जया-सोनिया मजबूती भाजपा के लिए ‘अलार्म’

जया-सोनिया मजबूती भाजपा के लिए ‘अलार्म’
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संसद में पिछले दिनों राज्यसभा सांसद जया बच्चन को जिस प्रकार कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने समर्थन दिया, यह सब कुछ सार्वजनिक तो हो गया तो निश्चित रूप से यूपी की राजनीति को लेकर भाजपा के क्षेत्रों में एक खतरे की घंटी के रूप में देखा जाना चाहिए। याद रखो यह वही सोनिया गांधी हैं जो आज की तारीख में जिस जयाबच्चन को समर्थन दे रही हैं, उनका (जया) सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की पत्नी ​िडप्पल यादव की प्रगाढ़ता के साथ मजबूत राजनीतिक रिश्ता बना है। इतना ही नहीं जया उन्हें संसद में अपना मैंटोर भी मानती हैं। इस दृष्टिकोण से यह सब कुछ सावर्जनिक होना कुछ छोटी घटना नहीं है। जिस प्रकार से राज्यसभा के चेयरपर्सन जगदीप धनखड़ के साथ उनका तल्ख अंदाज में तर्क-वितर्क हुआ। यह दर्शा रहा है कि इंडिया गठबंधन के सदस्य सपा और कांग्रेस के रिश्ते अप्रत्याशित रूप से उन्हें सफलता दिला रहे हैं और लोकसभा चुनावों में भाजपा की हार इसका एक अच्छा उदाहरण है।
भाजपा इस सारे प्रकरण पर आैर खासतौर पर यूपी के लोकसभाई चुनाव परिणामों को देखकर अपने घाव सेक रही होगी लेकिन सपा और कांग्रेस जिस तरह से आगे बढ़ रहे हैैं यह ​भाजपा के लिए उसके जख्मों का कारण है। इस असाधारण तलखीबाजी जो कि जया बच्चन और धनखड़ साहब के बीच हुई, और इस तरह से आज की तारीख में सोनिया सपा सांसद जया के साथ खड़ी हैं इसे देखकर कहा जा रहा है कि यह छोटी-मोटी घटना नहीं है। अन्यथा गांधी और बच्चन परिवार दशकों पहले ​नजदीकी मित्र थे और बाद में एक-दूसरे के इस कद्र कट्टर दुश्मन बने कि बोफोर्स कांड के बाद एक-दूसरे से बात करना भी छोड़ दिया।
क्योंकि जया बच्चन ने गांधी के प्रति अपना आक्रोश कभी छिपाया नहीं और सार्वजनिक रूप से यह भी कह दिया गया था कि जब 1990 में वित्तीय दिक्कतें चल रही थीं तो उनके पति अमिताभ बच्चन को आहत किया गया था। इसीलिए आज की तारीख में सोनिया गांधी का जया बच्चन के साथ धनखड़ केस में खड़े रहना एक बड़ी बात है। यह दोनों नारी शक्ति संसद से एक साथ ही वाकआऊट कर गई थीं। सोनिया उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने से सही संकेत दे रही हैं। यह भी माना जाता है कि प्रियंका गांधी वाड्रा सारे मामले में पुरानी रंजिश भुलवाने में बड़ी भूमिका अदा कर रही हैं। वह कांग्रेस-सपा के यूपी में मजबूत गठबंधन की एक कड़ी हैं और ऐसा लगता है कि उत्तरी भारत में एक नारी शक्ति का मजबूत गठबंधन महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम की ओर बढ़ रहा है। सोनिया-जया की रिश्तों की मजबूती निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश की दस उपचुनाव सीटों पर एक अहम भूमिका निभा सकता है और यह 2027 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों का एक ट्रेलर भी हो सकता है जिसका पहला परीक्षण दस विधानसभायी उपचुनावों में होगा।
टिम की नियुक्ति से बदला चीन का टोन
चीनी मीडिया ने जिस तरह से अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस के साथी (उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार) के रूप में टिम वाल्ज़ की नियुक्ति को कवर किया है, वह दिलचस्प है। वाल्ज़ को नामांकन मिलने तक, चीनी मीडिया पूरी तरह से रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में था। कुछ सप्ताह पहले हत्या के प्रयास के बाद पूर्व राष्ट्रपति के साहस की सोशल मीडिया के साथ-साथ मुख्यधारा के मीडिया ने भी प्रशंसा की।
हालांकि हैरिस द्वारा वाल्ज़ को नामित किए जाने के बाद स्वर बदल गया है। और इसका कारण यह है कि वाल्ज़ का चीनी संबंध है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। पता चला है कि वाल्ज़ कई साल पहले गुआंग्डोंग के फोशान नंबर 1 मिडिल स्कूल में शिक्षक थे और चीन में उनके मित्र और संपर्क हैं, जो उन्होंने उसी दौरान बनाए थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिका लौटने और मिनेसोटा का गवर्नर बनने के बाद भी वह उनके संपर्क में रहे हैं। जाहिर है, चीन इस बात की उम्मीद कर रहा है कि यदि हैरिस-वाल्ज की जोड़ी नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत जाती है तो इससे दोनों आर्थिक दिग्गजों के बीच बेहतर संबंध बनेंगे। चीन के बारे में वाल्ज द्वारा दिए गए पिछले बयान चीनी मीडिया में छाए हुए हैं। उनके एक बयान ने खास ध्यान खींचा है। उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि 'चीन आ रहा है' और इसीलिए वे स्कूल शिक्षक के रूप में कुछ समय के लिए उस देश गए थे।
उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि 'चीन आ रहा है' और इसीलिए वे स्कूल शिक्षक के रूप में कुछ समय के लिए उस देश गए थे। उन्होंने चीनियों को गर्मजोशी से भरा और मैत्रीपूर्ण लोग बताया तथा कहा कि उन्होंने उनकी बहुत मदद की है। यह अमेरिकी चुनाव में एक दिलचस्प मोड़ है और डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत की स्थिति में चीन के प्रति अमेरिकी नीति पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
महाराष्ट्र में समर्थन के लिए यात्राएं
चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ महाराष्ट्र राजनीतिक यात्राओं से सराबोर हो जाएगा। अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य में हर राजनीतिक दल ने समर्थन जुटाने के लिए यात्राएं आयोजित करने का निर्णय लिया है। शरद पवार की एनसीपी शिव स्वराज्य यात्रा निकाल रही है, कांग्रेस अपनी मुंबई न्याय यात्रा के साथ राज्य भर में घूम रही है, भाजपा जल्द ही अपनी महासंवाद यात्रा शुरू करेगी, जबकि अजीत पवार की एनसीपी जन सम्मान यात्रा पर है। यहां तक ​​कि राज ठाकरे जैसे छोटे खिलाड़ी भी नवनिर्माण यात्रा के साथ यात्रा उन्माद में कूद पड़े हैं।

 – आर. आर. जैरथ

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