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जिहादी आतंकवाद और भारत

दुनिया भर में आतंकवाद के पीछे इस्लाम की सुन्नी विचारधारा के तहत वहाबी और सलाफी विचारधारा को जिम्मेदार माना जाता है।

दुनिया भर में आतंकवाद के पीछे इस्लाम की सुन्नी विचारधारा के तहत वहाबी और सलाफी विचारधारा को जिम्मेदार माना जाता है। इनका मकसद है जिहाद के द्वारा इस दुनिया को इस्लामिक बनाना। इस्लामिक आतंकवाद अब किसी एक देश की बात नहीं रह गया बल्कि यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गठजोड़ कर चुका है और इसके समर्थन में कई मुस्लिम राष्ट्र और ताकतें हैं। सीरिया, सूडान, यमन, इराक, लेबनान, तुर्की, सऊदी आदि कई देश इनकी पनाहगाह हैं। आईएस, अलकायदा, तालिबान, बोकोहरम, हिजबुल्ला जैसे संगठन कट्टरपंथी इस्लाम की विचारधारा से संबंध रखते हैं और इन्होंने दुनिया भर के कई देशों को अपना निशाना बना रखा है। इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित देशों में अमेरिका, ​ब्रिटेन, रूस, फ्रांस जैसे बड़े देशों के साथ भारत भी शामिल है। दर्जनों छोटे-छोटे देश ऐसे हैं जिनकी संप्रभुता इस्लामिक आतंकवाद के हाथों में गिरवी है। छोटे देश तो इस्लामिक आतंकवाद के सामने असमर्थ और हताश हो चुके हैं। हर जगह इस बात पर बहस जारी है कि आतंकवाद को किसी धर्म विशेष के साथ जोड़ना जायज है। इस्लामिक विद्वान बार-बार यह दोहराते हैं कि महज मुट्ठीभर राह से भटके लोगों की वजह से पूरे इस्लाम धर्म को दोषी ठहराना इस धर्म को कमतर आंकने की कोशिश है। इस समय ज्यादातर मुस्लिमों की मौत इस्लामी हमले से ही हो रही है। इस समय मुस्लिमों पर अत्याचार मुस्लिमों द्वारा ही किए जा रहे हैं। समस्या यह है कि इस्लाम में एक ऐसा उत्परिवर्तन हुआ है जो कि असामान्य रूप से विषैला और बहुत ज्यादा ताकतवर है।
रूस में आतंकी संगठन आईएस के एक ऐसे आत्मघाती को पकड़ा गया है जो भारत में भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता को उड़ाने की साजिश रच रहा था। रूस की सरकारी एजैंसी फैडरल सिक्योरिटी सर्विस ने इस आतंकी की पहचान मध्य एशियाई देश के मूल निवासी के तौर पर की है। गिरफ्तार आत्मघाती तुर्की में आईएस में भर्ती हुआ और वहीं उसने सुसाइड बोम्बर की ट्रेनिंग ली। खास बात यह है कि वह नेशल नेटवर्किंग साइट ‘टैलीग्राम’ के जरिये आईएस से जुड़ा। साजिश के मुताबिक वह भाजपा की निलम्बित प्रवक्ता नुपूर शर्मा द्वारा पैगम्बर मोहम्मद के अपमान का बदला सत्ताधारी दल भाजपा के किसी बड़े नेता की हत्या कर लेना चाहता था। आईएस ने उसे मास्को भेजा और वहां से उसे भारत भेजने की योजना बनाई गई। आईएस को हाएश, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवैंट या इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया के नाम से भी जाना जाता है।  2013 में यह आतंकी संगठन अस्तित्व में आया था, 2014 में इसने अपने मुखिया अब्बू बक्र अल बगदादी को दुनिया के सभी मुसलमानों का खलीफा घोषित किया था। फिर इसने सीरिया और इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा जमाया और  यहीं से यह आतंकी संगठन इस्लामी कानून चलाता है। 
आईएस ने अपने विरोधियों का सिर धड़ से अलग कर वीडियो जारी कर आतंक मचाया और महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाया। आईएस के आतंकवादियों ने छोटी-छटी बच्चियों को भी नहीं बख्शा, जिस कारण इसे दुनिया का सबसे दुर्दांत संगठन माना गया। आईएस के जन्म के पीछे भी एक लम्बी कहानी है। 2014 में ईरान के अखबार तेहरान टाइम्स को एडवर्ड स्नोडेन ने इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने खुलासा किया था कि आईएस को बढ़ाने में अमेरिका ने मदद की। एडवर्ड स्नोडेन वहीं शख्स हैं जिन्होंने 2013 में अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजैंसी के मकड़जाल का खुलासा किया था। स्नोडेन के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन और इस्राइल ने मिलकर बगदादी के संगठन आईएस को मजबूत बनाया। इस्राइल ने आसपास के देशों में आतंकवाद की एक ऐसी ताकत खड़ी की जिसमें इस्राइल विरोधी देश उलझ कर रह जाएं और वह खुद सुरक्षित रहें। इस्राइल ने खुद साल भर बगदादी को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी। 
अमेरिका ने बगदादी से मिडिल ईस्ट में अपने दुश्मनों पर हमला कराया और मध्य एशियाई देशों में आतंक फैलाकर अपनी सेनाओं को इन देशों में भेजा। अमेरिका ने सीरिया लीबिया इराक में तेल का खेल खेला। अमेरिकी सेनाओं के इराक से लौटने के बाद बगदादी ने तेल के खेल में ही अरबों रुपए कमाए। आईएस ने हैवानियत का खेल खेला जिससे पूरी दुनिया सहम गई। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा को खत्म कैसे किया जाए या फिर इसका मुकाबला कैसे किया जाए। भारत में आईएस टैलीग्राम पर (अल्लाह की किताब) देकर  गुमराह हो चुके युवाओं को विस्फोटक सामग्री आईईडी तैयार करना सिखा रहा है।  भारत में आईएस बड़ा खतरा न बने इसके लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसी सोशल साइटों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जो धार्मिक कट्टरवाद फैला रहे हैं। जिहादी आतंकवाद का मुकाबला हम तभी कर सकते हैं जब पूरी दुनिया इसे तीसरे विश्व युद्ध की तरह देखे। जिहादी आतंकवाद केवल एक देश की समस्या नहीं बल्कि यह पूरी दुनिया की समस्या है। अगर इस पर निर्णायक प्रहार नहीं किया गया तो यह मानवता के लिए घातक सिद्ध होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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