लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

It’s My Life (12)

सा मुझे लालाजी ने बताया उन्होंने एक नोट तैयार किया और पं. नेहरू से टाईम मांगा जो मिल गया। लालाजी को सरदार पटेल ने भी पं. नेहरू से मिलने के लिए प्रेरित किया।

जैसा मुझे लालाजी ने बताया उन्होंने एक नोट तैयार किया और पं. नेहरू से टाईम मांगा जो मिल गया। लालाजी को सरदार पटेल ने भी पं. नेहरू से मिलने के लिए प्रेरित किया। जब लालाजी तीन मूर्ति हाऊस में पहुंचे तो पंडित जी उनका इंतजार कर रहे थे। लालाजी ने पहले से तैयार किया नोट पंडित जी को थमा दिया। इसमें लालाजी ने पिछले पांच दशकों से अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता की लड़ाई का विवरण लिख रखा था। सारा नोट पढ़ने के पश्चात पं. नेहरू की आंखों में आंसू छलक आए और मीटिंग खत्म होने के पश्चात लालाजी को कार तक पंडित जी खुद छोड़ने बाहर आए। 
लालाजी के लिए दरवाजा खोला और लालाजी के बैठते ही पंडित जी बोलेः- “लाला मैं तुम्हें सैल्यूट करता हूं” 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग अमृतसर में जनरल डायर द्वारा किए गए नरसंहार में 379 लोगों को मारा गया और 1100 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। ठीक जलियांवाला बाग कांड के उपरान्त लाला लाजपत राय ने लाला जगत नारायण जी को अपना निजी सचिव बना लिया था। 
1928 में लाला लाजपत राय जी के ‘साईमन कमीशन’ के विरुद्ध लाहौर में किए गए प्रदर्शन में लाला लाजपत राय के नेतृत्व में भगत सिंह, सुखदेव, कालीचरण, चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव राज और हमारे पूज्य दादा जी जिन्हें उस समय ‘जगत नारायण’ पुकारा जाता था, सभी इस विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुए। इन युवा स्वतंत्रता सेनानियों को पता चल चुका था कि इस बार अंग्रेजों का इरादा ठीक नहीं। 
जनरल सांंडर्स ने गुप्त रूप से यह फैसला कर लिया था कि अब की बार लाला लाजपत राय के सिर पर लाठियां मारी जाएं और अगर ऐसा ठीक ढंग से हुआ तो लाला लाजपत राय की मौत हो जाएगी। पूरे पंजाब में उस समय शेरे पंजाब और पंजाब केसरी लाला लाजपत राय के कद का नेता पूरी कांग्रेस के पास मौजूद नहीं था। अंग्रेजों की चाल थी कि लाला लाजपत राय की हत्या करने के बाद पूरे पंजाब की कांग्रेस के पास कोई नेता ही नहीं होगा तो ब्रि​िटश सरकार का काम अपने-आप आसान हो जाएगा। 
जिस दिन साईमन कमीशन के ​विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व लाला लाजपत राय ने करना था। उस दिन सभी क्रांतिकारियों ने यह फैसला किया कि जैसे भी हो अंग्रेजों की इस कुत्सित चाल को कामयाब नहीं होने देंगे। लाहौर की मुख्य सड़क पर सुबह 12 बजे लाला लाजपत राय के नेतृत्त्व में जुलूस शुरू हुआ। चारों तरफ नारे लग रहे थे, ‘साईमन कमीशन गो बैक (SIMON COMMISSION GO BACK), हमें आजादी चाहिए, महात्मा गांधी जिंन्दाबाद और जवाहर लाल नेहरू जिन्दाबाद।’ उधर अंग्रेजों की पुलिस भी तैयार थी। आखिरकार पुलिस ने जनरल सांडर्स के आदेश पर पूरे जुुलूूस को घेर लिया फिर दस के करीब पुलिस के सिपाही लाला लाजपत राय की तरफ डंडे लेकर दौड़े। इस मौके पर सभी क्रांतिकारियों ने लाला लाजपत राय को जमीन पर गिरा कर खुद उनके ऊपर लेट गए। 
अंग्रेज सिपाहियों ने पहले चुन-चुनकर लाला लाजपत राय पर लेटे क्रांतिकारियों जिनमें भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चन्द्रशेखर आजाद, जगत नारायण और सुखदेवराज पर लाठियां बरसाईं इन सभी की टांगें, बाजू और छातियों की हड्डियां तक तोड़ दीं। फिर एक-एक करके इन क्रांतिकारियों को लाला लाजपत राय के शरीर से हटाया। जब लाला जी अकेले रह गए तो दनादन उनके शरीर पर और सिर पर लाठियां दाग दीं। लाला जी बेहोश हो गए। सभी क्रांतिकारी भी गम्भीर रूप से घायल थे। ऐसे में जैसे-तैसे बचे हुए कांग्रेस वर्कर लाला जी और सभी क्रांतिकारियों को लाहौर के सरकारी अस्पताल में ले गए। 
लाला लाजपत राय की हालत बेहद गंभीर थी। सभी क्रांतिकारी चोटों से तो कराह रहे थे लेकिन लाला जी के चारों तरफ बैठे थे। लाला लाजपत राय के सिर पर दवाई लगा कर पट्टी की गई, उन्हें डाक्टरों ने ‘‘इंजैक्शन’’ दिए। थोड़ी देर बाद लाला लाजपत राय को होश आया तो उन्होंने दो-तीन ऐतिहासिक फैसले लिए और एक छोटा-सा भाषण भी दिया। शहादत से पहले शेरे पंजाब और पंजाब केसरी लाला लाजपत राय के यह अन्तिम बोल थे। सब से पहले उन्होंने अपने निजी सचिव जगत नारायण को बुलाया और कहा ‘‘आज के बाद तुम अपने नाम से पहले मेरा ‘‘लाला’’ नाम इस्तेमाल करोगे। आज से तुम ‘‘जगत नारायण’’ से ‘‘लाला जगत नारायण’’ के रूप में जाने जाओगे। दूसरी बात उन्होंने कही कि मेरे मरणोपरान्त पंजाब प्रदेश कांग्रेस की बागडोर लाला जगत नारायण सम्भालेगा। 
मेरी विरासत का असल उत्तराधिकारी लाला जगत नारायण रहेगा। अन्त में एक छोटा सा भाषण देते हुए लाला लाजपत राय ने कहा ‘‘मेरे शरीर पर अंग्रेजों द्वारा मारी गई एक-एक लाठी एक दिन अंग्रेजों के राज को खत्म करने के लिए कील बनकर उभरेगी’’ इतनी बात कह कर वीर पंजाब केसरी पंजाब के शेर लाला लाजपत राय ने देश की स्वतन्त्रता, आन-बान और शान के लिए अपनी शहादत दे दी। 
बहुत शौक से सुन रहा था जमाना। तुम्ही सो गए बात कहते-कहते।। सभी क्रांतिकारियों ने रोना शुरू कर दिया। लाला जी के शरीर से लिपट-लिपट कर भगत सिंह, सुखदेव, लाला जगत नारायण और आजाद ऊंचा-ऊंचा विलाप करने लगे। पंजाब में एक महान शख्सियत के दौर का अन्त हुआ और लाला लाजपत राय से मिले नाम ‘‘लाला जगत नारायण’’ ने उनकी विरासत और कांग्रेस पार्टी द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता की लड़ाई को और ज्यादा तेज करने का आह्वान कर दिया। (क्रमशः)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty − 14 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।