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मातम के बीच आईपीएल

कोरोना काल में लोग अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं। श्मशान में जगह नहीं मिल रही। भारत के लोग तो संवेदनाओं से बंधे हुए हैं। लोग आंसुओं में डूबे पड़े हैं, देश में एक तरफ मौत लोगों के सिर पर मंडरा रही है।

कोरोना काल में लोग अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं। श्मशान में जगह नहीं मिल रही। भारत के लोग तो संवेदनाओं से बंधे हुए हैं। लोग आंसुओं में डूबे पड़े हैं, देश में एक तरफ मौत लोगों के सिर पर मंडरा रही है। अस्पताल का एक-एक बेड लाखों में बिक रहा है लेकिन कोरोना के शोक काल में मनोरंजन भी उपलब्ध है। क्या इस काल में आईपीएल का आयोजन कराना सही है? इस पर लोग ही नहीं अब तो खिलाड़ी भी सवाल कर रहे हैं। हमारे देश में यह परम्परा रही है कि जब किसी की मृत्यु होती है तो लोग अपनी-अपनी परम्पराओं के अनुसार शोक मनाते है। राजनीतिज्ञों की मौत पर राष्ट्रीय ध्वज झुका दिया जाता है। कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं होता। ऐसा लगता है कि जब हर रोज कोरोना वायरस से हजारों लोग मर रहे हैं तो शायद लोगों की संवेदनाएं भी मर गईं।  
आईपीएल का आयोजन अब संवेदनहीनता की पराकाष्ठा लगता है। टीवी का ​रिमोट कंट्रोल आपके हाथ में है और आप आईपीएल के मैच देखकर आनंद लेना चाहेंगे जबकि घर के बाहर से आपको एम्बुलैंसों के सायरन सुनाई दे रहे हों। आईपीएल के मौजूदा दौर में वो सब देखने को मिल रहा है जो इस लीग के इतिहास में कभी देखने को नहीं मिला। बेशक कोरोना वायरस की मार से ये सबसे लोकप्रिय टी-20 लीग भी अछूती नहीं रही। कई टीमों के खिलाड़ी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में सीजन के जारी रहने को लेकर भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं। मगर इन सबके बीच आईपीएल शुरू होने से पहले और शुरू होने के बाद अब तक अलग-अलग टीमों के दस दिग्गज टूर्नामैंट बीच में ही छोड़ चुके हैं। मिचेल मार्श, जोश हेजलवुड, जोश फिलिप, बेन स्टोक्स, जोफ्रा आर्चर, लियाम लिविंग स्टोन, रविचन्द्रन अश्विन, एंड्रयू टाप, केन रिचर्डसन, एडम जैम्पा आदि ने निजी कारणों या कोरोना के खौफ से टूर्नामैंट से हटने का फैसला किया है। टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज आरपी सिंह ने भी इंडियन प्रीमियर लीग-14 में कमेंटेटर्स के बायो बवल से हटने का फैसला किया है, क्योंकि आरपी सिंह के ​पिता कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। कई विदेशी खिलाड़ी तो स्वदेश लौट चुके हैं। आईपीएल तो अपना आकर्षण खो चुका है। आईपीएल लीग का आयोजन करना बीसीसीआई की भयंकर भूल है।  
आस्ट्रेलिया रवाना होने वाले राजस्थान रायल्स के तेज गेंदबाज एंड्रयू टॉम ने इस बात पर हैरानी जताई कि जब भारत में इतनी बड़ी स्वास्थ्य समस्या है तब आईपीएल टीमों के मालिक इतनी बड़ी रकम कैसे खर्च कर सकते हैं। एंड्रयू ने यह भी कहा ​कि ‘‘हर किसी का सोचने का तरीका एक जैसा नहीं है और मैं सभी के विचारों का सम्मान करता हूं, आईपीएल खिलाड़ी सुरक्षित हैं लेकिन उनके मन में यह सवाल रहता है कि वह कब तक सुरक्षित रहेंगे। एंड्रयू ने भारत में कोरोना मामलों के बढ़ने के कारण अपने देश में एंट्री बैन होने की आशंका से आईपीएल बीच में ही छोड़ दिया।
अब सवाल उठता है कि क्रिकेटर्स और अधिकारी सिर्फ अपने बवल में बैठे नहीं रह सकते और जो भी बाहर हो रहा है उससे क्या आंखें मूंद सकते हैं? आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज और आईपीएल पैट कमिन्स ने अस्पतालों में आक्सीजन पहुंचाने के लिए 50 हजार डालर यानी लगभग 38 लाख रुपए पीएम केयर्स फंड में डोनेट ​किए। बात दान देने की नहीं बल्कि सहानुभूति और करुणा की है। एक विदेशी खिलाड़ी ने भारत के लोगाें के प्रति ये करुणा दिखाई लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने ऐसी करुणा नहीं दिखाई।
अब जबकि अस्पताल मरीजों से भर चुके हैं, इस समय जरूरत इस बात की थी कि क्रिकेट स्टेडियमों में कोरोना केयर सैंटर स्थापित किए जाने चा​हिए। बिना दर्शकों के हो रहे मैचों के लिए जो पूरा तामझाम खड़ा किया गया है उसका इस्तेमाल कोरोना मरीजों के लिए होना चाहिएं थे। तमाम स्टेडियमों को कोरोना केन्द्रों में तब्दील करने की जरूरत है। यदि धार्मिक संस्थाएं ऐसा कर सकती हैं तो सर्वाधिक धनी बीसीसीआई ऐसा क्यों नहीं कर सकती। अर्जेंटीना के फुटबाल ​दिग्गज डियागो माराडोना के ​निधन के बाद केरल सरकार ने दो दिन का शोक दिवस मनाने का ऐलान किया था लेकिन अब हजारों लोग मर रहे हैं लेकिन खिलाड़ियों की संवेदनहीनता सामने दिखाई दे रही है। बीसीसीआई की संवेदनहीनता शर्मनाक है।
 
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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