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बढ़ता साइबर क्राइम-बच के कहां जाओगे!

एक घंटे में 60 मिनट होती हैं लेकिन इतनी ही मिनटों में आपको आपके एटीएम कार्ड के बारे में जानकारी, आपको ईनाम मिलने के बारे में सूचना या फिर आधार कार्ड और बैंक कार्ड अपडेट किये जाने के बारे में कोई मैडम आपके मोबाइल पर सूचना देती है। तरह-तरह के एसएमएस आपको चेतावनी देते हैं और सावधान भी करते हैं कि आपको लिंक भेजा जा रहा है, आपके खाते में पैसे आ रहे हैं तो हमें डिटेल दीजिए। कृपया सावधान हो जाइये, ये सब साइबर क्राइम हैं और आपको लूटने के तरीके इजाद किये जाते हैं। नई कड़ी में एक बुजुर्ग के पास व्हाट्सऐप कॉल गई और उसने उठा ली। फिर आवाज आई सामने देख और जब बुजुर्ग ने मोबाइल पर सामने देखा तो एक डर्टी पिक्चर उभर आई। लगभग 20 सैकेंड तक बुजुर्ग समझ नहीं पाया और दूसरे ही दिन एक अलग नंबर से उन्हें फोन आया कि आपने एक लड़की के साथ छेड़छाड़ की है और इसका वीडियो हमारे पास है। (दरअसल जब बुजुर्ग ने 20 सैकेंड तक वीडियो देखा था तो उन्होंने बुजुर्ग की फोटो उस लड़की के साथ जोड़ दी थी।) यह बुजुर्ग ब्लैकमेलिंग का शिकार हो गया और दो लाख रुपये देकर छूटा। मरता क्या न करता। आजकल ब्लैकमेलिंग का धंधा चल रहा है।

यूथ को मोबाइल पर लड़कियां बातों में बरगला लेती हैं और फिर उनसे ब्लैकमेलिंग करके पैसे ऐठती हैं। फेसबुक हो या व्हाट्सएप कॉल सावधान रहने का समय आ गया है। सामाजिक होने के नाते सैकड़ों लोगों के फोन मुझ तक आते हैं और ये फोन उन लोगों के हैं जिनके घरों में से कोई न कोई साइबर क्राईम के तहत लूट का शिकार हो चुका है। सवाल पैदा होता है आखिर हम कैसे बचें? जरा भी आप चूक गए या किसी भी आए हुए मैसेज पर क्लिक कर दिया तो समझो आपकी सारी जमा पूंजी एक ही झटके में लुट जायेगी। आखिरकार हमें बचने के तौर-तरीके भी इजाद करने होंगे। 

आज के कंप्यूटर युग में घर बैठे सुविधा कौन नहीं चाहता लेकिन हमें टैक्रोलॉजी के बारे में पूरा ज्ञान होना चाहिए यद्यपि सरकार ऐसे मैसेज के आने के बारे में लोगों को अलर्ट करती है। बड़े-बड़े ब्रांड एंबेस्डर कभी आरबीआई के बारे में तो कभी सरकारी विभागों में सारी जानकारी देने की बात कहते हैं लेकिन मेरा यह मानना है कि जब फोन करने वाला या एसएमएस भेजने वाले का पूरा हिसाब-किताब आपके मोबाइल पर आ रहा है तो फिर  ऐसा संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं होता? बड़े-बड़े अफसर  प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से जानकारी दे देते हैं कि साइबर अटैक से ​क्रिमिनल ग्रुप हजार करोड़ का फ्रॉड कर चुके हैं। सूचनाएं आ रही हैं कि दो हजार लोग पकड़े जा चुके हैं और दस लाख से ज्यादा सिम ब्लॉक किये जा चुके हैं, बस एक्शन यही तक सीमित है जबकि हकीकत इससे भी ज्यादा खतरनाक है। लोग कैसे सुरक्षित रह सकते हैं? आखिरकार हमारे बारे में पूरी जानकारी साइबर ​क्रिमिनल के पास कैसे पहुंच जाती है। डिजिटल अर्थव्यवस्था के चलते यह सब क्या हो रहा है, किसको दोष दें यह कहा नहीं जा सकता। मेरा मानना है कि हर रोज किसी भी बड़े महानगर में हजारों लोग लुट रहे हैं। पिछले दिनों लाजपत नगर में एक प्रतिष्ठित बैंक से सत्तर लोगों के खाते से एक साथ एक लाख से पांच लाख रुपये तक एक घंटे में उड़ा दिये, ऐसे में बताइये कहां सूचना दें। जहां सूचना देते हैं वहां से कोई कार्यवाही नहीं होती। इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी कि महज दो महीने पहले देश की राजधानी में दुनिया के जाने-माने अस्पताल एम्स पर साइबर अटैक हुआ। हैकर सब कुछ उड़ा ले गए और प्रशासन से ब्लैकमेलिंग पर उतर आए। भारी रकम की डिमांड की गयी। 

फेसबुक पर कोई भी किसी को ठग सकता है। लालच के चक्कर में आपको इनाम देने के लिए कोई महिला आपके घर पर किसी कंपनी की तरफ से इनाम देने आ रही है लेकिन आप ब्लैकमेलिंग का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में किसको समझाए। पिछले दिनों यूके की एक प्राइवेट एजेंसी ने भारत पर जामतारा और मेवात जैसे इलाकों को लेकर साइबर क्राइम के प्रति रिपोर्ट प्रकाशित की और बताया कि किस तरह हैकिंग का खेल चल रहा है। हमारा फर्ज बनता है कि किसी भी मामले में शत-प्रतिशत यकीन न हो तो कभी भी अपने ओटीपी या खाते के बारे में किसी को भी जानकारी न दें। यूके की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर तीन महीने में पांच हजार से दस हजार करोड़ रुपये का फ्रॉड साइबर क्रिमिनल की भेंट चढ़ रहा है। आखिरकार ये लूटेरे, ये डाकू, ये साइबर क्राइम करने वाले जिनके नंबर भी आपके फोन पर आर हैं, उनके खिलाफ एक्शन कब होगा? आखिर कौन सी तकनीक है कि ये क्रिमिनल साइबर एक्सपर्ट्स के सिस्टम से बच निकलते हैं। सवाल पैदा होता है कंप्यूटर के जमाने में मोबाइल हाथ में हो तो इंसान किसी भी सूचना के मामले में क्या करें। हमारा मानना है कि खुद ही संभलकर रहना होगा, बचकर रहना होगा। वरना ये मोबाइल हादसों का मोबाइल है और कभी भी आपको अपनी ग्रिप में ले सकता है। सावधान रहिए और सुरक्षित रहिए।