भारत निवेश के लिहाज से दुनिया का पांचवां सबसे आकर्षक देश बनकर उभरा है। पिछले कुछ वर्षों से कई सैक्टरों में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के नियमों को आसान बनाया गया है। आर्थिक सुधारों की मदद से भारत की अर्थव्यवस्था काफी बेहतर हुई है। केन्द्र की मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे, मैन्यूफैक्चरिंग और कौशल निर्माण के क्षेत्रों से जुड़ी चिंताओं का समाधान भी किया है। लगातार किए जा रहे आर्थिक सुधारों का फायदा अब मिल रहा है।
कोरोना की महामारी के चलते अर्थव्यवस्था की गति धीमी जरूर हुई है लेकिन जिस तरह से भारत में निवेश करने के लिए बहुराष्ट्रीय कम्पनियां लालायित हैं, उससे स्पष्ट है कि कोरोना वायरस के पराजित होते ही भारत की अर्थव्यवस्था गति पकड़ लेगी।
गूगल कम्पनी के सीईओ सुन्दर पिचाई ने गूगल फाॅर इंडिया के वार्षिक कार्यक्रम में ऐलान किया कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उनकी कम्पनी भारत में 10 अरब अमेरिकी डालर यानी करीब 75 हजार करोड़ का निवेश करेगी। कोरोना काल के इस दौर में आॅनलाइन लाइफ लाइन बन गई है। गूगल के निवेश से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिजिटल इंडिया परियोजना को पूरा करने में बहुत मदद मिलेगी। नरेन्द्र मोदी और सुन्दर पिचाई में डाटा सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, भारत में किसानों, युवाओं और उद्यमियों के जीवन को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति के इस्तेमाल समेत कई मुद्दों पर बातचीत भी हुई। कोरोना काल में उभर रही नई कार्य संस्कृति पर भी चर्चा हुई। दुनिया के बड़े हिस्से को लाॅकडाउन से जूझना पड़ा। उपभोक्ता ने खर्च करना बंद कर दिया और उद्योगों को कामकाज ठप्प होने से काफी नुक्सान भी हुआ। कोरोना काल में गूगल पर स्वामित्व रखने वाली कम्पनी अल्फावेट, एपल, फेसबुक और अमेजन काफी ताकतवर बन कर उभरी हैं। गूगल और फेसबुक को शुरू-शुरू में विज्ञापन नहीं मिलने से नुक्सान तो हुआ लेकिन क्म्पनी की शेयर कीमतों में उछाल के चलते कम्पनी की बैलेंस शीट में सुधार होना शुरू हो गया। एपल के हाईवेयर बिजनेस यानी उसके फोन की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई लेकिन कम्पनी की सर्विस से होने वाली कमाई में उछाल आया। ऑनलाइन रिटेल बिक्री की बड़ी खिलाड़ी अमेजन का कारोबार तेजी से बढ़ा। उसका क्लाउड कम्प्यूटरिंग का बिजनेस भी काफी अच्छा चल रहा है। इससे पहले अमेजन ने भारत में एक करोड़ छोटे और मध्यम कारोबारों को डिजिटलाइज करने के लिए एक अरब डालर (7,100 करोड़) का निवेश करने की घोषणा की थी। अमेजन की योजना भारत के अलग-अलग शहरों में 100 डिजिटल हॉट स्थापित करने की है। जहां छोटे-मध्यम कारोबारियों को ई-कामर्स, ऑनब्रांडिंग, इमेजिंग कैट लािगंग, वेयर हाऊस स्पेस, लाजिस्टिक्स और डिजिटल मार्केटिंग जैसी सेवाएं दी जाएंगी। फेसबुक भी भारत में निवेश करने की घोषणा कर चुकी है।
ई-कामर्स में भारत तेजी से बढ़ता बाजार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सैक्टर में भारत में सालाना रेवेन्यू ग्रोथ 51 फीसदी है। इस सैक्टर में प्रतिस्पर्धा भी तेजी से बढ़ी है। देश की सबसे बड़ी कम्पनी रिलायंस भी ई-कामर्स में उतरने की तैयारी में जुटी है। देश में अभी एक्टिव इंटरनेट यूजर 62.7 करोड़ हैं। अगले पांच सालों में 50 करोड़ यूजर और जुड़ेंगे। कोरोना काल में अधिकांश खरीददारी ऑनलाइन ही हो रही है। अब ऑनलाइन खरीददारी का चलन और बढ़ेगा। ई-कामर्स कम्पनियों का भरोसा भारत पर है। अगर भरोसा नहीं होता तो ये कम्पनियां भारत में निवेश की योजना बनाती ही नहीं।
अमेरिकी कम्पनी एपल धीरे-धीरे चीन से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। फाक्स कॉन चेन्नई के निकट श्रीपेरुम्बदूर की एक फैक्टरी के विस्तार के लिए उसमें एक अरब डालर तक का निवेश करना चाहती है। ताइवान की कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनी इस फैक्टरी में आईफोन एक्सआर की असेम्बलिंग करती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्मार्ट फोन बाजार है। भारतीय स्मार्ट फोन बाजार की एक फीसदी हिस्सेदारी एपल के पास है। भारत में ज्यादा फोन बनाने से एपल आयात शुल्क का भुगतान करने से बच जाएगी। इससे भारत में उनके फोन की कीमत कुछ घट सकती है। भारत को पिछले वर्ष 51 अरब डालर का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था और वह साल के दौरान दुनियाभर में अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पाने वाले देशों में नौवें नम्बर पर आ गया था। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना महामारी के बाद कमजोर लेकिन सकारात्मक वृद्धि हासिल होने और भारत का व्यापक बाजार देश के लिए निवेश आकर्षित करता रहेगा। कोरोना महामारी से निपटने और आर्थिक गतिविधियों कोफिर पटरी पर लाने के लिए धन की काफी जरूरत है। उम्मीद है कि भारत सभी चुनौतियों को पार कर लेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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