मेरे पिताजी मुझे कहा करते थे कि प्रेस का कार्य केवल व्यावसायिक दृष्टि से देखने का नहीं है। अखबार द्वारा दुनिया को निर्भीक और सच्ची खबरें देने के साथ-साथ उसकी सामाजिक जिम्मेदारी भी है। समाज में मददगार लोगों की मदद करना भी प्रेस की जिम्मेदारी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रेस को देश के एक चौथे स्तंभ के रूप में देखा जाता है। दरअसल मीडिया लोगों की नजर में समाचार पत्र या टीवी हो सकते हैं लेकिन अपना मानना है कि जहां पत्रकारिता के मूल्यों को निभाते हुए अपनी जान दे दें ऐसी शिक्षा और ऐसी ललक दैनिक पंजाब केसरी के अलावा किसी और के पास नहीं।
मेरे परम आदरणीय दादाजी और मेरे बहुत अच्छे मार्गदर्शक सम्माननीय पिताश्री श्री रमेश चंद्र जी ने सच और राष्ट्रहित के लिए ही अपने प्राण कुर्बान किए थे। हालांकि इन दोनों ने शहादत का मार्ग चुनते हुए देशवासियों को एक अलग राह दिखाई। लालाजी और रमेश जी की सोच थी कि यह काफी नहीं कि आप प्रैस के माध्यम से पैसा कमाओ। समाज में आर्थिक रूप से निचले दर्जे पर और जरूरतमंद लोगों की सहायता भी प्रैस का दायित्व है। 1981 में पूज्य दादाजी के शहीद हो जाने के उपरांत पंजाब में आग लग गई थी।
बसों से चुुन-चुन कर हिन्दुओं को निकाल कर आतंकवादी उनके शरीर गोलियों से छलनी कर देते थे और लगातार पंजाब में इन वारदातों में बढ़ौतरी हाे रही थी। ऐसे में आतंकवादियों के हाथों मरने वाले हिन्दुओं के परिवारों की आर्थिक मदद हेतु पिताजी ने ‘शहीद परिवार फंड’ शुरू किया जिसमें पंजाब और देशभर के लोगों से आर्थिक मदद हेतु पैसा दान करने की अपील की गई। हफ्तों में ही पिताजी द्वारा शुरू किए शहीद परिवार फंड की गूंज पूरे भारत में फैल गई और लाखों रुपए दान के रूप में आने लगे। बाद में पिताजी की निर्मम हत्या के उपरांत भी शहीद परिवार फंड जारी रहा और करोड़ों रुपए की धनराशि इकट्ठी की गई और हम लोगों ने पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मरने वाले हजारों हिन्दुओं और सिखों को पैसा बांटा। अक्सर मैं अपनी धर्मपत्नी किरण चोपड़ा के साथ शिक्षा को लेकर कुछ नया करने की बातचीत किया करता था तो उन्होंने ही मुझे उनके नाम पर एक ऐसा संस्थान आरंभ करने की बात कही जो अमर शहीद लालाजी और रमेशजी के नाम समर्पित हो।
साथ ही नई पीढ़ी को प्रोफेशनल स्टडी से जोड़ सके। बस फिर क्या था। 2010 में किरण ने यह जिम्मेवारी संभाली और जगत नारायण रमेश चंद्र एजुकेशन सोसाईटी यानि JR Media Society का गठन हो गया। मकसद यही था कि भविष्य के पत्रकार बनाने के साथ-साथ ऐसे स्टुडेंट्स भी तैयार किये जायें जो एक समाचार पत्र में पेज मेकिंग, पेज डिजाईनिंग और ग्राफिक्स का कोर्स करने के साथ उनका करियर बन सके। 2010 से लेकर आज तक जे.आर. मीडिया इंस्टीट्यूट ने यही निभाया है और आज इसके प्रोफेशनल कोर्सेज में एंकरिंग, एडीटिंग भी जुड़ गये हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि आज जे.आर. मीडिया इंस्टीट्यूट जिसका इतिहास महज एक दशक का है लेकिन इसने उपलब्धियां भावी पीढ़ी के लिए बहुत महान स्थापित की हैं। आज यूजीसी एप्रूव्ड ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेस चल रहे हैं और जो ये डिग्री कोर्स कर रहे हैं उनका रिजल्ट भी शत-प्रतिशत है।
उन्हें पंजाब केसरी के अलावा अन्य बड़े संस्थानों में भी प्लेसमेंट मिलना एक परंपरा बन चुकी है। किरण चोपड़ा जी ने न केवल बुजुर्गों और जरूरतमंद महिलाओं के उत्थान और उनकी बेहतरी के लिए सपना देखा बल्कि नौजवानों और छात्रों के भविष्य के लिए भी उन्होंने एक कल्पना की और 2010 में जगत नारायण-रमेशचंद्र मीडिया संस्थान (जेआर मीडिया इंस्टीट्यूट) की स्थापना कर इस कल्पना को साकार कर दिया जो दैनिक पंजाब केसरी के स्वर्णिम और गौरवशाली इतिहास में एक नए अध्याय के रूप में जुड़ गया।
इस संस्थान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य जुझारू, मेहनती और जरूरतमंद और पत्रकारिता के प्रति रुचि रखने वाले ऐसे छात्रों को प्रैक्टिकल शिक्षा देकर काबिल बनाना था जो अवसरों के अभाव में अपने जीवन को सही दिशा दे पाने में सफल नहीं होते थे। उनकी इस दूरगामी सोच का परिणाम है कि आज संस्थान के एक दशक के इतिहास में हजारों युवा पत्रकारिता और मास मीडिया के क्षेत्र में न केवल अपना बल्कि संस्थान का नाम भी रौशन कर रहे हैं। संस्थान से निकले छात्र आज नामी-गिरामी अखबारों और न्यूज चैनलों में एंकर, रिपोर्टर, प्रोड्यूसर, डिजाइनर बनकर अपना कैरियर संवार रहे हैं।
