लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

इंटरनेट का साम्राज्यवाद

बार-बार यह बात सामने आ रही है कि सोशल मीडिया अनियंत्रित हो चुका है। सोशल मीडिया हमारे विचारों को बदलने लगा है और हमारी जीवन शैली को निर्धारित करने लगा है।

बार-बार यह बात सामने आ रही है कि सोशल मीडिया अनियंत्रित हो चुका है। सोशल मीडिया हमारे विचारों को बदलने लगा है और हमारी जीवन शैली को निर्धारित करने लगा है। हम सब कुठपुतलियाें की तरह नाचते जा रहे हैं। 2020 तक भारत में लगभग 70 करोड़ लोग कम्प्यूटर या मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे। अनुमान है कि 2024 तक यह संख्या बढ़कर 97.4 करोड़ तक पहुंच जाएगी। दुनिया में इस्तेमाल करने वाले सबसे ज्यादा लोग चीन के बाद भारत में हैं। जाहिर है इंटरनेट का बहुत बड़ा बाजार है। दुनिया के महाकाय सोशल मीडिया प्लेट फार्मों ने अब सरकारों को हिलाने और विभिन्न आंदोलनों को आक्रामक बनाने का खेल शुरू कर दिया है। कहने को तो इन कंपनियों का दावा है कि हम लोगों को मुफ्त में सेवाएं दे रहे हैं लेकिन लोगों को इस मुफ्त की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। यह कंपनियां दुनिया के देशों के लोगाें के दिमाग पर राज कर रही हैं। कंपनियां कारपोरेट घरानों के कारोबार की दिशा तय कर मोटा मुनाफा कमा रही हैं। इतना ही नहीं सूचनाओं और रुझानों की मदद से कार्पोरेट घरानों के उत्पादों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर रही हैं। सही मायनों में लोग इन कंपनियों की मनमानी के लिए उत्पाद बन गए हैं। यह कंपनियां विभिन्न देशों की स्थानीय खबर कंपनियों से हासिल खबरों के कारोबार के जरिये अरबों रुपए कमा रही हैं लेकिन उनकी खबरों का भुगतान भी नहीं करती। इसके खिलाफ अब पूरी दुनिया में आवाज उठने लगी है। इसकी शुरूआत फ्रांस से हुई थी और उसके बाद आस्ट्रेलिया में विरोध के ​स्वर बुलंद हुए।
गूगल आैर फेसबुक पर आरोप है कि दुनिया के विभिन्न देशों की खबरों को इन्होंने अपने नाम के लिए इस्तेेमाल किया। इन कंपनियों ने सूचना और डाटा को व्यापारिक घरानों को बेचकर मोटा मुनाफा कमाया। आस्ट्रेलिया ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके गूगल और फेसबुक पर शिकंजा कसने में सहयोग भी मांगा था। इस मनमानी के खिलाफ आस्ट्रेलिया जल्द ही संसद में समझौता कानून बनाएगा ता​की स्वदेशी खबरों के दुरुपयोग पर नियंत्रण किया जा सके। केंद्र सरकार ने हाल ही में इंटरनेट मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म के लिएलिए नियम बना दिए गए। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार शिकायत के 24 घंटे के भीतर इंटरनेट मीडिया से आपत्तिजनक सामग्री हटानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने ही सरकार को ओटीटी कंटेट पर निगरानी रखने के लिए तंत्र स्थापित करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि ओटीटी प्लेटफार्म तो पोर्नोग्राफी परोस रहे हैं। शीर्ष न्यायालय ने सरकार की गाइड-लाइन को भी बेदम बताया था। इस दिशा में और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि दुनिया की कुछ चुनिंदा प्रौद्योगिकी कंपनियों के इंटरनेट साम्राज्यवाद को अब और सहज नहीं किया जाएगा। इन कंपनियों को भारत के विचारों, संस्कृति, परम्पराओं और भावनाओं का सम्मान करना ही होगा। इंटरनेट का साम्राज्यवाद अब मर्यादाएं पार करने लगा है। सोशल मीडिया पर गाइड-लाइन को जारी करने के बाद व्यक्तिगत डाटा संरक्षण बिल का प्रारूप संयुक्त संसदीय समिति के पास लंबित पड़ा है और अंतिम रिपोर्ट अगले कुछ दिनों में पेश किये जाने की उम्मीद है। रविशंकर प्रसाद ने यह भी बताया है कि इंटरनेट की सामग्री अब भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगी। मौजूदा दौर की सबसे बड़ी चुनौती फेक न्यूज है। यह समाज में भ्रम और तनाव भी पैदा कर देती है। सबसे बड़ा खतरा यह भी है कि इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति का पता लगाना मुश्किल है। भारत लगातार स्पष्ट करता आया है कि इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों का स्वागत है। सरकार आलोचना के लिए तैयार है लेकिन इंटरनेट मीडिया के गलत इस्तेमाल पर भी शिकायत फोरम होना चाहिए। गलत और भ्रामक कंटेंट को ब्लाक करने का अधिकार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास है। हमें यह भी देखना होगा कि इस अधिकार का दुरुपयोग न हो। अगर इसका अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया तो यह रचनात्मकता और अ​भिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बेहद खतरनाक होगा। 
यह भी जरूरी है कि लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल अनुशासित हो कर करें और इंटरनेट के साम्राज्यवाद के गुलाम नहीं बने। हम सबकी जिम्मेदारी है कि जब भी कोई सनसनीखेज खबर आए उसको फारवर्ड करने से पहले उसकी जांच-पड़ताल जरूर कर लें। यह भी जान लें कि हमारी निजता अब सुरक्षित नहीं है, निजता का संरक्षण सरकार की जिम्मेदारी है। अब इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 + 17 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।