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मालदीव के साथ खड़ा भारत

हिन्द महासागर में स्थित मालदीव सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

हिन्द महासागर में स्थित मालदीव सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए भारतीय विदेश नीति में मालदीव का विशेष महत्व है। 1966 में मालदीव की स्वतंत्रता के बाद से ही भारत ने मालदीव के साथ दृढ़ सांस्कृतिक, आर्थिक एवं रक्षा संबंध स्थापित किए हैं। वर्ष 1988 में राजीव गांधी की सरकार के दौरान भारत ने विद्रोह की स्थिति में मालदीव को सैन्य सहायता उपलब्ध कराई थी। भारतीय सेना ने आपरेशन कैक्टस के तहत मालदीव में  अब्दुल ग्यूम का तख्ता पलट होने से रोक दिया था। कैक्टस अभियान की सफलता के बाद भारत और मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों के विकास में काफी योगदान दिया है और उसे यथासम्भव वित्तीय सहायता भी दे रहा है।2006 में भारतीय नौसेना ने मालदीव को एक फास्ट अटैक क्राफ्ट उपहार में दिया था। मालदीव की घरेलु राजनीति और चीन के हस्तक्षेप के चलते दोनों देशों के संबंधों में उतार-चढ़ाव भी आते रहे हैं। मालदीव एक छोटा और कम विकसित देश है, जिस पर आतंकवादी संगठनों की हमेशा नजर रहती है। इसलिए भारत ने मालदीव की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दिया है। 2013-18 के बीच जब अब्दुल्ला यामीन मालदीव के राष्ट्रपति रहे, उस दौरान दोनों देशों के संबंध काफी खराब हो गए थे। यामीन ने भारत के विरुद्ध अभियान चलाया और चीन की गोद में जाकर बैठ गए थे। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को भारतीय दूतावास में शरण लेनी पड़ी थी।2018 के चुनावों में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह मालदीव के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने इंडिया फर्स्ट की विदेश नीति रखी और संबंधों को जोरदार तरीके से रीसेट किया। उनकी सरकार भारत केन्द्रित विदेश नीति रखती है, इसलिए दोनों देशों के संबंध फिर पटरी पर लौट आए। यामीन के राष्ट्रपति रहते चीन का मालदीव में हस्तक्षेप काफी बढ़ गया था। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के मध्य शिखर वार्ता हुई और फिर दोनों देशों में छह समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों के बीच क्षमता निर्माण, साइबर सुरक्षा, आवास, आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे में सहयोग बढ़ाने को लेकर समझौते हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव को दस करोड़ अमेरिकी डालर की अतिरिक्त ऋण सुविधा प्रदान करने का ऐलान किया ताकि सभी परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके। उन्होंने मालदीव को भारत का सच्चा मित्र बताया। मालदीव हिन्द महासागर के क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुदी  पड़ोसियों में से एक है और पिछले कुछ वर्षों में रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि हुई। दोनों देशों में संबंधों को अब नया आयाम दिया जा रहा है। भारत ने कोरोना महामारी के दौरान मालदीव को ​टीकों की सप्लाई की थी। भारत की वैक्सीन मैत्री पहल का सबसे पहला फायदा मालदीव को ही मिला था। इसी वर्ष फरवरी में भारत के रक्षा सचिव अजय कुमार ने मालदीव के सैन्य नेतृत्व से रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के  लिए बहुत सार्थक चर्चा की थी। यह बातचीत हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते दबदबे को लेकर चिताओं के बीच की गई थी। मालदीव हिन्द महासागर में ऐसी जगह स्थित है जहां वह भारत के इर्दगिर्द सुरक्षा कवच में एक महत्वपूर्ण भूमिका​ निभाता है। मालदीव हिन्द महासागर में श्रीलंका के दक्षिण पश्चिम और भारत के लक्ष्यदीप के दक्षिण में स्थित है। लक्ष्यदीप से इसकी दूरी केवल 700 किलोमीटर है। इसकी जनसंख्या लगभग 5 लाख के करीब है, लेकिन यह ऐसे समुद्री मार्गों के मध्य स्थित है जहां से दुनिया को 2/3 तेल और मालवाहक जहाजों का आधा हिस्सा गुजरता है। चीन भारत को चारों तरफ से घेरने का इरादा रखता है। इसलिए उसने मालदीव को अपने प्रभाव में लेने की कोशिश की थी लेकिन मालदीव के नागरिकों ने अपने वोट का इस्तेमाल करते हुए चीन समर्थक यामीन को करारी हार दी। भारत ने हमेशा यह चाहा है कि उसके पड़ोस में स्थिर और लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकारें हों। वह अपने आसपास के छोटे देशों में हो रहे फेरबदल पर सजग रहता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने नेबरहुड फर्स्ट नीति के तहत अपने पड़ोसी देशों को प्राथमिकता दी है। मोदी सरकार ने टिकाऊ शहरी ​िवकास के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और मालदीव के बीच समझौता ज्ञापन को स्वीकृति दी थी। मालदीव ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता के समर्थन का आश्वासन दिया है। मालदीव के छात्र भारत के शैक्षिक संस्थानों में ​शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और भारत द्वारा विस्तारित उदार वीजा मुक्त व्यवस्था का लाभ उठा रहे हैं। पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। मालदीव में हजारों भारतीय जाते हैं और पर्यटन स्थलों का आनंद उठाते हैं। कई भारतीय वहां रोजगार के लिए भी जाते हैं।
हिन्द महासागर में अन्तर्राष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का खतरा काफी गम्भीर है। इन पर अंकुश लगाने के लिए भी भारत-मालदीव संबंध काफी महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों की साझेदारी न केवल दोनों देशों के नागरिकों के हित में है बल्कि यह स्थिरता का स्रोत भी बन रही है। मालदीव की किसी भी जरूरत या संकट पर भारत ने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी है। भारत हमेशा मालदीव के साथ खड़ा रहा है और आगे भी उसे सहयोग देता रहेगा।
­आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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