। जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक ने हाफिज को इस्लामिक विचारधारा से जुड़ी एक काउंसिल में नियुक्त किया था। इसके बाद वह पाकिस्तान की इंजीनियरिंग आैर टैक्नालोजी यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज का टीचर बन गया। 1990 में उसने भारत के विरुद्ध जहर उगलना शुरू किया और लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना की जिसे आईएसआई के कई अधिकारियों ने मदद की थी।
वर्ष 2008 में मुम्बई हमले के बाद अमेरिका ने हाफिज सईद को ग्लोबल टैररिस्ट घोषित किया। इसके बाद अप्रैल 2012 में अमेरिका ने मुम्बई हमले के सिलसिले में सईद पर 10 मिलियन डॉलर का ईनाम घोषित कर दिया। लश्कर पर प्रतिबंधों के बाद हाफिज सईद ने जैश-ए-मोहम्मद बनाया फिर उसने जमात-उद-दावा का गठन किया यानी नाम बदल-बदलकर संगठन को चलाना शुरू कर दिया। अमेरिका ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी मुहिम में दोगलापन दिखाया। हाफिज सईद आज भी भारत के खिलाफ जहर उगलता है। सीमांत क्षेत्रों में दौरा कर पाकिस्तानियों को भारतीय जवानों का सिर काटकर लाने की तकरीरें करता है। उसने घोषणा कर रखी है कि भारतीय सैनिक का सिर लाओ और 5 लाख रुपए ले जाओ। उसकी सार्वजनिक जिन्दगी अमेरिकी सरकार और उस पर रखे ईनाम के खिलाफ खिल्ली उड़ाने वाले से कहीं बढ़कर दिखाई देता है। हैरानी की बात तो यह है कि अमेरिका चाहता तो हाफिज सईद को पाकिस्तान में घुसकर उसका खात्मा कर सकता था लेकिन वह भी खोखली बयानबाजी करता रहा। हाफिज का काला इतिहास सब जानते हैं। भारतीय संसद पर हमला, मुम्बई ट्रेन ब्लास्ट जैसे मुम्बई हमले जैसी बारूदी साजिशें हाफिज ने ही रची थीं। हर कारनामे के बाद पाकिस्तान सरकार ने उसे गिरफ्तार भी किया, वह चार बार गिरफ्तार भी हुआ, मगर पाकिस्तान की कार्रवाई दुनिया को दिखाने भर थी। इंटरपोल ने भले ही हाफिज सईद के खिलाफ रैड कॉर्नर नोटिस जारी कर रखा हो, मगर पिछले 10 वर्षों से वह उसे पकड़ नहीं पाया।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर चीन उसकी मदद कर रहा है। पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान बार-बार भारत से बातचीत का आग्रह कर रहे हैं लेकिन वह खुद हाफिज सईद की गोद में जाकर बैठ गए हैं। भले ही हाफिज सईद ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा लेकिन पाक की अवाम ने उसे मुंह नहीं लगाया। पाक अवाम द्वारा ठुकराए गए हाफिज सईद को इमरान खान ने गले लगा लिया है क्योंकि हाफिज सईद की सहानुभूति इमरान खान के साथ रही है। इमरान को प्रधानमंत्री बनाने में पाक सेना, आईएसआई और जेहादी संगठनों की भूमिका रही है। ऐसे में इमरान खान से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। भारत के लोगों के पास तो पाकिस्तानी हुक्मरानों के बारे में व्यापक अनुभव है पर अमेरिका के लोगों ने पाक के बारे में 11 सितम्बर के हमले के बाद सोचना शुरू किया। अमेरिकी सरकारें जानती थीं कि डेनियल पर्ल का हत्यारा पाकिस्तान है, 9/11 हमले के हमलावरों का ताल्लुक पाकिस्तान से रहा है फिर भी उस पर डॉलरों की बरसात करता रहा। ओबामा प्रशासन में विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन पाक पर नेमते बरसाती रहीं। जिस पाकिस्तान ने लादेन को ऐबटाबाद में छिपाकर रखा वही पाकिस्तान शैतानों को पाल रहा है। अमेरिका बार-बार पाक को चेतावनी देता रहता है, अमेेरिकी सहायता भी बन्द कर दी है फिर भी पाक बाज नहीं आ रहा है। नरेन्द्र मोदी सरकार पाक के खिलाफ विश्व जनमत तो तैयार करने में सफल रही है लेकिन पाक के खिलाफ एक्शन के लिए उसे विश्व समुदाय को तैयार करने में अभी और रास्ता तय करना होगा। विश्व समुदाय को साथ देना होगा कि कश्मीर की आजादी के नाम पर पाक की हरकतें हमारे सब्र का बांध तोड़ सकती हैं।