इतना ही नहीं दैनिक पंजाब केसरी के डिजिटल मीडिया विभाग और संपादकीय विभाग में तो जेेआर के छात्र ही प्रमुख भूमिकाओं में हैं। एक खास बात JR Media की विशेषता यह है कि हर वर्ष दो जरूरतमंदों बच्चों जिनके पास फीस देने की लिए पैसे नहीं होते उन्हें लाला जगत नारायण और रमेश चन्द्र जी के नाम पर स्कालरशिप दिया जाता है। उनकी पढ़ाई फ्री होती है। पिछले एक दशक में न जाने बीस से ऊपर गरीब परिवारों के बच्चे JR Media में पढ़ाई करके अपने पैरों पर खड़े हो चुके हैं।
जेआर मीडिया कई मायनों में अन्य संस्थानों से भिन्न है। हर साल राष्ट्रीय स्तर पर डेक्लामेशन कान्टैस्ट होता है जहां सारे देश से बच्चे भाग लेते हैं। यह संस्थान पूरी तरह से प्रैक्टिकल आधारित शिक्षा देता है जहां थ्यौरी से ज्यादा प्रैक्टिकल पर फोकस रहता है। इतना ही नहीं मीडिया, राजनीति और फिल्म जगत की अनेक प्रख्यात हस्तियां छात्रों से रूबरू हो चुकी हैं। पत्रकारिता के स्तम्भ रहे कुलदीप नैय्यर हों या टीवी पत्रकारिता के अग्रणी विनोद दुआ हों या प्रख्यात पत्रकार रजत शर्मा, प्रभु चावला, अभिज्ञान प्रकाश, राजीव शुक्ला जैसी मीडिया की अनेक हस्तियां छात्रों का मार्गदर्शन कर चुकी हैं।
राजनेताओं में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह, सांसद मनोज तिवारी तथा फिल्म जगत से अदनान सामी, शेखर सुमन, पूनम ढिल्लों, दीया मिर्जा, सोनम कपूर, जॉन अब्राहम, जैकलीन फर्नांडीस और सोनाक्षी सिन्हा से छात्र रूबरू हो चुके हैं। इससे भी अधिक पढ़ाई के दौरान ही यहां के छात्रों को अनेक बड़ी हस्तियों के व्यक्तिगत इंटरव्यू लेने का सुअवसर भी मिलता है। जेआर के छात्र हर वर्ष देश की संसद की कार्यवाही देखने जाते हैं।
कहने का अभिप्राय यह है कि शैक्षणिक सत्र के दौरान ही इतना एक्सपोजर अन्य कहीं नहीं मिलता। इसी एक्सपोजर और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का परिणाम है कि इंस्टीट्यूट से निकलते ही छात्रों को प्लेसमैंट मिल जाती है। जेआर मीडिया में एंकरिंग, रिपोर्टिंग, वीडियो एडिटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, फोटो जर्नलिज्म जैसे डिप्लोमा कोर्स तथा बीजेएमसी, एमजेएमसी जैसे डिग्री कोर्स संचालित होते हैं। इसके अलावा वर्तमान में डिजिटल मीडिया पर अधिक फोकस है।
किरण एकल विद्यालय की सलाहकार बोर्ड की भी सदस्य हैं। एकल विद्यालय एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसके माध्यम से भारत में पिछड़े कुछ गांव चुन लिए जाते हैं और वहां एक अध्यापक जाकर पिछड़े और अनपढ़ गांव के बच्चों को शिक्षित करता है। एकल विद्यालय बेहद सफल रहा है। पिछले वर्ष किरण को एकल की सफलता के लिए दुबई और अमेरिका की ब्रांचों ने सम्मानित भी किया।
किरण चोपड़ा जेआर मीडिया इंस्टीट्यूट की चेयरपर्सन के रूप में समय-समय पर न केवल छात्रों से मिलती हैं बल्कि फैकल्टी को जरूरी टिप्स देकर अपना फर्ज निभाती रहती हैं। आज जेआर मीडिया इंस्टीट्टूट का अपना स्टूडियो है, इसके अलावा सारा जेआर मीडिया इंस्टीट्यूट एयर कंडीशंड है और अपनी कम्प्यूटर लैब है। अपनी लाईब्रेरी और ऑडिटोरियम है। बच्चों को लेटेस्ट टैक्नोलोजी प्रोवाइड कराई गई है। कहने का मतलब कि लोग अपने बच्चों को यहां सच्ची भावनाओं के तहत भेजते हैं।
यह अपने आप में एक गुरुकल भी है और एक बहुत आधुनिक इंस्टीट्यूशन भी जहां कैरियर संवारने की गारंटी है। इसका श्रेय मैं किरण चाेपड़ा को देना चाहूंगा। जो बच्चों के Mannerism, पहरावे और उठने-बैठने के तरीकों पर भी बड़ी बरीकी से नजर रखती है। बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार सीखते हैं। वह वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब में बुजुर्गों की सेवा में ऐच्छिक सेवाएं देते हैं जिससे उन्हें सामाजिक सेवा का सर्टिफिकेट भी मिलता है जो विदेशों में नौकरी पाने या दाखिले के लिए आवश्यक है। जेआर मीडिया की उपलब्धियों के लिए पूूरी फैकल्टी और स्टूडैंट्स भी बधाई के पात्र हैं।
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